DNA Analysis: देश में फिर सिर उठा रहा 'खालिस्तानी मूवमेंट'? करनाल में फेल हुआ पाकिस्तान का 'बब्बर' प्लान
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DNA Analysis: देश में फिर सिर उठा रहा 'खालिस्तानी मूवमेंट'? करनाल में फेल हुआ पाकिस्तान का 'बब्बर' प्लान

DNA on Babbar Khalsa Terrorists Arrest: क्या देश में खालिस्तानी आंदोलन की आग को दोबारा से भड़काने की कोशिश हो रही है. पाकिस्तान के ऐसे ही नापाक प्लान को सुरक्षा एजेंसियों ने गुरुवार को हरियाणा के करनाल में ध्वस्त कर दिया. 

DNA Analysis: देश में फिर सिर उठा रहा 'खालिस्तानी मूवमेंट'? करनाल में फेल हुआ पाकिस्तान का 'बब्बर' प्लान

DNA on Babbar Khalsa Terrorists Arrest: देश की थल सेना, वायु सेना और नौसेना सीमाओं की पहरेदारी कर रही हैं. तीनों सेनाओं का सामर्थ्य हमारा पड़ोसी देश कई बार देख चुका है. लेकिन इसके बाद भी उसकी साजिशों का कोई अंत नहीं है. 

वो रोजाना साजिशों के नए फ्रंट खोलता है. अब जो साजिश सामने आई है वो भारत में लगभग खत्म किए जा चुके आतंकी संगठनों को जिंदा करने और उन्हें हथियारों से लैस करने की है. हरियाणा पुलिस ने गुरुवार को करनाल में एक स्पेशल ऑपरेशन चलाकर 4 खालिस्तानी आतंकियों को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस को IB से इन आतंकियों के मूवमेंट की खबर मिली थी. इसी सूचना के आधार पर उसने एक टोल प्लाज़ा के पास नाकेबंदी की एक इनोवा कार को चेकिंग के लिए रोक लिया. 

करनाल से पकड़े गए 4 खालिस्तानी आतंकी

इस चेकिंग में पुलिस ने गाड़ी से हथियार, कारतूस और RDX जैसे विस्फोटक बरामद किए. पुलिस के अनुसार ये चारों आतंकवादी, आतंकी संगठन बब्बर खालसा के हैं और हथियारों की ये खेप तेलंगाना के आदिलाबाद ले जा रहे थे. गिरफ्तार आतंकियों के नाम गुरप्रीत, अमनदीप, परविंदर और भूपेंदर हैं. इनमें अमनदीप सिंह और गुरप्रीत सिंह सगे भाई हैं और पंजाब के फिरोजपुर के रहने वाले हैं, जबकि एक आतंकी लुधियाना का रहने वाला है. जिस कार से ये लोग हथियार ले जा रहे थे, वो दो-तीन महीने पहले ही खरीदी गई थी.

पुलिस के अनुसार करनाल में पकड़े गए बब्बर खालसा इंटरनेशनल के इन चारों आतंकियों का पाकिस्तान से कनेक्शन निकला है. चारों आरोपी पाकिस्तान में मौजूद खालिस्तानी आतंकी हरविंदर सिंह रिंदा के इशारे पर काम कर रहे थे.

करनाल में पकड़ा गया एक आतंकी गुरप्रीत सिंह पहले भी एक मामले में जेल जा चुका है. जेल में ही उसकी मुलाकात राजवीर नाम के व्यक्ति से हुई. राजवीर की पाकिस्तान में मौजूद आतंकी हरविंदर सिंह संधू रिंदा से पहचान थी. उसी ने गुरप्रीत और रिंदा के बीच बातचीत करवाई. इसके बाद रिंदा ने इन्हे असलहा सप्लाई कर उसे तेलंगाना के आदिलाबाद पहुंचाने का जिम्मा सौंपा था. इसके बदले चारों को काफी पैसे मिलने थे. आतंकियों से पूछताछ में ये भी पता चला है कि वो पहले भी महाराष्ट्र के नांदेड़ में ऐसा ही कन्साइनमेंट पहुंचा चुके हैं.

