धन्य हैं झारखंड के इंजीनियर! बाउंड्री वॉल से जोड़कर बना दिया पुल, फूंक दिए 3 करोड़ रुपये
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धन्य हैं झारखंड के इंजीनियर! बाउंड्री वॉल से जोड़कर बना दिया पुल, फूंक दिए 3 करोड़ रुपये

Dhanbad News: झारखंड के धनबाद में जिला प्रशासन की लापरवाही के कारण रैयती जमीन पर 3 करोड़ की लागत से पुल का निर्माण किया गया है. जिसका एक सिरा सरकारी जमीन पर है, जबकि दूसरा सिरा एक निजी रैयती जमीन से जाकर टकराता है, जहां पहले ही जमीन मालिक ने बाउंड्री वॉल बना खड़ा किया हुआ है. 

 

DMFT फंड का दुरुपयोग
DMFT फंड का दुरुपयोग

Dhanbad News: झारखंड के धनबाद जिले में एक बार फिर ज़ी मीडिया की खबर का असर हुआ है. बाघमारा प्रखंड के जमुआटांड़ पंचायत क्षेत्र के खमाड़गौड़ा गांव में पुल के आगे रैयत के द्वारा दीवार खड़ा करने की खबर को ज़ी मीडिया ने प्रमुखता से दिखाया था. खबर चलने के बाद जिला प्रशासन हरकत में आई और जांच के लिए अपने कर्मचारी को भेजा. जांच के दौरान पता चला कि DMFT फंड से 3 करोड़ की लागत से बना यह पुल रैयती जमीन पर है. करोड़ों की लागत से तैयार किया गया यह पुल देखने में तो ठीक ठाक लगता है, लेकिन यह ग्रामीणों के लिए किसी काम का नहीं है. पुल का एक सिरा सरकारी जमीन पर बना है. तो वहीं, दूसरा सिरा एक निजी रैयती जमीन से जाकर टकराता है, जहां पहले की जमीन मालिक ने बाउंड्री वॉल बना रका है. DMFT फंड यानी जिला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट के तीन करोड़ की लागत से साल 2021 में पुल का निर्माण शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य ग्रामीणों को बेहतर सड़क और आवागमन सुविधा देना था, लेकिन अफसरों की लापरवाही या कहें ‘कागजी विकास’ की हड़बड़ी में यह पुल बन तो गया, पर इसका उपयोग कोई नहीं कर पा रहा.

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वहीं, स्थानीय लोगों का कहना है कि योजना बनाते समय ना तो मापी हुई, ना ही जमीन मालिक से सहमति ली गई. सीधे निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया. जैसे सब कुछ पहले से ही तय हो. नतीजा रहा की एक अधूरा पुल, जो सिर्फ सरकारी धन की बर्बादी का गवाह बन गया है.

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जब हो हंगामा, मीडिया और ग्रामीणों के विरोध के बाद अंचल अधिकारी हरकत में आए. तब प्रभारी अंचल निरीक्षक को भेजकर पुल की मापी करवाई गई. जांच में सामने आया कि जिस जमीन पर पुल का रास्ता रुक गया है, वह पूरी तरह वैध रैयती जमीन है और उस पर बने बाउंड्री वॉल को हटाने का कोई आधार नहीं है. 

इनपुट - नितेश मिश्रा

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