स्वामी रामदेव ने 1995 में दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट बनाकर योग को हर घर तक पहुंचाने की शुरुआत की. ये काम सिर्फ एक्सरसाइज तक ही सीमित नहीं था, इसमें 'सेहत के साथ-साथ खुद पर निर्भर' बनने का भी मैसेज था. फिर 2006 में आचार्य बालकृष्ण की लीडरशिप में पतंजलि आयुर्वेद की शुरुआत हुई. जिसने इस सोच को बिजनेस की ऊंचाई तक पहुंचा दिया.
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बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने भारत के पुराने पारंपरिक ज्ञान को आज के बिजनेस के तरीकों के साथ मिलाकर सामाजिक उद्यमिता (Social Entrepreneurship) एक ऐसा मॉडल डेवलप किया है. जिससे प्रॉफिट और समाज की भलाई भी हो. इनके काम ने ना सिर्फ भारत के मार्केट में बड़ी-बड़ी विदेशी कंपनियों को टक्कर दी, बल्कि गांवों की आर्थिक हालत सुधारकर लाखों लोगों को आत्मनिर्भर होने का मौका भी दे रहे हैं.
सोशल एंटरप्रेन्योरशिप को एक नया रूप दे रहे हैं?
स्वामी रामदेव ने 1995 में दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट बनाकर योग को हर घर तक पहुंचाने की शुरुआत की. ये काम सिर्फ एक्सरसाइज तक ही सीमित नहीं था, इसमें 'सेहत के साथ-साथ खुद पर निर्भर' बनने का भी मैसेज था. फिर 2006 में आचार्य बालकृष्ण की लीडरशिप में पतंजलि आयुर्वेद की शुरुआत हुई. जिसने इस सोच को बिजनेस की ऊंचाई तक पहुंचा दिया. पतंजलि का उद्देश्य क्लियर था. भारतीय आयुर्वेद को साइंस के साथ दुनिया भर में पहचान दिलाना और स्वदेशी प्रोडक्ट्स को बढ़ावा देना. इसलिए आइए जानते हैं कि स्वामी बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण कैसे सोशल एंटरप्रेन्योरशिप को एक नया रूप दे रहे हैं?
किसानों के जीवन को बनाया बेहतर
पतंजलि ने गांव की इकोनॉमी के बेहतर करने के लिए 'फार्म टू फार्मेसी' मॉडल अपनाया. यहां किसानों से सीधे जड़ी-बूटियां को खरीदा जाता हैं. जिसका उन्हें सहीं दाम मिलता है और ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा मिलता है. इस पहल के चलते हजारों किसानों ने केमिकल खाद छोड़कर नेचुरल खेती शुरू की, जिससे उनकी लागत घटी और इनकम बढ़ी.
स्मॉल और मीडियम इंटरप्राइजेज (MSME) सेक्टर को सपोर्ट
इसके अलावा, पतंजलि ने माइक्रो, स्मॉल और मीडियम इंटरप्राइजेज (MSME) सेक्टर को सपोर्ट करके छोटे स्मॉल इंडस्ट्रीज को बड़ा प्लेटफॉर्म दिया है. लोकल निर्माताओं को टेक्नोलॉजी की मदद, ब्रांडिंग और डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क मुहैया कराकर उन्हें मार्केट में मुकाबला करने लायक बनाया है. आज पतंजलि के साथ 2 लाख से ज्यादा लोग सीधे जुड़े हैं, और 10 लाख से भी ज्यादा लोगों को इसका फायदा होकर नौकरी या काम मिला हुआ है.
एजुकेशन सेक्टर में बदलाव
बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने पतंजलि योगपीठ, आचार्यकुलम और पतंजलि यूनिवर्सिटी जैसे इंस्टिट्यूटशन के जरिए पढ़ाई-लिखाई के मैदान में बड़ा बदलाव लाया है. यहां योग, आयुर्वेद और पुराने वैदिक ज्ञान को आज की पढ़ाई के तरीके से जोड़कर सिखाया जाता है. जो योग कैंप फ्री में लगाए गए, उनसे लाखों लोगों को न सिर्फ हेल्थ का फायदा हुआ, बल्कि उन्हें रोजगार के अवसर भी मिले.