Independence Day: आजादी से एक दिन पहले 14 अगस्त 1947 को आखिर दिल्ली में क्या हो रहा था? देशभर में ऐसा था माहौल
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Independence Day: आजादी से एक दिन पहले 14 अगस्त 1947 को आखिर दिल्ली में क्या हो रहा था? देशभर में ऐसा था माहौल

Vibhajan Vibhishika Diwas: 15 अगस्त 1947 को भारत की आजादी से एक दिन पहले 14 अगस्त 1947 को आखिर क्या हो रहा था? इस बात का जिक्र डोमिनिक लापियर और लैरी कॉलिन्स की किताब 'फ्रीडम ऐट मिडनाइट' में किया था.

Independence Day: आजादी से एक दिन पहले 14 अगस्त 1947 को आखिर दिल्ली में क्या हो रहा था? देशभर में ऐसा था माहौल

Independence Day 2025: स्वतंत्रता दिवस से एक दिन पहले देशभर में 14 अगस्त को 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' मनाया जा रहा है. ये वो दिन है, जब आज से 78 साल पहले भारत के इतिहास में एक गहरे जख्म दिए. 200 सालों की गुलामी से मुक्ति की खुशी तो लोगों को मिली, लेकिन बंटवारे का ऐसा दर्द भी मिला, जिससे भारत और पाकिस्तान के रूप में दो देशों का जन्म हुआ. 15 अगस्त 1947 को भारत की आजादी से एक दिन पहले 14 अगस्त 1947 को आखिर क्या हो रहा था? इस बात का जिक्र डोमिनिक लापियर और लैरी कॉलिन्स की किताब 'फ्रीडम ऐट मिडनाइट' में किया था.

एक दिन पहले ही लहराया जाने लगा था तिरंगा

डॉमिनिक लैपियर और लैरी कॉलिंस अपनी किताब 'फ्रीडम ऐट मिडनाइट' 14 अगस्त 1947 के ऐतिहासिक दिन का जिक्र किया था. किताब में उन्होंने लिखा है कि 15 अगस्त को आजादी से एक दिन पहले ही सैन्य छावनियों और सरकारी ऑफिस में फहरा रहे यूनियन जैक को उतारा जाने लगा थे. 14 अगस्त को जब सूरज डूबा तो देशभर में यूनियन जैक उतार दिए गए और वो भारत का इतिहास बन गए. आजादी के समारोह के लिए आधी रात को सभा भवन पूरी तरह तैयार था. जिन कार्यालयों में भारत के वायसरायों की पेंटिंग लटकी रहती थी, वहां तिरंगे झंडे लहराने लगे थे.

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शहर से लेकर गांव तक आजादी का जश्न शुरू हो गया था

लैपियर और कॉलिंस अपनी किताब 'फ्रीडम ऐट मिडनाइट' में आजादी के जश्न का भी जिक्र किया है. उन्होंने बताया है कि देश को आजादी भले ही 15 अगस्त 1947 को मिली, लेकिन 14 अगस्त 1947 की सुबह से ही देशभर में जश्न का माहौल था. शहर से लेकर गांव तक आजादी पाने का जश्न शुरू हो गया था. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में लोग घरों से निकल पड़े थे. लोग साइकिल, कार, बस, रिक्शा, तांगा, बैलगाड़ी और हाथी-घोड़ों पर भी सवार होकर इंडिया गेट पहुंचने लगे थे. माहौल ऐसा था कि लोग नाचने-गाने लगे थे. एक-दूसरे को बधाइयां दे रहे थे और हर तरफ राष्ट्रगान की धुन सुनाई पड़ रही थी.

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सुमित राय

राजनीतिक खबरें लिखने और पढ़ने के अलावा समय निकालकर घूमने का शौक है. खाना बनाने और खाने में मजा आता है. माखनलाल चतुर्वेदी राष्‍ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय से जर्नलिज्‍म की मास्‍टर डिग्र...और पढ़ें

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