Patna News: खान सर की कलाई पर बंधी हजारों राखियां, रक्षाबंधन पर भव्य आयोजन
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Patna News: खान सर की कलाई पर बंधी हजारों राखियां, रक्षाबंधन पर भव्य आयोजन

Patna News: राजधानी पटना के श्री कृष्ण मेमोरियल हॉल मे प्रसिद्ध शिक्षक खान सर के द्वारा रक्षाबंधन को लेकर कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस दौरान हजारों की संख्या में छात्राएं पहुंची, जो खान सर की कलाई पर राखियां बांधी.

खान सर की कलाई पर बंधी हजारों राखियां
खान सर की कलाई पर बंधी हजारों राखियां

Patna News: बिहार की राजधानी पटना स्थित श्री कृष्ण मेमोरियल हॉल में प्रसिद्ध शिक्षक और युवाओं के प्रेरणास्रोत खान सर के द्वारा रक्षाबंधन के शुभ अवसर पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में बिहार ही नहीं, बल्कि देश के कोने-कोने से हजारों की संख्या में छात्राएं शामिल हुईं और खान सर की कलाई पर राखियां बांधीं. भावनाओं से भरे इस दृश्य ने रक्षाबंधन के महत्व को एक नई ऊंचाई दी. कार्यक्रम में मौजूद छात्राओं का उत्साह देखने लायक था. सभी छात्राएं अपने प्रिय शिक्षक को राखी बांधकर उन्हें भाई के रूप में सम्मान और स्नेह प्रदान कर रही थीं.

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इस दौरान खान सर की कलाई इतनी राखियों से भर गई कि उन्हें खुद कहना पड़ा, 'अब और राखी बांधने की जगह नहीं बची है.' कार्यक्रम के बाद खान सर ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि उन्हें गर्व है कि इस आधुनिक युग में भी भारत की परंपराएं और संस्कृति जीवित हैं. उन्होंने बताया कि रक्षाबंधन जैसे पर्व न सिर्फ भाई-बहन के रिश्ते को मजबूती देते हैं, बल्कि समाज को भी जोड़ने का काम करते हैं. उन्होंने कहा, 'भारत का गौरव है हमारा रक्षाबंधन और हम सबकी नैतिक जिम्मेदारी है कि हम अपनी संस्कृति और परंपराओं को बचाकर रखें.'

खान सर ने बताया कि इस आयोजन में देशभर से लड़कियां शामिल हुईं, बिहार के हर जिले से लेकर भारत के हर राज्य से छात्राएं पहुंचीं. उनके लिए खाने-पीने की 156 प्रकार की व्यवस्था की गई थी, ताकि किसी को कोई असुविधा न हो. अपने शिक्षण शैली को लेकर उन्होंने कहा, 'मैं हमेशा से लड़कियों को अपनी बहन मानकर पढ़ाता हूं. क्लास में जब मैं उन्हें डांटता या उनका मजाक उड़ाता हूं, तो वो केवल मेरे प्रेम और स्नेह का एक रूप होता है.' यह आयोजन न सिर्फ एक त्योहार की रस्म अदायगी था, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, शिक्षक-छात्र संबंध और सामाजिक मूल्यों की जीवंत प्रस्तुति भी थी. खान सर का यह अनूठा प्रयास निस्संदेह आज की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणास्पद है.

इनपुट- सुंदरम कुमार

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