तेज प्रताप यादव का RJD से निष्कासन सियासी नाटक या सचमुच की कार्रवाई?, क्या है लालू का प्लान? जानिए इनसाइड स्टोरी
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तेज प्रताप यादव का RJD से निष्कासन सियासी नाटक या सचमुच की कार्रवाई?, क्या है लालू का प्लान? जानिए इनसाइड स्टोरी

राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने अपने बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को 6 साल के लिए पार्टी और परिवार से निकालने का ऐलान एक ट्वीट के जरिए किया. वहीं अब अब्दुल बारी सिद्दीकी द्वारा आधिकारिक पत्र अब सवालों के घेरे में है. सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह निष्कासन असली है या बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले सियासी नाटक? तेज प्रताप का पार्टी लोगो का इस्तेमाल और वेबसाइट पर उनकी तस्वीर बरकरार रहना इस भ्रम को और बढ़ा रहा है.

तेज प्रताप का RJD से निष्कासन सियासी ड्रामा या असली कार्रवाई?
तेज प्रताप का RJD से निष्कासन सियासी ड्रामा या असली कार्रवाई?

बिहार की सियासत में इन दिनों हलचल मची हुई है. राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने 25 मई को एक ट्वीट के जरिए अपने बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित करने का ऐलान किया. इतना ही नहीं, लालू ने यह भी कहा कि तेज प्रताप को परिवार से भी बेदखल कर दिया गया है. इस ट्वीट में लालू ने तेज प्रताप के व्यवहार को गैर-जिम्मेदाराना और परिवार के मूल्यों के खिलाफ बताया. लेकिन हैरानी की बात यह है कि इस निष्कासन की कोई आधिकारिक पुष्टि, जैसे पत्र या प्रेस विज्ञप्ति पार्टी की ओर से तब जारी नहीं की गई.

क्या है निष्कासन का सच?
तेज प्रताप के निष्कासन की खबर ने कई सवाल खड़े किए हैं. आमतौर पर किसी बड़े नेता को पार्टी से निकालने के लिए एक तय प्रक्रिया होती है, जिसमें कारण बताओ नोटिस, अनुशासन समिति की बैठक और आधिकारिक पत्र शामिल होता है. लेकिन इस बार सिर्फ एक ट्वीट के आधार पर निष्कासन की बात सामने आई, जिससे लोग हैरान थे. जिससे यह सवाल उठ रहा है कि क्या यह निष्कासन असली है या सिर्फ सियासी नाटक?

तेज प्रताप का रवैया बढ़ा रहा भ्रम
तेज प्रताप का व्यवहार भी इस मामले को और उलझा रहा है. अगर वे सचमुच पार्टी से निकाले गए हैं, तो फिर वे RJD के लोगो वाली तस्वीरें अपने सोशल मीडिया पर क्यों इस्तेमाल कर रहे हैं? हाल ही में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिहार दौरे पर तंज कसते हुए RJD के आधिकारिक ग्राफिक्स शेयर किए. आमतौर पर निष्कासित नेता पार्टी से दूरी बना लेते हैं, लेकिन तेज प्रताप पार्टी की नीतियों का समर्थन करते दिख रहे हैं. इससे लगता है कि उनका निष्कासन शायद सिर्फ दिखावे के लिए हो.

RJD की वेबसाइट पर अब भी तेज प्रताप की तस्वीर
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि RJD की आधिकारिक वेबसाइट पर अभी भी तेज प्रताप की तस्वीर लालू और तेजस्वी यादव के साथ मौजूद है. अगर कोई नेता पार्टी से निकाला जाता है, तो उसकी तस्वीर वेबसाइट से हटा दी जाती है. लेकिन ऐसा नहीं होने से यह संदेह और गहरा हो रहा है कि क्या यह निष्कासन सिर्फ जनता को दिखाने के लिए है? राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह लालू की रणनीति हो सकती है.

क्या है इस नाटक के पीछे की वजह?
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह पूरा मामला दो संभावनाओं की ओर इशारा करता है. पहला, लालू यादव तेज प्रताप को अनुशासित करने के लिए यह कदम उठा रहे हों, बिना उन्हें पूरी तरह पार्टी से अलग किए. दूसरा, यह बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले जनता के बीच RJD की छवि को ठीक करने की कोशिश हो सकती है. तेज प्रताप के बयानों से पार्टी को किरकिरी झेलनी पड़ी थी, और इस निष्कासन से जनता को यह संदेश देने की कोशिश हो रही हो कि RJD अनुशासन को लेकर गंभीर है. लेकिन बिना किसी आधिकारिक दस्तावेज के यह कार्रवाई सवालों के घेरे में है.

कानूनी और सियासी पहलू
किसी नेता को पार्टी से निकालने के लिए पार्टी संविधान में तय प्रक्रिया होती है, जैसे नोटिस जारी करना, अनुशासन समिति की बैठक और विधानसभा या चुनाव आयोग को सूचना देना. तेज प्रताप के मामले में यह सब गायब है. जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत, अगर किसी नेता को दो साल या उससे ज्यादा की सजा मिलती है, तो वह सजा पूरी होने के 6 साल तक चुनाव नहीं लड़ सकता. शायद इसीलिए 6 साल का निष्कासन आम है, ताकि पार्टी अपनी नैतिक छवि बनाए रखे. लेकिन बिना स्पष्ट प्रक्रिया के तेज प्रताप का निष्कासन फिलहाल सियासी संदेश ज्यादा लग रहा है.

राजनीतिक विश्लेषकों का क्या कहना है ?
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि तेज प्रताप यादव को परिवार से निकालने की बात बेमानी है, क्योंकि इसके लिए लालू प्रसाद यादव को कोर्ट का रास्ता अपनाना पड़ेगा. राजनीतिक विश्लेषक का मानना है कि RJD से उनके निष्कासन में भी बड़ा घपला नजर आता है. 31 मई तक निष्कासन का कोई आधिकारिक पत्र सामने नहीं आया था. सारे ऐलान सोशल मीडिया के जरिए किए जा रहे थे. जब इस पर सवाल उठे तो जल्दबाजी में 1 जून को 25 मई की तारीख वाला पत्र जारी किया गया. कुछ लोगों ने इस पत्र की कॉपी शेयर कर विश्लेषक के दावों को गलत बताया, लेकिन सवाल यह है कि जब लालू यादव और अब्दुल बारी सिद्दीकी 25 मई को पटना में थे तो निष्कासन पत्र दिल्ली के वीपी हाउस से क्यों जारी हुआ? पत्र में कई तकनीकी खामियां हैं, जो भविष्य में तेज प्रताप की RJD में वापसी का रास्ता खोल सकती हैं. विश्लेषकों का मानना है कि 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले तेज प्रताप की पार्टी में वापसी तय है और यह सब सियासी रणनीति का हिस्सा हो सकता है.

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