DNA Analysis: एक बार सोचकर देखिए जिस दिन मेड नहीं आती है उस दिन क्या होता है. घर में गंदगी पड़ी रहती है जूठे बर्तन भी मेड के आने का इंतजार करते रहते हैं. हालांकि गुरुग्राम में अचानक मेड के गायब होने की खबर आई है. गुरुग्राम में आजकल लोगों को ना तो घरेलू सहायिका मिल रही हैं ना ही कुक और न ही सफाईकर्मी मिल रहे हैं.
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DNA Analysis: अब DNA का अगला विश्लेषण सीधे सीधे उन लोगों से जुड़ा है जो घर के कामों में मदद के लिए मेड रखते हैं. एक बार सोचकर देखिए जिस दिन मेड नहीं आती है उस दिन क्या होता है. घर में गंदगी पड़ी रहती है जूठे बर्तन भी मेड के आने का इंतजार करते रहते हैं. अब आप सोच रहे होंगे कि शनिवार का दिन है. वीकेंड का सुकून है, ऐसे माहौल में आज हम अचानक मेड की बात क्यों कर रहे हैं तो मेड की बात इसलिए कर रहे हैं क्योंकि दिल्ली से सटे गुरुग्राम में अचानक मेड के गायब होने की खबर आई है. गुरुग्राम में आजकल लोगों को ना तो घरेलू सहायिका मिल रही हैं ना ही कुक और न ही सफाईकर्मी मिल रहे हैं. आखिर अचानक ऐसा क्या हो गया कि इतने बड़े और पैसे वाले शहर से घर के काम करने वाले स्टाफ की भारी कमी आ गई. आखिर इतनी बड़ी संख्या में मेड्स और सफाईकर्मी गए कहां? अब जो जानकारी हम आपसे शेयर कर रहे हैं उसे ध्यान से पढ़िएगा.
यूं तो ये हाल बीते कुछ दिनों से है लेकिन इस अजीबोगरीब घटना का खुलासा हुआ एक सोशल मीडिया पोस्ट से, जिसमें लिखा गया कि गुरुग्राम की आर्डी सिटी में एक अजीब स्थिति बन गई है. सभी मेड्स और कुक अचानक गायब हो गए हैं और उनके मोबाइल भी बंद आ रहे हैं. सफाई वाला भी नहीं आ रहा. आखिर मामला क्या है? इस पोस्ट के नीचे और भी स्थानीय लोगों ने अपनी आपबीती साझा की. एक यूज़र ने बताया, ये सिर्फ आर्डी सिटी की बात नहीं है, पूरा गुरुग्राम इस समय इसी समस्या से जूझ रहा है लेकिन इसके नीचे एक शख्स ने कमेंट कर लिखा.
उन्हें डिटेन किया जा रहा है इस शख्स ने आगे लिखा इनमें से 90% अवैध बांग्लादेशी हैं मेरी मेड भी वही है. उसने मुझे बताया कि वो बहुत डरी हुई है अब आपको गुरुग्राम से मेड वाले संकट की ग्राउंड रिपोर्ट देखनी चाहिए. अब सवाल है कि अवैध बांग्लादेशियों के खिलाफ एक्शन की वजह से गुरुग्राम में मेड क्राइसिस कैसे हो गया? क्या गुरुग्राम में मेड, कुक और सफाईकर्मी ज्यादातर अवैध बांग्लादेशी थे? दरअसल गुरुग्राम में अवैध बांग्लादेशियों की लगातार धरपकड़ जारी है. काफी संख्या में बांग्लादेश से आए घुसपैठिये पकड़े गए हैं. गुरुग्राम के जिलाधिकारी ने एक लेटर जारी कर के ये सूचित किया है कि शहर में रह रहे अवैध विदेशी नागरिकों को डिपोर्ट करने के लिए एक SOP यानी मानक संचालन प्रक्रिया बनाई गई है. जिसके लिए तलाशी अभियान जारी है. अगर अवैध विदेशी नागरिक पाए जाते हैं तो उन्हें रखने के लिए चार सामुदायिक केंद्र भी बनाए गए हैं.