पाकिस्तान में बैठे रिंदा के इशारे पर कर रहे थे काम

जी न्यूज को जो जानकारी मिली है, उसके मुताबिक़ हरविंदर सिंह संधू रिंदा पाकिस्तान में है और वहां की खुफिया एजेंसी ISI उसकी हिफाज़त कर रही है. ISI की सुरक्षा में ही वो वहां बैठकर भारत में आतंकी गतिविधियों को ऑपरेट करता है. हमारे पास जो खुफिया इनपुट्स हैं, उनके अनुसार ISI पंजाब और देश के अन्य संवेदनशील इलाकों में दोबारा आतंकी संगठनों को ज़िंदा करने में लगी हुई है. इस काम में बब्बर खालसा का आतंकी रिंदा उनका मोहरा है.

भारत में खालिस्तान के मॉडल को दोबारा से ज़िन्दा करने का पूरा जिम्मा रिंदा के पास है. रिंदा का नेटवर्क पूरे दक्षिण एशिया में फैला है, जिनके जरिए वो ड्रग के साथ हथियारों की तस्करी को अंजाम देता है. खुफिया सूत्रों के अनुसार रिंदा भारत में करीब 120 स्लीपर सेल तैयार कर चुका है, जो देश के अलग अलग हिस्सों में एक्टिव हैं.

बीते वर्ष दिसंबर में लुधियाना कोर्ट में जो धमाका हुआ था, उसके पीछे भी रिंदा का ही दिमाग़ था. उसी ने इस हमले को अंजाम दिया था. इसके अलावा रिंदा समुद्र के रास्ते देश के कोस्टल एरिया में आतंकियों की घुसपैठ कराने की प्लानिंग कर रहा है. इसके लिए वो देश के कई संवेदनशील इलाकों में पहले से ही हथियार और RDX की खेप पहुंचा चुका है. रिपोर्ट्स के अनुसार पाकिस्तानी पंजाब के बामियाल सेक्टर से ड्रोन के जरिए हाल ही में भारत में हथियारों की बड़ी खेप पहुंचाई गई है.

ड्रोन से पंजाब में हथियार भेज रहा पाकिस्तान

अब आपको बताते हैं कि बॉर्डर पर इतनी कड़ी सुरक्षा के बावजूद आतंकी पाकिस्तान से भारत में हथियार कैसे पहुंचा रहे हैं, उनका पैटर्न क्या है. पुलिस के अनुसार पाकिस्तान में बैठे आतंकी रिंदा ने इन हथियारों को ड्रोन से बॉर्डर पार पहुँचाया था. इसके लिए उसने एक मोबाइल ऐप के जरिS, इन गिरफ्तार आतंकियों को उस जगह की लोकेशन भेजी, जहां ड्रोन ने हथियार गिराए थे. ये लोकेशन पंजाब के फिरोजपुर की थी. 

इन हथियारों का गिरफ्तार आतंकियों में से एक गुरप्रीत के दोस्त आकाशदीप के खेतों में गिराया गया था. लोकेशन को फॉलो करते हुए चारों आतंकियों ने हथियार और RDX उठाया और फिर वहां से तेलंगाना के लिए निकल पड़े, लेकिन खुफिया इनपुट पर इन्हें करनाल में पकड़ लिया गया.

बब्बर खालसा इंटरनेशनल और पाकिस्तान का कनेक्शन 

- इस समय वाधवा सिंह BKI का प्रमुख है. सुरक्षा एजेंसियों का दावा है कि वो पाकिस्तान में छिपा है. साथ ही पाकिस्तान की सेना और ISI के साथ मिलकर भारत में आतंकी घटनाओं की साजिश रच रहा है.
- इस आतंकी संगठन के डिप्टी चीफ मेहाल सिंह और 20 दूसरे आतंकी भी पाकिस्तान में ही छिपे हैं. भारत लंबे समय से उनके प्रत्यर्पण की कोशिश कर रहा है.
- पाकिस्तान ने ISI के पूर्व चीफ जावेद नासिर को पाकिस्तान गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी यानी PGPC का चेयरमैन नियुक्त किया है. PGPC को वर्ष 1999 में गठित किया गया था और ये पाकिस्तान में गुरुद्वारों की देखभाल का जिम्मा संभालती है. खुफिया जानकारियों के मुताबिक पाकिस्तान में मौजूद सिख आतंकी संगठन जनरल नासिर के सीधे संरक्षण में काम कर रहे हैं.
- वर्ष 2002 में आई मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ISI ने आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा को पंजाब में दोबारा आतंकवाद भड़काने का जिम्मा सौंपा था. इसके लिए लश्कर ने BKI, इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन और खालिस्तान ज़िन्दाबाद जैसे सिख आतंकी संगठनों को ट्रेनिंग भी दी.
- सूत्र ये भी दावा करते हैं कि BKI के भारत के मोस्ट वांटेड आतंकी डॉन दाऊद इब्राहिम से भी संबंध हैं और कई तरह की अवैध गतिविधियों में दोनों एक दूसरे का साथ दे रहे हैं.

