Twin Sisters MBBS: ये बहनें अपनी सफलता का क्रेडिट अपनी मां और नाना-नानी के अटूट समर्थन को देती हैं.
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Riba and Rahin Hafezji: क्या ऐसा होता है कि जुड़वां बहनें अपनी MBBS की फाइनल परीक्षा में एक जैसे नंबर लाएं? सूरत की रीबा और राहीन हाफेजी नाम की बहनें इसी अनोखी बात का जश्न मना रही हैं और अपनी जुड़वां बहनों वाली खास जर्नी को गर्व से याद कर रही हैं. उन्होंने वडोदरा के GMERS मेडिकल कॉलेज से एक जैसे नंबरों के साथ अपनी MBBS की पढ़ाई पूरी की - 935 नंबर यानी 66.8%. 24 साल की इन बहनों की पढ़ाई में उपलब्धियां और जीवन के फैसले हमेशा एक जैसे रहे हैं.
द टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, उनकी परवरिश गुलशाद बानू ने की है, जो एक सिंगल मां और टीचर हैं. इन बहनों ने आर्थिक कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन अपने साझा लक्ष्य को कभी नहीं भूलीं - अपने परिवार में पहली डॉक्टर बनना.राहीन कहती हैं, "हम परिवार में पहली डॉक्टर हैं. हमारे दूर के परिवार में, मेरे मामा एक डॉक्टर हैं जिन्होंने हमें डॉक्टरी करने के लिए मोटिवेट किया. बड़े होते हुए, हमारे लगभग एक जैसे नंबर आते थे क्योंकि हम हमेशा अपनी परीक्षाओं की तैयारी एक साथ करते थे."
कक्षा 10 में, रीबा 99वें पर्सेंटाइल में थी और राहीन 98.5वें में. कक्षा 12 में, वे क्रमशः 98.2 और 97.3 पर्सेंटाइल में थीं. बिना कोचिंग क्लासेज में हिस्सा लिए, उन्होंने NEET-UG में शानदार प्रदर्शन किया, जिसमें रीबा ने 97वें पर्सेंटाइल में और राहीन ने 97.7वें में स्कोर किया.
GMERS में, वे एक ही हॉस्टल के कमरे में थीं और एक साथ क्लास जाती थीं. रीबा कहती हैं कि वे जामनगर या भावनगर जैसे अलग अलग सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन सिक्योर कर सकती थीं, लेकिन वे एक-दूसरे के साथ रहना चाहती थीं और इसलिए उन्होंने 2019 में गोत्री के मेडिकल कॉलेज को चुना. रीबा आगे कहती हैं, "यह सूरत में घर के करीब भी था. इसके अलावा, यह शहर से बाहर रहने का हमारा पहला एक्सपीरिएंस भी था."
ये बहनें अपनी सफलता का क्रेडिट अपनी मां और नाना-नानी के अटूट समर्थन को देती हैं. राहीन कहती हैं, "हमने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं, और मेरी मां और नाना-नानी हमारी ताकत और प्रेरणा का निरंतर सोर्स रहे हैं. हमें खुशी है कि हम उनके सपनों को पूरा कर सके."
राहीन आगे कहती हैं, "सरकारी स्कॉलरशिप और अन्य योग्यता-आधारित फाइनेंशियल हेल्प के माध्यम से, हम बिना किसी चिंता के कॉलेज जा सके. मैं प्रसूति और स्त्री रोग जैसे सर्जिकल ब्रांच में आगे बढ़ना चाहती हूं, जबकि रीबा इंटरनल मेडिसिन में रुचि रखती है. लेकिन हम पोस्टग्रेजुएट स्टडीज के लिए भी एक ही कॉलेज में एडमिशन सिक्योर करना चाहते हैं."
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ये बहनें सिंधी जमाती समुदाय की उन गिनी-चुनी महिलाओं में से हैं जिन्होंने मेडिकल में ग्रेजुशन की उपाधि प्राप्त की है. वे अपने समुदाय के सपोर्ट को स्वीकार करती हैं और अपनी मां को बड़े सपने देखने और मानव जाति के लिए मददगार होने का पाठ पढ़ाने का क्रेडिट देती हैं.
रीबा लोगों की सेवा करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहती हैं, "अब तक की यात्रा हमारे लिए चमत्कारी रही है, और हम दूसरों की मदद करने के लिए अडिग हैं जैसे दूसरों ने हमारे सपनों को प्राप्त करने में हमारी मदद की है."
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