MP Unique Tradition: देवास के रणायर कला गांव में बारिश ना होने से अकाल सी स्थिति हो गई है. लोग अच्छी बारिश के लिए इंद्रदेव को मनाने के लिए अजीबो-गरीब परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं. यहां लोग इंद्रदेव को मनाने के लिए गधे पर बैठकर श्माशान घाट पहुंचे और पूजा अर्चना की.
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इंद्रदेव को प्रसन्न करने उपाय!
Dewas News: नहीं हुई बारिश तो गधे पर बैठकर करने लगे इंद्रदेव की तलाश, श्मशान में आते ही बजा दी बैंड!
Dewas News: यहां इंद्रदेव को मनाने गधे पर बैठकर निकले लोग, श्मशान में पहुंचते ही बजा दी बैंड
Dewas Unique Tradition: एक तरफ जहां मध्य प्रदेश में झमाझम बारिश का दौर जारी है. बारिश के कारण की जगह बाढ़ की स्थित है. वहीं देवास जिले में एक ऐसा गांव है, जो सुखे की चपेट में हैं. हम बात कर रहे हैं, देवास जिले के रणायर कला गांव की, जहां बारिश कम होने के कारण यहां के ग्रामीण चिंतित हैं.. इन्हें फसल खराब होने का डर सता रहा है. शायद इसलिए इंद्र देवता को मनाने के लिए एक अनोखी परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं. यहां के लोग इंद्रदेव को प्रसन्न करने के लिए गधे पर बैठकर श्मशान घाट पहुंच गए.
इस अनोखी परंपरा के बारे में शायद ही आपने कभी सुनी और देखी होगी. इस गांव में जब भी बारिश कम होती है या बारिश नहीं होती है. तो पूरा गांव उमड़ पड़ता है. इंद्र देवता को मनाने के लिए गांव का जो पटेल होता है, उसे गधे पर बिठाकर पूरे ढोल धमाके की थाप पर गांव के लोग नाचते गाते पूरे गांव में शोभायात्रा निकालते हैं. उसके बाद शमशान घाट पर पहुंचकर पूजा अर्चना कर इंद्र देवता को प्रसन्न करते हैं.
ग्रामीणों ने की बारिश की कामना
देवास जिले की टोंक खुर्द तहसील की ग्राम पंचायत रणायर कला में बारिश की कमी से चिंतित ग्रामीणों ने अनोखी परंपरा का पालन करते हुए बारिश की कामना की. गांव के पटेल सजनसिंह को फूल-मालाओं से सजाकर गधे पर बैठाया गया और ढोल-नगाड़ों के साथ पूरे गांव में शोभायात्रा निकाली गई.
फिर गाजे बाजे के साथ यह यात्रा राम मंदिर से शुरू होकर गांव की गलियों से होती हुई श्मशान घाट पहुंची, जहां पटेल सजनसिंह ने विधिपूर्वक पूजा-अर्चना और परिक्रमा कर इंद्रदेव से वर्षा की प्रार्थना की. ग्रामीणों का विश्वास है कि यह परंपरा वर्षों पुरानी है और जब भी गांव में वर्षा नहीं होती, तब इस रीति को निभाया जाता है. स्थानीय जनों के अनुसार, यह प्रयास कई बार फलदायी रहा है और इसके बाद अच्छी वर्षा भी हुई है.
जानिए परंपरा
पटेल सजनसिंह ने बताया, "यह परंपरा हमारे पूर्वजों के समय से चली आ रही है. जब गांव दुखी होता है, तो पटेल को आगे आना चाहिए. गांव का दुख, पटेल का दुख होता है. मैं तो केवल वही निभा रहा हूं, जो हमारे बुजुर्गों ने सिखाया है." परंपरा के तहत श्मशान में पटेल को उल्टा बैठाकर परिक्रमा कराई जाती है, जिसे विशेष रूप से प्रभावी माना जाता है. इस आयोजन में बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने भाग लिया और मिलकर बारिश के लिए सामूहिक प्रार्थना की. हालांकि, आधुनिक सोच वाले कुछ लोग इस परंपरा को अंधविश्वास मान सकते हैं, लेकिन ग्रामीणों के लिए यह एक जीवंत सांस्कृतिक धरोहर है, जो सामूहिकता, श्रद्धा और प्रकृति से जुड़ाव का प्रतीक है.
रिपोर्ट- अमित श्रीवास्तव, जी मीडिया देवास
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