Farooq Abdullah on Pakistan: 'मत छोड़ो मौलाना मसूद को... मैं कहता रहा लेकिन मेरी बात नहीं मानी', पहलगाम हमले पर छलका फारूक अब्दुल्ला का दर्द
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Farooq Abdullah on Pakistan: 'मत छोड़ो मौलाना मसूद को... मैं कहता रहा लेकिन मेरी बात नहीं मानी', पहलगाम हमले पर छलका फारूक अब्दुल्ला का दर्द

Farooq Abdullah: पहलगाम हमने के बाद से फारूक अब्दुल्ला का भी पाकिस्तान को लेकर जो सॉफ्ट कॉर्नर था, वो खत्म हो गया. फारूक ने कहा कि बिना किसी मदद के ऐसा आतंकी हमला हो ही नहीं सकता. इन सबके हैंडलर्स उस पार ही थे. 

 

kandhaar hijack
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India Pakistan Tension: बीते कई दशकों से पाकिस्तान के साथ बातचीत करने की पैरवी करने वाले जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला के सुर बदल गए हैं. पाकिस्तान से उनका मोहभंग हो चुका है. अब वे भी पाकिस्तान पर कड़े एक्शन की मांग कर रहे हैं. पहलगाम में हुए आतंकी हमले पर फारूक ने कहा कि उन्होंने इंसानियत का कत्ल किया है.

बिना मदद के पहलगाम आतंकी हमला नहीं हो सकता

समाचार एजेंसी IANS को दिए इंटरव्यू में फारूक ने खुलकर कहा कि पहलगाम से पहले उड़ी, पुलवामा, पठानकोट, पुंछ और मुंबई हमले में भी हैंडलर वहीं थे. ये सभी लोग जानते हैं. पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए फारूक ने कहा कि उनको लगा कि हम अमन से रह रहे हैं और यहां हजारों पर्यटक घूम रहे हैं. उनको यह पसंद नहीं आया. हम 1947 में उनके साथ नहीं गए तो वह अब जितना हमें बर्बाद कर सकेंगे, वो ऐसा करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. पहलगाम हमले में स्थानीय नागरिकों के हाथ होने के सवाल पर उन्होंने साफ कहा कि यह घटना किसी मदद के बिना नहीं हो सकती. जब तक आतंकियों का कोई साथ नहीं देगा, ऐसा हमला नहीं होगा. वह कहां से आए और किस तरीके से ये हमला किया? 

न छोड़े तो आज सूरत कुछ और होती

फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि जब मौलाना मसूद अजहर को छोड़ा गया था, उसी समय मैंने इसका विरोध किया था. तब मैंने कहा था उसको मत छोड़ें. लेकिन किसी ने मेरी बात नहीं मानी और उसे लेकर चले गए. क्या पता इस हमले में उसका भी हाथ हो. जिसने पाकिस्तान में बच्चों को मारा हो और मेरे चचेरे भाई को घर में घुसकर गोली मार दी हो, उस शख्स को हमने बड़ी मुश्किल से पकड़ा था. मगर उसे जहाज में बैठाकर कंधार छोड़ आया गया. हमारी एक भी बात नहीं सुनी गई. अगर उसे छोड़ा न गया होता तो आज सूरत कुछ और होती.  

पीओके पर फैसला पीएम मोदी को करना है

क्या पीओके को भारत वापस ले सकता है? इस सवाल पर फारूक ने कहा कि यह देश के प्रधानमंत्री का फैसला होगा और इसमें मैं उनको कोई राय नहीं दे सकता, क्योंकि वह हमारी राय मानने के लिए तैयार नहीं होते हैं. प्रधानमंत्री के हाथ में देश सुरक्षित होने के सवाल पर फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि अगर देश पीएम के हाथों में सुरक्षित नहीं होता, वह पीएम नहीं होते. आज प्रधानमंत्री को हर एक नागरिक का ख्याल रखना है और वो ऐसा कर भी रहे हैं. 

50 साल से लोग यहां रह रहे, अब कहां जाएंगे

पाकिस्तानियों को भारत से बाहर निकाले जाने पर फारूक ने कहा कि लोग पिछले 50 साल से यहां रह रहे हैं. यहां उन्होंने शादी की. उनके बच्चे भी यही हुए हैं. मगर, अब उनको पाकिस्तान भेज दिया जा रहा. पाकिस्तान भी उनको कबूल कर नहीं रहा. लोग बॉर्डर पर बैठे हुए हैं और पाकिस्तान ने बॉर्डर बंद कर दिया. वह लोग न यहां के रहे और न ही वहां के रहे. आप क्या इंसाफ कर रहे हैं? आप उनको कहां भेजेंगे? अगर पाकिस्तान लेने के लिए तैयार नहीं है तो वह क्या करेंगे?  

सिंधु का पानी जम्मू-कश्मीर को ही मिले

पहलगाम हमले के बाद सिंधु नदी का पानी रोके जाने के फैसले पर उन्होंने कहा कि हम सिंधु समझौते को लेकर कई सालों से कह रहे हैं कि इसको री-नेगोशिएट करना चाहिए. हम उस पानी से पावर तो बना रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद उनके लोग आकर यहां देखते हैं. हम लोगों का सिंधु के पानी पर पूरा हक है. जम्मू-कश्मीर में पहले से ही पानी की कमी है. पानी के मसले पर काम करने का ये बेहतरीन वक्त है. हमारा ही पानी और हम लोग ही इस्तेमाल नहीं करते हैं. अब इस ट्रीटी को री-नेगोशिएट करना पड़ेगा. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि अभी उंगलियां उठाने का वक्त नहीं है. किसी पर इल्जाम लगाने की जरूरत नहीं है बल्कि एक्शन होना चाहिए. 

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