Largest Gold Reserve: दुनियाभर के दिग्गज केंद्रीय बैंकों की तरफ से गोल्ड में जमकर निवेश किया जा रहा है. भारत ने साल 2024-25 में 57.5 टन सोना खरीदा है. इसके साथ ही देश का गोल्ड रिजर्व बढ़कर 880 टन पर पहुंच गया है. गोल्ड रिजर्व के मामले में भारत सातवें नंबर पर पहुंच गया है.
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RBI Gold Reserve: अमेरिका ने जब रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने का ऐलान किये तो मार्च और अप्रैल महीने में सोने के दाम तेजी से ऊपर गए. लेकिन ट्रंप के रुख में नरमी के बाद सोने की कीमत नीचे आई है. सोने की कीमत में तेजी का कारण दुनियाभर के सेंट्रल बैंकों की तरफ से सोने की खरीदारी पर फोकस करना रहा है. केंद्रीय बैंक सोने में निवेश को मुश्किल समय के लिए सुरक्षित ऑप्शन मानकर चल रहे हैं. रिजर्व बैंक ने भी पिछले कुछ साल के दौरान तेजी से सोने की खरीदारी की है. दुनियाभर के सबसे ज्यादा सोना रखने वाले देशों में भारत सातवें नंबर पर पहुंच गया है. पिछले पांच साल में आरबीआई के पास सोने का भंडार 35% बढ़ गया है. आइए जानते हैं आरबीआई (RBI) इतना सोना क्यों खरीद रहा है, जबकि भारत के पास पहले से ही सातवां सबसे बड़ा भंडार है.
वैश्विक संकट और सोने की मांग
पिछले कुछ साल के दौरान दुनिया ने कई आर्थिक झटके देखे हैं. कोविड-19 महामारी, रूस-यूक्रेन युद्ध, बढ़ती जियो-पॉलिटिकल टेंशन और अमेरिका के बिजनेस डिस्प्यूट ने ग्लोबल इकोनॉमी को अस्थिर किया है. इन संकटों के बीच सोने की कीमत रिकॉर्ड लेवल पर पहुंच गई हैं. आर्थिक अनिश्चितता के समय सोने के स्थिरता देने के कारण इसे सुरक्षित निवेश माना गया है. यही कारण है कि दुनियाभर के केंद्रीय बैंक अपना-अपना सोने का भंडार बढ़ा रहे हैं. सोना आर्थिक स्थिरता देने के साथ ही मुद्रा के मूल्य में उतार-चढ़ाव से भी बचाता है. जब दूसरे निवेश जोखिम भरे होते हैं. ऐसे में सोना केंद्रीय बैंकों के लिए भरोसेमंद विकल्प बन जाता है.
भारत का लगातार बढ़ता सोने का भंडार
आरबीआई (RBI) ने हाल के कुछ सालों में सोने के भंडार को तेजी से बढ़ाया है. FY 2024-25 में ही आरबीआई ने 57.5 टन सोना खरीदा है. यह साल 2017 के बाद किसी एक साल में की गई सबसे बड़ी खरीद है. पिछले पांच साल में रिजर्व बैंक के सोने के भंडार में 35% का इजाफा हुआ है. 2020 में भारत के पास 653 टन सोना था, जो मार्च 2025 तक बढ़कर 880 टन हो गया. भारत का वैश्विक सोने के भंडार में सातवां नंबर है. 2015 में भारत इस लिस्ट में भारत दसवें नंबर पर था. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) के अनुसार भारत के पास कुल विदेशी मुद्रा भंडार का 11.35% हिस्सा सोना है, यह 2021 में 6.86% था.
आरबीआई क्यों खरीद रहा इतना सोना?
RBI की तरफ से सोना खरीदे जाने का सबसे बड़ा कारण अमेरिकी डॉलर की अस्थिरता है. बैंक ऑफ बड़ौदा के चीफ इकोनॉमिस्ट मदन सबनवीस कहते हैं 'हाल के सालों में डॉलर की कीमत में काफी उतार-चढ़ाव देखा गया है. सोना एक स्थिर विकल्प है, जो रिस्क को कम करता है.' अमेरिकी डॉलर दुनिया की प्रमुख रिजर्व मुद्रा है लेकिन इसकी कीमत में बदलाव और अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड बढ़ने से केंद्रीय बैंकों के लिए रिस्क बढ़ गया है. कई बैंक अपने डॉलर भंडार को कम करके सोने में निवेश कर रहे हैं. RBI सितंबर 2022 से 214 टन सोना भारत वापस लाया है. यह कदम ग्लोबल अस्थिरता के बीच देश में सोने के भंडारण को बढ़ाने की पॉलिसी दर्शाता है.
भारत के लिए सोने के फायदे
एलएंडटी के ग्रुप चीफ इकोनॉमिस्ट ने ईटी से बातचीत में बताया कि 'सोने का बढ़ता भंडार देश के विदेशी मुद्रा बेस को मजबूत करता है. यह ग्लोबल लेवल पर सोने को स्थिर संपत्ति के रूप में देखे जाने का संकेत है.' सोने का बढ़ता भंडार भारत के ग्लोबल ट्रेड में रुपये को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है. साथ ही यूपीआई जैसे प्लेटफॉर्म को इंटरनेशनल लेनदेन के लिए विस्तार करने में मदद मिलेगी. श्रीवास्तव कहते हैं, 'जैसे-जैसे क्रूड ऑयल की कीमतें कम होंगी और डॉलर पर निर्भरता घटेगी, भारत को ज्यादा व्यापार और RBI से बड़े लाभांश मिलेंगे.' सोने की कीमत के मजबूत बने रहने की उम्मीद है. जानकारों का कहना है कि RBI सहित केंद्रीय बैंक सोने के भंडार को और बढ़ाएंगे.
आने वाले समय के लिए रणनीति
आरबीआई की तरफ से सोने की खरीद भारत की लंबे समय में आर्थिक स्थिरता की दिशा में अहम कदम है. सोना न केवल आर्थिक अनिश्चितता से बचाता है बल्कि यह भारत की ग्लोबल इकोनॉमिक सिचुएशन को भी मजबूत करता है. जैसे-जैसे ग्लोबल ट्रेड में रुपये की हिस्सेदारी बढ़ेगी, सोने का भंडार भारत को और ज्यादा आत्मनिर्भर बनाएगा.