बाढ़ की साजिश का आरोप बेबुनियाद...केंद्र ने ममता के दावों को किया खारिज, कहा- वैज्ञानिक तरीके से हुआ जल प्रबंधन
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बाढ़ की साजिश का आरोप बेबुनियाद...केंद्र ने ममता के दावों को किया खारिज, कहा- वैज्ञानिक तरीके से हुआ जल प्रबंधन

Mamata Banerjee: केंद्र ने पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के डीवीसी द्वारा पानी छोड़े जाने के पीछे किसी साज़िश के दावों का खंडन करते हुए दावा किया कि बाढ़ को रोकने के लिए इसे वैज्ञानिक तरीके से प्रबंधित किया गया था. केंद्रीय मंत्री पाटिल ने पिछले कई सालों के उल्लेखनीय रूप से बढ़ी हुई बारिश और इनफ्लो पर प्रकाश डाला.

 

बाढ़ की साजिश का आरोप बेबुनियाद...केंद्र ने ममता के दावों को किया खारिज, कहा- वैज्ञानिक तरीके से हुआ जल प्रबंधन

केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के उस आरोप को खारिज किया है, जिसमें उन्होंने दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) पर राज्य में बाढ़ लाने की साजिश का आरोप लगाया था. केंद्र ने कहा कि झारखंड के दो जलाशयों से पानी छोड़ने का काम पूरी तरह वैज्ञानिक तरीके से किया गया, ताकि निचले इलाकों में बाढ़ से बचा जा सके. टीमएसी नेता सोशसल मीडिया हैंडल एक्स पर बनर्जी की पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए, जिसमें उन्होंने सोमवार को डीवीसी पर चरम मानसून के दौरान 'अचानक' और 'अभूतपूर्व रूप से उच्च' पानी छोड़ने का आरोप लगाया था, केंद्रीय जल शक्ति (जल संसाधन) मंत्री सीआर पाटिल ने एक दिन बाद कहा कि मैथन और पंचेत जलाशयों से पानी छोड़ने का फैसला दामोदर घाटी जलाशय विनियमन समिति (DVRRC) द्वारा लिया जाता है, जिसकी अध्यक्षता सेंट्रल वाटर कमीशन करता है, जिसमें डीवीसी और पश्चिम बंगाल और झारखंड की राज्य सरकारों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं.

पाटिल ने X पर बताया कि मई से जुलाई 2025 के बीच दामोदर बेसिन में 815 मिमी बारिश हुई, जो पिछले कई सालों की तुलना में काफी ज्यादा है. इसका असर यह हुआ कि जून-जुलाई 2025 में जलाशयों में पानी का प्रवाह 2024 की तुलना में 16 गुना और 2023 की तुलना में 43 गुना ज्यादा रहा इसके बावजूद DVRRC ने वैज्ञानिक तरीके से पानी छोड़ा और बाढ़ के खतरे को कम करने के लिए अधिकतम जल प्रवाह 70,000 क्यूसेक तक सीमित रखा. वहीं, ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि 2025 में DVC ने 2024 की तुलना में 11 गुना और 2023 की तुलना में 30 गुना ज्यादा पानी छोड़ा, जिससे दक्षिण बंगाल में बार-बार बाढ़ जैसे हालात पैदा करने की कोशिश हो रही है.

'इस साल जून-जुलाई में डीवीसी ने 50,287 लाख क्यूबिक मीटर पानी छोड़ा'

जबकि, इस साल जून-जुलाई में डीवीसी ने 50,287 लाख क्यूबिक मीटर पानी छोड़ा. वहीं, पिछले साल इसी दौरान 4,535 लाख घन मीटर पानी छोड़ा गया था. इसे लेकर उन्होंने कहा कि बंगाल को बाढ़ में डुबोने के लिए इस बार पानी छोड़ने में जो भारी बढ़ोतरी हुई है, वह बेहद चौंकाने वाली और परेशान करने वाली है. सोमवार को अपने पोस्ट में उन्होंने कहा कि इस साल डीवीसी ने बंगाल को निराश किया है. केंद्र द्वारा नियंत्रित यह संस्था अब लगातार बंगाल विरोधी होती जा रही है, जैसा माहौल केंद्र सरकार पूरे देश में बना रही है. इसी दिन राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में पाटिल ने बताया कि 18 जून से 15 जुलाई 2025 के बीच मैथन और पंचेत बांधों से डीवीसी ने 27,987 लाख क्यूबिक मीटर पानी छोड़ा.

टीएमसी सांसद रितब्रत बनर्जी ने पूछा था सवाल

यह सवाल टीएमसी सांसद रितब्रत बनर्जी ने पूछा था. दिलचस्प बात यह है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने एक्स (X) पर आरोप तब लगाया, जब उनके ही पार्टी सांसद को सोमवार को राज्यसभा में पाटिल का लिखित जवाब मिल चुका था. पाटिल ने साफ किया कि DVRRC को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वह दोनों जलाशयों से पानी छोड़ने के काम में डीवीसी (DVC) को एक संगठित तरीके से गाइडेंस दे, ताकि बाढ़ कंट्रोल के साथ-साथ पश्चिम बंगाल, झारखंड और डीवीसी को पीने के पानी, सिंचाई, नाव संचालन और उद्योगों की ज़रूरतों को पूरा किया जा सके.

उन्होंने कहा कि DVRRC जलाशयों के संचालन के लिए एक व्यवस्थित और वैज्ञानिक तरीका अपनाता है, जो डैमोडर वैली रिजर्वॉयर रेगुलेशन मैनुअल के मुताबिक होता है. यह मैनुअल डीवीसी, पश्चिम बंगाल और झारखंड सरकार से सलाह के बाद तैयार किया गया है. 

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मोहम्मद अमजद शोएब

मोहम्मद अमजद शोएब पूर्णिया से निकलकर दिल्ली में पत्रकारिता कर रहे हैं. वे जर्नलिज्म में पोस्ट ग्रेजुएट हैं. देश की सियासत, इतिहास और साहित्य में गहरी रुचि रखते हैं. अमजद निष्पक्षता और ईमानदारी के स...और पढ़ें

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