यहां आपको ये भी जान लेना चाहिए कि हरविंदर सिंह संधू रिंदा जिस बब्बर खालसा नाम के संगठन का आतंकी है वो क्या है. इसे आतंकवादी संगठन क्यों कहा जाता है.  

आतंकी संगठन बब्बर खालसा इंटरनेशनल का इतिहास

बब्बर खालसा का पूरा नाम बब्बर खालसा इंटरेशनल है और इसकी जड़ें करीब चार दशक पुराने खालिस्तानी आंदोलन से जुड़ी हैं. इसकी स्थापना वर्ष 1979 में तलविंदर सिंह परमार नाम के आतंकी ने कनाडा के वैंकूवर में की थी. उसका साथी सुखदेव सिंह बब्बर भी इस आतंकी संगठन का फाउंडिंग मेंबर था. इसकी पहली इकाई 1981 में कनाडा में तैयार की गई.  

स्थापना के साथ ही इस संगठन ने सिखों के लिए अलग देश खालिस्तान की मांग शुरू कर दी, जिसके लिए इसने कई आतंकवादी घटनाओं को अंजाम दिया और बड़े पैमाने पर हिंसा भी की. इसी दौरान पंजाब पुलिस और केंद्रीय सुरक्षाबलों ने खालिस्तान आंदोलन के खिलाफ़ कड़ी कार्रवाई की और पंजाब को आतंकवाद से प्रभाव से मुक्त करा लिया. इसी दौरान वर्ष 1992 में सुखदेव सिंह बब्बर और तलविंदर सिंह परमार की मौत हो गई. इनकी मौत के बाद से ही ये आतंकी संगठन कमज़ोर होता चला गया. हालांकि अब ये एक बार फिर अपना सिर उठा रहा है और आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देने की कोशिश कर रहा है. 

अब हम आपको ये भी बताएंगे कि ये आतंकवादी संगठन इतना खतरनाक क्यों है और इसने किन बड़ी आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया.

BKI की ओर से की गई बड़ी आतंकी घटनाएं

- बब्बर खालसा इंटरनैशनल यानी BKI ने 23 जून 1985 के जून में कनाडा के मॉन्ट्रियल से नई दिल्ली आ रही, एयर इंडिया की फ्लाइट संख्या 182 को हवा में ही विस्फोट करके उड़ा दिया था. इसे इतिहास के बड़े आतंकी हमलों में गिना जाता है और इस हमले में विमान में सवार सभी 329 लोगों की मौत हो गई थी.

- इसके करीब 10 साल बाद 31 अगस्त 1995 को पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की एक आत्मघाती हमले में हत्या कर दी गई. बेअंत सिंह पंजाब-हरियाणा सचिवालय के बाहर अपनी कार में मौजूद थे. तभी एक फिदायीन आतंकी ने खुद को उड़ा लिया, इसमें हमले में 18 लोगों की मौत हुई थी और इसके पीछे बब्बर खालसा का ही हाथ बताया गया था.

- मई 2005 में BKI के आतंकियों ने दिल्ली के सत्यम सिनेमा और लिबर्टी सिनेमा में बम धमाके किए, जिसमें 40 से ज़्यादा लोग घायल हो गए थे.

- अक्टूबर 2007 में लुधियाना के शिंगर सिनेमा हॉल में भी बम धमाका हुआ , जिसमें 6 लोगों की मौत हो गई, जबकि 35 से ज़्यादा लोग घायल हो गए थे.

इसके अलावा भी इस आतंकी संगठन ने कई बड़ी गतिविधियों को अंजाम दिया और कई हत्याएं की. जिसमें राष्ट्रीय सिख संगत के प्रमुख भी शामिल थे. इन घटनाओं की वजह से BKI को भारत के साथ दुनिया के कई देश आतंकवादी संगठन मानते हैं और आज भी भारत, अमेरिका, कनाडा और ब्रिटेन जैसे देशों में इस संगठन पर बैन है.

