MP News-जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने करारा जबाव देते हुए पाकिस्थान के ई आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया. इसके बाद से ही दोनों देशों के बीच युद्ध जैसे हालात बन गए हैं.
Trending Photos
Martyr Soldier Kalicharan Tiwari-22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की मौत हो गई थी. भारत ने 7 मई को इस हमले के जवाब में पाकिस्तान में स्थित कई आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया. इसके बाद से भारत-पाक के बीच युद्ध जैसे हालात बन गए हैं. तनाव की इस स्थिति में लोगों को सागर के वीर जवान कालीचरण तिवारी की याद आती है. जो अपने फर्ज को निभाने के लिए छुट्टियां कैंसिल कर सीमा पर दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देने पहुंचे थे.
कारगिल युद्ध में कालीचरण तिवारी ने अदम्य साहस और वीरता दिखाते हुए कई दुश्मनों को मौत की नींद सुलाया था.
22 साल की उम्र में हुए थे शहीद
कारगिल युद्ध में महज 22 साल की उम्र में देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहूति देने वाले कालीचरण तिवारी 12वें राष्ट्रीय राइफल के जवान थे. कालीचरण का जन्म 28 अगस्त 1976 में सागर में हुआ था. कारगिल युद्ध में तीसरे मोर्चे पर लड़ते हुए 27 अक्टूबर 1999 को शहीद हो गए थे. देशभक्ति कालीचरण को विरासत में मिली थी.
पिता भी थे सेना में जवान
कालीचरण तिवारी के पिता शिवजन्म तिवारी सेना में जवान थे और रिटायर होने के बाद भूतपूर्व सैनिक के कोटे से पुलिस में भर्ती हो गए थे. पिता से सेना की वीरता के किस्से बचपन से सुनते हुए कालीचरण तिवारी ने तय कर लिया था कि वो भी पिता की तरह देश सेवा करेंगे. हायर सेकेंडरी पास करते ही वो सेना में भर्ती हो गए.
छुट्टी कैंसिल कर पहुंचे थे कारगिल
कालीचरण तिवारी के बड़े भाई दुर्गा तिवारी ने बताया कि कालीचरण मुझसे 2 साल छोटा था. हम दोनों भाई दोस्त की तरह रहते हैं. पैर में गोली लगने के कारण उसे छुट्टी पर भेजा गया था. इसी बीच कारगिल युद्ध शुरू हो गया और वो टीवी पर बैठकर खबरें देखता था और बैचेन हो जाता था. रात में सोते हुए अचानक चीख उठता था. मुझसे बोलता था कि मेरी जरूरत सीमा पर है और मैं यहां घर पर पड़ा हूं. मुझे वापस ड्यूटी पर जाना है. उनसे सागर स्थित महार रेजीमेंट के दफ्तर से अपनी छुट्टी कैंसिल कराई और देश की रक्षा करने के लिए निकल गया. उसने जाते हुए कहा था देख लेना सिविल लाइन में मेरी मूर्ति लगेगी.
सीने में गोली लगने से हुए शहीद
दुर्गा तिवारी ने बताया कि कालीचरण के शहीद होने के बाद सेना की तरफ से एक पत्र आया था, जिसमें जानकारी दी गयी थी कि एक पहाड़ के पीछे आतंकियों के छिपे हुए होने की सूचना मिली थी. कालीचरण को 22 सैनिकों के साथ आतंकियों के सर्च ऑपरेशन के लिए भेजा गया. कालीचरण एलएमजी गन के साथ आगे चल रहे थे और सैनिक पीछे थे.
भारतीय सैनिकों को देख पाकिस्तानी सैनिकों ने पहाड़ के ऊपर से ग्रेनेड फेंका, जिसमें एक जवान जख्मी हो गया. जवान को जख्मी देख कालीचरण ने दुश्मनों पर हमला बोल दिया. उन्होंने खड़े होकर पाक सैनिकों पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी. उन्होंने करीब 4 को मार गिराया, लेकिन उनकी जवाबी फायरिंग में कालीचरण के सीने में 4 गोली लगी. एक गोली उनके सीने में लगने से वो शहीद हो गए. बता दें कि सागर के सिविल लाइन में कालीचरण की मूर्ति लगी हुई है.
मध्य प्रदेश नवीनतम अपडेट्स के लिए ज़ी न्यूज़ से जुड़े रहें! यहां पढ़ें MP News और पाएं MP Breaking News in Hindi हर पल की जानकारी । मध्य प्रदेश की हर ख़बर सबसे पहले आपके पास, क्योंकि हम रखते हैं आपको हर पल के लिए तैयार। जुड़े रहें हमारे साथ और बने रहें अपडेटेड!