amarnath yatra 2025: एसएसपी श्रीनगर जी वी संदीप ने कहा "हमारी तैयारियों और समन्वय को देखने और यह संदेश देने के लिए कि यात्रा पूरी तरह से सुरक्षित है, ये मॉक ड्रिल आयोजित की गई थी. पुलिस ने वांछित व्यक्तियों के अंदर डेटा रखने वाले एआई आधारित फेस रिकग्निशन सिस्टम कैमरों जैसी तकनीक का इस्तेमाल किया है.
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amarnath yatra 2025 security: पहलगाम आतंकी हमले के बाद अमरनाथ तीर्थयात्रियों की सुरक्षा, सुरक्षाबलों के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है और अपनी तैयारियों को देखने के लिए पूरे कश्मीर में बेस और ट्रांजिट कैंपों में कई मॉक ड्रिल किए गए. अधिकारियों की तैयारियों को जानने के लिए कश्मीर घाटी में सभी अमरनाथ यात्रा रास्तों पर मॉक ड्रिल किए गए. यह ड्रिल 3 जुलाई से 9 अगस्त, 2025 तक निर्धारित जम्मू और कश्मीर में अमरनाथ गुफा मंदिर की वार्षिक तीर्थयात्रा के दौरान तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के लिए एक व्यापक तैयारी का हिस्सा थे. यह अभ्यास श्रीनगर और अमरनाथ मंदिर के दोनों प्राथमिक मार्गों पहलगाम (अनंतनाग जिला) और बालटाल (गंदरबल जिला) पर कई स्थानों पर हुआ.
अभ्यास में कौन थे शामिल
अभ्यास जॉइंट प्रयास था जिसमें जम्मू कश्मीर पुलिस, भारतीय सेना, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ), सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी), राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ), यातायात पुलिस और अन्य स्थानीय इकाइयों सहित कई सुरक्षा और आपदा प्रतिक्रिया बल शामिल थे. अभ्यास में आतंकवादी हमलों, प्राकृतिक आपदाओं, आग की घटनाओं, निकासी की आवश्यकता वाली चिकित्सा आपात स्थितियों जैसी तैयारियों का आकलन करने के लिए विभिन्न आपातकालीन स्थितियों का अनुकरण किया गया.
अगर आतंकवादी हमला हुआ तो कैसे निपटेंगे
इंटर-एजेंसी समन्वय और प्रतिक्रिया समय का मूल्यांकन करने और एसओपी की प्रभावशीलता का परीक्षण करने के लिए भी अभ्यास किए गए. श्रीनगर में, अभ्यास में आतंकवादी खतरों और आपदा परिदृश्यों के लिए त्वरित प्रतिक्रिया पर ध्यान केंद्रित किया गया. एक डेमो में दिखाया गया कि अगर आतंकवादी हमला होता है तो कैसे संभाला जाएगा और कैसे बल समन्वित तरीके से काम करेंगे. सुरक्षाबलों ने निकासी प्रोटोकॉल और चिकित्सा सहायता तैनाती का भी अभ्यास किया.
मॉक ड्रिल में क्या-क्या हुआ उपयोग
एसएसपी श्रीनगर जी वी संदीप ने कहा "हमारी तैयारियों और समन्वय को देखने और यह संदेश देने के लिए कि यात्रा पूरी तरह से सुरक्षित है, ये मॉक ड्रिल आयोजित की गई थी. पुलिस ने वांछित व्यक्तियों के अंदर डेटा रखने वाले एआई आधारित फेस रिकग्निशन सिस्टम कैमरों जैसी तकनीक का इस्तेमाल किया है. हमेशा सामान्य इनपुट होते हैं लेकिन हम तैयार हैं और सभी को आश्वस्त कर सकते हैं कि यात्रा सुरक्षित रहेगी.
1 लाख 20 हजार सैनिक होंगे तैनात
मॉक ड्रिल तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के लिए एक व्यापक, मजबूत सुरक्षा ढांचे का हिस्सा है: 70 हजार से अधिक सुरक्षा कर्मियों को मार्गों, आधार शिविरों और पारगमन बिंदुओं पर तैनात किया गया है, जबकि 50 हजार से अधिक सुरक्षा कर्मी जम्मू से कश्मीर तक राष्ट्रीय राजमार्ग की सुरक्षा कर रहे हैं.
फेस रिकॉग्निशन सिस्टम को पहली बार किया गया प्रयोग
यात्रा सुरक्षा इस बार सभी हाई-टेक एआई-आधारित फेस रिकॉग्निशन सिस्टम को पहली बार सक्रिय आतंकवादियों और ओजीडब्ल्यू और अन्य ब्लैक लिस्टेड लोगों के डेटा के साथ इस्तेमाल किया गया है, प्रत्येक तीर्थयात्री को वास्तविक समय की तीर्थयात्री ट्रैकिंग के लिए आरएफआईडी टैग दिए जाएंगे जो यात्रा के लिए अनिवार्य है. बेस कैंपों में नियंत्रण कक्षों के साथ निरंतर निगरानी के लिए उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाले सीसीटीवी कैमरे और ड्रोन लगाए गए हैं. इसके अलावा त्वरित प्रतिक्रिया दल (क्यूआरटी) और बम निरोधक दस्ते हर रणनीतिक बिंदु पर तैनात हैं.
1 जुलाई से 10 अगस्त, 2025 तक “नो फ्लाइंग ज़ोन” घोषित
पहलगाम और बालटाल दोनों मार्गों को अधिकृत सुरक्षा या आपातकालीन विमानों को छोड़कर 1 जुलाई से 10 अगस्त, 2025 तक “नो फ्लाइंग ज़ोन” घोषित किया गया है. अनधिकृत हवाई खतरों का मुकाबला करने के लिए एंटी-ड्रोन तकनीक तैनात की गई है. आतंकवादियों की हरकतों को रोकने के लिए सेना और बीएसएफ उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों पर तैनात हैं. संभावित खतरों को नकारा करने के लिए यात्रा मार्गों पर प्रतिदिन सैनिटाइजेशन अभियान चलाया जाएगा. कुल मिला कर यात्रा को इस बार फूलप्रूफ सुरक्षा प्रधान की गई है.