DNA Analysis: भारत के सपूतों ने 26 जुलाई 1999 को पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेडकर ऑपरेशन विजय को सफलतापूर्वक पूरा किया था. आज देश ने अपने उन शूरवीरों को सम्मानपूर्वक याद किया लेकिन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने कोई कार्यक्रम नहीं आयोजित किया.
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DNA Analysis: पाकिस्तानी घुसपैठियों के खिलाफ आज ही के दिन हमारे शूरवीरों ने कारगिल में निर्णायक जीत हासिल की थी. भारत के सपूतों ने 26 जुलाई 1999 को पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेडकर ऑपरेशन विजय को सफलतापूर्वक पूरा किया था. आज देश ने अपने उन शूरवीरों को सम्मानपूर्वक याद किया. मित्रों आज आपने सुना की भारतीय शूरवीरों की शौर्यगाथा को सलाम करने के लिए जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने कोई कार्यक्रम किया हो. क्या आपने देखा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कारगिल के शहीदों के सम्मान में कोई आयोजन किया हो. क्या आपने देखा की जमात-ए-इस्लामी हिंद ने विजय दिवस के अवसर पर नौजवानों को शहीदों की बहादुरी की जानकारी देने और देशभक्ति की सीख देने के लिए कोई समारोह किया हो.
आपके मन में ये प्रश्न होगा कि आज हम इन संगठनों का जिक्र क्यों कर रहे हैं. इसकी वजह ये संगठन ही है. मित्रों अब से 28 घंटे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने सीपीएम की याचिका पर बड़ी टिप्प्णी की थी. सीपीएम गाजा पर रैली करना चाहती थी. बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि हमारे देश में पहले से ही बहुत सारी समस्याएं हैं. अपने देश को देखिए, देशभक्त बनिए. क्योंकि जो आप कर रहे हैं वो देशभक्ति नहीं है. लेकिन आज हमें अफसोस के साथ ये कहना पड़ रहा है कि कई संगठनों को कोर्ट की भाषा समझ नहीं आती है. या यूं कहें कि कोर्ट ने अगर इन संगठनों के मुताबिक फैसला नहीं दिया तो उन्हें ये बात समझ में नहीं आती है. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि जमीयत उलेमा-ए-हिंद, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड समेत कई संगठनों ने चिट्ठी लिखी है.
DNA : 'मजहब के ठेकेदार'..नई 'गाजा फाइल्स' पर रार! जमीयत..'गाजा' समझता है, कोर्ट की बात नहीं! @pratyushkkhare pic.twitter.com/7q94knXxas
— Zee News (@ZeeNews) July 26, 2025
भारत सरकार और दुनिया की दूसरी शक्तियों के नाम ये चिट्ठी गाजा को लेकर लिखी गई है चिट्ठी में गाजा में हमास-इजरायल की लड़ाई में हस्तक्षेप करने की मांग की गई है. खासतौर पर भारत सरकार से कहा गया है कि वो गाजा में जारी जंग रुकवाए मित्रों गाजा को लेकर लिखी गई चिट्ठी पर नामी-गिरामी लोगों ने साइन किया है. इसमें कोई इमाम है तो कोई पूर्व सांसद. कोई धर्मो उपदेशक है तो कोई पूर्व कुलपति. यानी ये सारे लोग विद्वान और पढ़े लिखे हैं. यानी इन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले की जानकारी जरूर रही होगी. फिर भी ये अपने दिल में उमड़ते फिलिस्तीन प्रेम को नहीं रोक पाए.
सोचिए क्या हर बात पर कोर्ट जाने का ऐलान करनेवाले इन विद्वानों को कोर्ट की भाषा समझ नहीं आई. नहीं ऐसा नहीं रहा होगा. इन्हें एक खास वर्ग और एक खास नजरिए को संतुष्ट करना होता है. इसलिए कोर्ट के कहने के बाद भी इनके लिए भारत नहीं गाजा पहले है. ये कैसी सोच है जिसे भारत से 4200 किलोमीटर दूर गाजा दिखता है. लेकिन अपने शूरवीरों की विजयगाथा इन्हें याद नहीं आती. इनकी चिंता इंटरनेशनल है. इन्हें अपने खास नजरिए के कारण गाजा की फिक्र होती है. लेकिन भारत की जमीन पर रहनेवाले इन विद्वानों को अपने सपूतों का शौर्य याद नहीं रहता.
मित्रों गाजा की चिंता में डूबे ये विद्वान भूल गए की कोर्ट ने कहा है ऐसे मुद्दों पर प्रदर्शन से कूटनीतिक मोर्चे पर भारत को नुकसान हो सकता है. लेकिन चिट्ठी लिखनेवाले ये विद्धान खास चश्मे से अपना हित देख रहे हैं. इसलिए इन्हें गाजा तो दिखता है लेकिन भारत का हित नहीं दिखता. मित्रों ये वही जमीयत उलेमा-ए-हिंद है जिसके नेता बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के बाद 2006 मुंबई लोकल ब्लास्ट के आरोपियों के रिहा होने पर उनके साथ जश्न मनाते दिखे थे. इन्हें पीड़ितों का दुख नहीं दिखा. सोचिए अपने घर में इन्हें पीड़ितों का दुख नहीं दिखता, लेकिन गाजा का दुख इन्हें महसूस होता है. ये भारत में पीड़ितों के साथ जश्न मनाते हैं और गाजा में हमास के खिलाफ एक्शन रोकने के लिए चिट्ठी लिखते हैं.
कितना अच्छा होता गाजा की फिक्र में दुबले हो रहे ये संगठन और नेता आज विजय दिवस पर कार्यक्रम करते. नौजवानों को बताते की कैसे 1999 में भारतीय शूरवीरों ने पाकिस्तानी सेना के घुसपैठियों को मारा था. उन्हें भारत भूमि से भगाया था. लेकिन कथित इंटरनेशनल सोच वाले इन विद्वानों ने ऐसा कुछ नहीं किया. मित्रों इन विद्वानों को समझना चाहिए की धरती पर हमारी पहचान भारतीय के तौर पर है. राष्ट्र मजबूत होगा तभी हम मजबूत होंगे. इसलिए इन्हें अपनी सोच के केंद्र में भारत को रखना चाहिए.