DNA: पवित्र पंढरपुर यात्रा में मुस्लिम महिला ने फेंका मांस, देश में हिंदुओं को उकसाने की बार-बार क्यों हो रही कोशिश
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DNA: पवित्र पंढरपुर यात्रा में मुस्लिम महिला ने फेंका मांस, देश में हिंदुओं को उकसाने की बार-बार क्यों हो रही कोशिश

Pandharpur Yatra 2025 Meat Throwing Controversy: महाराष्ट्र में हर साल होने वाली पवित्र पंढरपुर यात्रा में एक बार फिर हिंदुओं को उकसाने की कोशिश की गई. आरोप है कि एक मुस्लिम महिला ने यात्रियों पर मांस और हड्डियां फेंक दी.

DNA: पवित्र पंढरपुर यात्रा में मुस्लिम महिला ने फेंका मांस, देश में हिंदुओं को उकसाने की बार-बार क्यों हो रही कोशिश

DNA Analysis on Pandharpur Yatra 2025: पुणे में पवित्र पंढरपुर पालकी यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं पर मांस फेंकने का आरोप लगा है. आरोप है कि एक मुस्लिम महिला ने पवित्र यात्रा में शामिल भक्तों पर हड्डियां और मांस फेंका. ये घटना पुणे के गैबीपीर दरगाह के पास हुई. वहां पर पवित्र आषाढ़ी वारी के दौरान जुलूस के गुजरने वाले इलाकों में मांस और शराब की बिक्री पर बैन है. इसलिए आस्था को ठेस पहुंचाने वाली घृणित साजिश पर एक्शन की मांग हो रही है. 

सद्भाव का माहौल बिगाड़ने की साजिश

कैसे आस्था को ठेस पहुंचाकर देश में सद्भाव का माहौल बिगाड़ने की साजिश हो रही है हम इसकी पूरी डिटेल आपको बताएंगे. लेकिन पहले आपको पंढरपुर की पवित्र यात्रा पर छोटी सी जानकारी देते हैं. हिंदू माह आषाढ की एकादशी के दिन भगवान विठ्ठल का दर्शन करने के लिए महाराष्ट्र के अलग अलग स्थानों से लाखों श्रद्धालु पंढरपुर की पैदल यात्रा पर निकलते हैं. ये यात्रा महाराष्ट्र की पहचान है.

पंढरपुर यात्रा करीब 800 सालों से चल रही है. ये पवित्र यात्रा लगभग 250 किलोमीटर की होती है. श्रद्धालु पैदल चलते हुए 21 दिन में यात्रा को पूरा करते हैं. इस दौरान महाराष्ट्र में संतो-महात्माओं के जन्मस्थान से पालकी निकलती है. पालकी में संतों की चरण पादुकाएं लेकर श्रद्धालु पंढरपुर पहुंचते हैं. 

भजन करते हुए पंढरपुर पहुंचते हैं श्रद्धालु

पूरे महाराष्ट्र से लाखों श्रद्धालु भजन कीर्तन करते हए पंढरपुर पहंचते हैं. यात्रा के दौरान भगवान श्री विट्ठल के भक्तों को कोई असुविधा ना हो इसके लिए प्रशासन भी मुस्तैद रहता है. प्रशासन की मुस्तैदी के बाद भी भक्तों की आस्था को ठेस पहुंचाने की साजिश हुई. हालांकि पुलिस इस मामले पर ढुलमुल रवैया अपना रही है. 

यहां हम आपको बताना चाहेंगे कि ये पहली बार नहीं है, जब दूषित मानसिकता के लोगों ने पवित्र आस्था को खंडित करने की साजिश की है. पिछले कुछ महीनों से लगातार ऐसी घटनाएं हुई है. एक तयशुदा पैटर्न के ताहत बार-बार आस्था को ठेस पहुंचाने की साजिश हो रही है.

हिंदुओं को उकसाने की कोशिश

इसी महीने ईद के बाद असम के धुबरी में हनुमान मंदिर के बाहर गाय का अवशेष फेंका गया था. असम के ही बदरपुर और लखीपुर में शिव मंदिरों के पास मांस और हड्डियां फेंकी गई. उत्तर प्रदेश के लखनऊ, प्रयागराज, अमेठी और सोनभद्र में मंदिरों के बाहर गाय के अवशेष फेंके गए. इस साल मार्च में महाकुंभ मेले के बाद हिंदू घरों के बाहर गाय के अवशेष फेंके गए थे. राजस्थान, मध्य प्रदेश और झारखंड से भी मंदिरों के पास या हिंदू धार्मिक समारोहों में मांस फेंके जाने की घटनाएं हुई है.

बेशक घटनाएं देश के अलग-अलग राज्यों में हुई हैं. लेकिन इनका पैटर्न एक ही है. श्रद्धालुओं की आस्था को ठेस पहुंचाना और उन्हें भड़काना. सामाजिक सद्भाव बिगाड़नेवाली साजिश का ये पैटर्न देश के कई राज्यों में दिखाई देता है. जरूरी है कि नफरती मानसिकता वाले ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कर्रवाई हो. क्योंकि ये छोटी सी दिखनेवाली साजिश किसी बड़ी हिंसक घटना की वजह बन सकती है.

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