MP News: आखिर ऐसा क्या करता है इंदौर, जो हर बार स्वच्छता में आता है नंबर-वन, जानिए फार्मुला
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MP News: आखिर ऐसा क्या करता है इंदौर, जो हर बार स्वच्छता में आता है नंबर-वन, जानिए फार्मुला

Indore News: इंदौर ने इस बार भी देश का सबसे स्वच्छ शहर बनने की उपाधि हासिल की है, जिसका श्रेय वहां के कचरा प्रबंधन को दिया जा रहा है. चलिए जानते हैं कि आखिर ऐसा क्या है, जिसके चलते इंदौर लगातार स्वच्छता में नंबर वन आ रहा है. 

MP News: आखिर ऐसा क्या करता है इंदौर, जो हर बार स्वच्छता में आता है नंबर-वन, जानिए फार्मुला

madhya pradesh news: एमपी का इंदौर जो देश का मिनी मुंबई और एमपी का वाणिज्यिक राजधानी कहलाता है. इंदौर पिछले 8 बार से स्वच्छता के मामले में देशभर में नंबर वन खिताब हासिल कर रहा है. इस बार की रैंकिंग में भी इंदौर स्वच्छता के मामले में नंबर वन आया है. लेकिन क्या आपको पता है कि आखिर इंदौर ऐसा क्या करता है, जिसके चलते हर बार स्वच्छता में नंबर वन आता है. अगर नहीं तो चलिए जानते हैं....

दरअसल, इंदौर नगर निगम द्वारा इस सोर्स सेग्रिगेशन का प्रबंधन करने से लोगों में वहां एक अच्छी आदत यह है कि लोग सूखे और गीले कचरे को रखने के लिए अलग-अलग डिब्बों का प्रयोग करते हैं. यह आदत इंदौर को स्वच्छता में नंबर वन बनाए रखने का महत्तवपूर्ण कारक माना जाता है. इंदौरवासी स्वच्छता को जिम्मेदारी की तरह ना लेकर इसे अपनी आदत का मुख्य भाग मानते हैं.

जानिए फार्मुला
इंदौर के हर बार स्वच्छता में नंबर-वन आने का एक ही फार्मुला है ,लोगों में सफाई को लेकर जागरुकता और वहां कचरे का सटीक प्रबंधन, डोर-टू-डोर कलेक्शन, जिसके बाद कचरे को बाहर खुले में फेंका नहीं जाता. बल्कि उस से खाद और गैस उत्पादन किया जाता है. आठ साल पहले इंदौर ने स्वच्छता को सबसे महत्तवपूर्ण कदम मान कर सड़क के किनारे कचरे के ढेर व कचरा पेटियों को हटाने से और हर घर से गीला व सूखा कचरा अलग-अलग लेने से अपने इस स्वच्छता मिशन की शुरुआत की थी (सोर्स सेग्रिगेशन) का नवाचार किया था. नगर निगम द्वारा किए गए इस बदलाव का साथ शहरवासियों ने दिया, उन्होंने अपने घर में गीले व सूखे कचरे का डिब्बा अलग रखा, जिस कारण इंदौर सात साल से स्वच्छता में नंबर-1 रहा ,वहीं आठवीं बार भी देश के सभी शहरों में से  इंदौर सबसे आगे रहा.

स्वच्छता कर्मचारी की मुख्य भुमिका 
हर सुबह 6.30 बजे से शहरों की हर कालोनियों में पहुंचने वाली डोर टू डोर कचरा गाड़ियां कचरा लेकर देर रात छप्पन दुकान व सराफा बाजार के बंद होने के पहले उनका कचरा एकत्र कर ट्रेंचिंग ग्राउंड पहुंचाती है, और तो पूरे शहर के सड़कों पर रंग बिरंगे जिससे लोग पहचान कर सके गिला कचरा किसमें डालना है और सूखा किसमें इस प्रकार हर जगह डिब्बे लगाए हुए है, इस कार्य को करने के लिए रोज दो हजार से ज्यादा कर्मचारी इन वाहनों के साथ मौसम की परवाह किए बिना अपनी जिम्मेदारी निभाते हैं. साल के 365 दिन शहरवासियों व निगम के कर्मचारियों की शहर को नंबर वन बनाने का प्रण ही है, जो इंदौर को हर मुकाबले में सबसे आगे रखती है.

सुपर स्वच्छ लीग में शामिल इंदौर 
इंदौर के सुपर स्वच्छ लीग में शामिल होने के कारण इस बार इंदौर किसी भी शहर से नंबर-1 के खिताब के लिए मुकाबला नहीं कर रहा था. इस सर्वेक्षण में देश के अन्य शहरों के साथ इंदौर का स्कोर कार्ड भी जारी किया गया. जिसमें लीग में शामिल सूरत जो इस बार का नंबर-1 स्वच्छ शहर और अहमदाबाद भी स्वच्छता के अन्य मापदंडों पर इंदौर की तरह शत प्रतिशत अंक पर था.

सोर्स सेग्रिगेशन प्रबंधन में घर-बाजारों से गीला-सूखा कचरा अलग-अलग मिलने  में इंदौर को 98 प्रतिशतअंक मिले, वहीं सूरत को 92 और अहमदाबाद को 94 प्रतिशत अंक मिले. यानी मुकाबला टक्कर का था. पर इंदौर के मुकाबले सूरत, अहमदाबाद व अन्य शहरों को गीला-सूखा कचरा सही रूप से अलग-अलग ना मिलने के कारण, इंदौर इस बार भी सोर्स सेग्रिगेशन के स्कोर कार्ड में सबसे ऊपर खड़ा कर दिया.

सोर्स- नई दुनिया

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