Mukesh Sahni on Caste Census: वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी ने केंद्र द्वारा जातीय जनगणना कराने के निर्णय को सामाजिक न्याय की दिशा में एक ऐतिहासिक जीत बताया है. उन्होंने इसे समाजवादियों की लंबी लड़ाई का परिणाम बताया और आगे 'गिनती के बाद हिस्सेदारी' की मांग दोहराई. सहनी ने स्पष्ट किया कि अब वक्त पहचान नहीं, बल्कि अधिकार की मांग का है.
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Jatiya Janganana: विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख और बिहार सरकार के पूर्व मंत्री मुकेश सहनी ने जातीय जनगणना को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने केंद्र सरकार के इस फैसले को समाजवादियों और सामाजिक न्याय के समर्थकों की ऐतिहासिक जीत करार दिया. सहनी ने कहा कि यह जनगणना देश में बहुसंख्यक आबादी को उनकी हिस्सेदारी दिलाने की दिशा में अहम कदम है.
मुकेश सहनी ने जातीय जनगणना के बाद प्रतिनिधित्व और संसाधनों में हिस्सेदारी की मांग को दोहराया. उन्होंने कहा, *“जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी हो”* — यही हमारी आगे की लड़ाई का नारा होगा. उन्होंने मांग की कि जिस प्रकार अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) को विधानसभा चुनावों में आरक्षण मिला है, उसी तरह पिछड़ों और अति पिछड़ों को भी यह सुविधा मिलनी चाहिए.
सहनी ने कहा कि जातिगत आंकड़ों के आधार पर यदि सरकारी योजनाएं बनेंगी तो इससे वंचित और पिछड़े वर्गों को सटीक लाभ मिल सकेगा. उन्होंने कहा कि बिना सही डाटा के सामाजिक न्याय सिर्फ नारेबाजी रह जाती है. इस जनगणना से हकीकत सामने आएगी और वंचित तबकों को उनका हक मिलेगा. वीआईपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बी. के. सिंह, राष्ट्रीय प्रवक्ता देव ज्योति और मोहम्मद नुरुल होदा ने भी इस निर्णय का स्वागत किया. उनका कहना है कि यह फैसला विपक्ष के दबाव का परिणाम है और यह सामाजिक न्याय की राह में एक अहम पड़ाव है. उन्होंने सरकार से मांग की कि जातीय जनगणना एक निर्धारित समय सीमा में पूरी की जाए.
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