अभी टला नहीं है खालिस्तानी आतंकी खतरा

यहां आपको ये भी समझना चाहिए की हमारी सुरक्षा एजेंसियों ने एक बड़े खतरे को नाकाम कर दिया है. हालांकि ZEE NEWS के पास मौजूद खुफिया जानकारियां ये भी कह रही हैं कि खतरा पूरी तरह टला नहीं है. खुफिया एजेंसियों के सूत्रों के अनुसार दिल्ली, पंजाब में और इन जगहों के साथ लगती जगहों पर भी अभी भी आतंकियों के कई स्लीपर सेल मौजूद हो सकते हैं. संभव है कि यहां इस तरह के हथियारों और विस्फोटको की खेप छिपाई गई हो.

सूत्रों के अनुसार इसके जरिए पाकिस्तान और आतंकी देश के माहौल  को बिगाड़ना चाहते हैं. हाल ही देश के कई राज्यों में हुई दंगो की घटनाओं को भी इसी से जोड़ कर देखा जा रहा है.  यानी पाकिस्तान बब्बर खालसा जैसे आतंकी संगठनों को मोहरा बना कर पंजाब और उत्तर भारत में एक बार फिर अलगाववाद और आतंकवाद भड़काना चाहता है और 80 के दशक वाले हालात पैदा करना चाहता है.

1980 से 1984 के दौर में पंजाब में खालिस्तान मूवमेंट चरम पर पहुंच गया था. उस समय पंजाब में सैकड़ों निर्दोष लोगों की दिनदहाड़े हत्याएं हुईं और हिन्दू और सिखों के बीच टकराव पैदा करने की कोशिश की गई. भिंडरावाला और उसके आतंकियों ने शुरुआत में निरंकारियों और खालिस्तान का विरोध करने वालों को अपना निशाना बनाया. इसके बाद पत्रकार, नेता, पुलिस और हिन्दू समुदाय के लोग भी उसके निशाने पर आ गए. पंजाब में परिस्थितियां इतनी बिगड़ चुकी थीं कि उन्हे संभालने के लिए सेना तक को मोर्चा संभालना पड़ा था.

पाकिस्तान और कनाडा बन गए हैं सुरक्षित जमीन

आज भारत में खालिस्तान के विचार को देश के अधिकांश सिखों ने नकार दिया है. फिर भी विदेशों में बैठे खालिस्तानी संगठन आज भी भारत के टुकड़े टुकड़े करने का षडयंत्र रचते हैं. इन संगठनों को पाकिस्तान का भी खुला समर्थन मिलता है और कनाडा भी इनके लिए सुरक्षित जमीन बन गया है.

इसमें हमारे देश की राजनीति भी न चाहते हुए पाकिस्तान की मददगार साबित हो रही है. आपको याद होगा जब सुरक्षा कारणों से केंद्र सरकार ने पंजाब, गुजरात और पश्चिम बंगाल समेत कुछ राज्यों में BSF का अधिकार क्षेत्र बढ़ाया था तो विशेष रूप से पंजाब ने इसका कड़ा विरोध किया था. विपक्ष के दलों ने इसे देश के संवैधानिक ढांचे का अपमान बताते हुए खूब राजनीति भी की थी. 

जी न्यूज के पास आई खुफिया रिपोर्ट में इस बात का भी स्पष्ट रूप से जिक्र है कि पंजाब में बॉर्डर के इलाक़े में अगर कोई भी ग़लत फैसले से पाकिस्तान और देश विरोधी ताकतों को पंजाब में दोबारा आतंक फैलाने का मौक़ा मिल जाएगा. केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी गई इस रिपोर्ट में पंजाब में खालिस्तान आंदोलन को लेकर सभी राजनीतिक दलों की विभाजित सोच का भी जिक्र है.

आज हमें ये समझना होगा कि हमारे देश के सामने बाहरी ही नहीं आंतरिक सुरक्षा के लिहाज से भी कई कई नई चुनौतियां पैदा हो रही हैं और इनका मुकाबला करने के लिए राजनीतिक दलों को भी सुरक्षा के प्रश्न पर सियासत को साइड में रखना होगा.

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