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मोतिहारी के बलुआ चौक की रहने वाली 14 वर्षीय आराध्या सिंह ने ऐसा कार्य कर दिखाया है, जिसकी चर्चा पूरे देश में हो रही है. इतनी कम उम्र में आराध्या ने 234 भाषाओं में हनुमान चालीसा का अनुवाद कर एक नया रिकॉर्ड बनाया है. उनका उद्देश्य है कि दुनिया भर में बसे भारतीयों और युवाओं तक सनातन धर्म की भावना को सरल भाषा में पहुँचाया जाए.
आराध्या का कहना है कि आज की युवा पीढ़ी फेसबुक, इंस्टाग्राम और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ज्यादा समय बिताती है. ऐसे में यदि धार्मिक ग्रंथों को उनकी भाषा में उपलब्ध कराया जाए तो उनमें आध्यात्मिक रुचि बढ़ेगी. इसी सोच के साथ उन्होंने यह प्रयास शुरू किया ताकि बच्चे और युवा हनुमान चालीसा को पढ़ें, समझें और उसका पाठ करें.
आराध्या ने बताया कि उन्होंने इस कार्य में गूगल और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ट्रांसलेटर टूल्स की मदद ली. इसके जरिए उन्होंने संस्कृत, मैथिली, भोजपुरी, अंग्रेज़ी, कोरियन, जापानी, लैटिन जैसी भाषाओं सहित कुल 234 भाषाओं में अनुवाद किया. इस काम में उन्हें कई तकनीकी कठिनाइयाँ भी आईं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी.
आराध्या ने साफ तौर पर कहा कि उनकी यह पहल खास तौर पर प्रवासी भारतीयों के लिए है. भारत से दूर रहकर भी भारतीय संस्कृति से जुड़े रहना उनके लिए जरूरी है. अनुवाद के ज़रिए वह यह सुनिश्चित करना चाहती हैं कि कोई भी भाषा बाधा न बने भक्ति में. उन्होंने इसे एक आध्यात्मिक सफर की शुरुआत बताया.
आराध्या के इस प्रयास की सराहना स्थानीय लोगों, शिक्षकों और धार्मिक संगठनों ने भी की है. लोग इसे "नन्हीं उम्र में बड़ी सोच" मानते हुए प्रेरणादायक बता रहे हैं. वे चाहते हैं कि सरकार और समाज ऐसे बच्चों को प्रोत्साहित करे जो धर्म, संस्कृति और तकनीक को साथ लेकर चल रहे हैं.
इनपुट- पंकज कुमार
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