Poverty in India: देश में सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का दायरा तेजी से बढ़ा है और भारत की करीब दो तिहाई आबादी इसका लाभ उठा रही है. इस कारण गरीबी की दर भी लगातार नीचे आ रही है.
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Poverty in India: भारत में गरीबी तेजी से घट रही है और इसका दूसरा पहलू ये है कि सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का दायरा तेजी से बढ़ रहा है. नीति आयोग की रिपोर्ट कहती है कि भारत में सामाजिक सुरक्षा योजना के दायरे में अब देश की 64.3 फीसदी आबादी है, जबकि 2016 तक यह सिर्फ 22 फीसदी था. इस कारण महिला-पुरुषों समेत सभी वर्गों में गरीबी वर्ष 2015-16 की 24.85 फीसदी के मुकाबले 2019-21 में महज 14.96 फीसदी रह गई है.
नेशनल इंडिकेटर फ्रेमवर्क प्रोग्रेस रिपोर्ट 2025 की सतत विकास लक्ष्य (SDGs) के तहत 13 मानकों के आधार पर गरीबी घटने का दावा किया गया है. सरकार ने 2030 तक अत्यंत गरीबी को पूरी तरह खत्म करने का लक्ष्य रखा है. रोजाना 1.25 डॉलर प्रति दिन यानी करीब 100 रुपये से कम कमाने वाले इस परिभाषा में आते हैं. वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट कहती है भारत में अत्यंत गरीबी जो 2011-12 में 27.1 फीसदी थी, वो 2022-23 में घटकर 5.3 प्रतिशत रह गई है. अत्यंत गरीबी के तहत आबादी 2011-12 के 7.5 करोड़ से घटकर 2022-23 में महज 3.44 करोड़ रह गई है, यानी इसमें करीब 50 फीसदी की कमी आई है. इससे 2.69 करोड़ लोग अत्यंत गरीबी से बाहर आए हैं.
लाडली बहना योजना, वृद्धावस्था और विकलांगता पेंशन, मुफ्त अनाज की प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना, आयुष्मान योजना के तहत 5 लाख तक फ्री इलाज, फसल बीमा, पेंशन की नई योजनाओं का लाभ देखने को मिला है. गरीब कल्याण योजना के तहत 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन का लाभ पिछले 5-6 वर्षों से दिया जा रहा है.
शुद्ध पेयजल की योजना
भारत के ग्रामीण इलाकों में शुद्ध पेयजल आपूर्ति का अनुपात 2024-25 तक बढ़कर 99.62 फीसदी तक पहुंच गया है. हर घर नल योजना काम कर रही है. देश में बिजली की बढ़ती खपत भी आर्थिक विकास का संकेत है. खेती-किसानी में प्रति कामगार सकल मूल्य 2011-12 के 61,247 से बढ़कर 2024-25 में 94,110 तक पहुंच गया है. ये देश में कृषि उत्पादकता और किसानों की कमाई बढ़ने का संकेत है. देश में इंटरनेट कनेक्शन 2015 के 3.02 करोड़ के मुकाबले 2024 में बढ़कर 9.54 करोड़ तक पहुंच गए हैं. देश में स्टार्टअप की संख्या भी तेजी से बढ़ी है, जो रोजगार में बढ़ोतरी का पैमाना दिखाता है.