गुरुग्राम और आसपास के इलाकों में इस तरह के तलाशी अभियान के बाद या तो कई अवैध बांग्लादेशियों को होल्डिंग सेंटर में रखा गया है. या फिर कई मेड्स पकड़े जाने के डर से दूसरी जगहों पर चली गई हैं. जिसके बाद पूरे शहर में संकट खड़ा हो गया है. वैसे इस तरह का तलाशी अभियान सिर्फ गुरुग्राम में ही नहीं बल्कि देश के कई शहरों में चलाया जा रहा है. अलग अलग सूत्रों से आई खबरों के आधार पर हमने अवैध बांग्लादेशियों की धरपकड़ पर एक आंकड़ा तैयार किया है. बीते 6 महीने में दिल्ली से 838 अवैध बांग्लादेशियों को डिपोर्ट किया गया है. जयपुर में भी 500 से ज्यादा अवैध बांग्लादेशी पकड़े गए. सूरत से भी ये आंकड़ा 500 के पार ही है गाजियाबाद से भी 160 अवैध बांग्लादेशियों को डिपोर्ट किया गया है.
एक तरफ देश में अवैध रूप से घुसे बांग्लादेशी नागरिकों की धरपकड़ हो रही है.. तो वहीं दूसरी तरफ अब इसपर राजनीति भी शुरू हो गई है. AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने ये आरोप लगा दिया है कि बंगाली बोलने वाले मुस्लिम लोगों पर बांग्लादेशी होने का गलत इल्जाम लगाया जा रहा है. वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने ये आरोप लगाया है कि ये गरीब और बेसहारा बंगालियों के खिलाफ टॉर्चर है. अवैध बांग्लादेशियों की धरपकड़ पर राजनीति अपनी जगह है लेकिन इसकी वजह से एक पूरे शहर में मेड क्राइसिस हो जाना काफी चिंताजनक है. ये इस बात को दर्शाता है कि कैसे अवैध बांग्लादेशियों ने मेड और सफाई के सेक्टर को हाईजैक कर लिया है. अगर गुरुग्राम वाला ट्रेंड देश के बाकी शहरों तक फैल गया तो सोचिए कितनी बड़ी समस्या हो जाएगी क्योंकि देशभर में मिडिल क्लास से लेकर अपर क्लास मेड पर किस तरह से आधारित है वो आपको हम ग्राफिक्स के जरिये समझाते हैं.
DNA : गुरुग्राम में घरेलू सहायिका कहां गायब हो गईं? पूरे शहर में मेड क्राइसिस की वजह क्या है?
दिल्ली-गुरुग्राम में 'मेड अकाल' का विश्लेषण! @pratyushkkhare pic.twitter.com/Cl1hZ2Uu1o
— Zee News (@ZeeNews) July 26, 2025
हमने मेड पर निर्भरता को देखते हुए इस टेबल को लो मॉडरेट हाई और वेरी हाई की श्रेणी में बांटा है. सबसे पहले बात राजधानी दिल्ली की तो यहां के ज्यादातर परिवारों में एक या एक से ज्यादा मेड आती है. इस हिसाब से दिल्ली बहुत ज्यादा मेड पर निर्भर है. महाराष्ट्र भी इसी श्रेणी में आता है. वहीं गोवा, हरियाणा, कर्नाटक और तमिलनाडु हाई श्रेणी में आते हैं. आंध्र प्रदेश, केरल और राजस्थान मॉडरेट की श्रेणी में आते हैं. वहीं बिहार, झारखंड, यूपी ऐसे राज्य हैं जहां मेड पर निर्भरता काफी कम होती है. अगर ये कहा जाए की मेड्स आज की तारीख में मिडिल क्लास और अपर क्लास परिवारों के एक अभिन्न अंग की तरह हैं तो ये गलत नहीं होगा. लेकिन अगर सोसाइटी के इस सेगमेंट में अवैध बांग्लादेशियों की घुसपैठ हो जाए तो ये कितना खतरनाक हो सकता है. इसका अंदाजा तक लगाना मुश्किल है.