हाईस्कूल फेल सब्जी वाले का कमाल, राम मंदिर के लिए बनाई अनोखी घड़ी, बनाने में लगे 25 साल
Advertisement
trendingNow0/india/up-uttarakhand/uputtarakhand2779680

हाईस्कूल फेल सब्जी वाले का कमाल, राम मंदिर के लिए बनाई अनोखी घड़ी, बनाने में लगे 25 साल

Ayodhya News: किसी काम को सच्चे मन से करने का ठाना जाए तो सफलता जरूर मिलती है. इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है हाईस्कूल फेल अनिल कुमार साहू ने जो पेशे से सब्जी विक्रेता हैं.

Ayodhya News
Ayodhya News

प्रवेश पांडेय/अयोध्या: कहते हैं हुनर किसी पहचान का मोहताज नहीं होता. जहां चाह होती है, वहां राह भी होती है. फिर कठिनाइयां चाहें जितनी बड़ी हो. लेकिन हुनर कठिनाइयों के बादल से बाहर आ ही जाता है. लखनऊ के सब्जी विक्रेता अनिल कुमार साहू ने अपनी कड़ी मेहनत से उम्र के उस पड़ाव पर जब लोग रिटायरमेंट होने की बात सोचते हैं, उस समय एक ऐसी अनोखी घड़ी का निर्माण किया. जो भारत ही नहीं विश्व में भी इकदम अलग है, जिसे वर्ल्ड क्लॉक का नाम दिया गया है.

25 साल की मेहनत लाई रंग
हाईस्कूल फेल अनिल कुमार साहू पेशे से सब्जी विक्रेता हैं. 25 साल की कड़ी मेहनत के बाद इन्होंने घड़ी बनायी है और इस घड़ी को अपने नाम से पेटेंट भी करा लिया है. राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के दौरान यह घड़ी राम लला को भेंट की गई थी. एक बार फिर राम दरबार की प्रतिष्ठा होनी है, ऐसे में राम मंदिर ट्रस्ट की तरफ से एक बार फिर घड़ी की मांग की गई है. 

राम लला को समर्पित की कला
हालांकि मंदिर ट्रस्ट इसको लेकर भुगतान पेशकश कर रहा था लेकिन श्रद्धा में घड़ी निर्माता ने इसे राम मंदिर को एक बार फिर भेंट किया है. अपनी कला रामलला को समर्पित करने अयोध्या पहुंचे. अनिल कुमार साहू कह रहे हैं कि हमारा ही नहीं हमारी पीढ़ियों के लिए यह सौभाग्य का विषय है. हमारी कला किसी काम आई.

मेहनत से बनाई अनोखी घड़ी
हालांकि आज भी सब्जी बेचने का काम अनिल कुमार साहू कर रहे हैं लेकिन एक घड़ी जो वर्ल्ड क्लॉक के नाम से जानी जाती है उसको अपने उम्र के उस पड़ाव पर बनाया जब लोग रिटायरमेंट ले लेते हैं. काम और मेहनत के बल पर एक सब्जी विक्रेता के द्वारा बनाई गई घड़ी अनोखी ही नहीं एकदम अलग है.

एक साथ 7 देशों का बताती है समय
घड़ी में भारत, दुबई, टोक्यो, बीजिंग, मास्को सिटी, सिंगापुर और मास्को का समय बता रही है. एक घड़ी के निर्माण में लगभग 5 हजार रूपये का खर्च आता है. जिसको बनाने के बाद वह अपनी कला को रामलला को समर्पित कर रहे हैं. 

तीन बेटियों के पिता है अनिल साहू
घड़ी निर्माता अनिल साहू तीन बेटियों के पिता है जिन्हें अच्छी शिक्षा देकर पढ़ा लिखा कर कुछ बनाना चाहते हैं. दो बेटियां बैंक की तैयारी कर रही है तो एक बेटी बीटीसी कर रही है. संघर्षों में आर्थिक संकट के बीच अपनी कला को एक अलग पहचान देना और भारत ही नहीं वर्ल्ड क्लॉक बनाना है. इस बात का प्रमाण है कि जहां चाह होती है वहां राह होती है हुनर कभी किसी की पहचान का मोहताज नहीं होता.

यह भी पढ़ें - अयोध्या में नॉनवेज-शराब पर लगाम, राम पथ और 14 कोसी परिक्रमा मार्ग से हटेंगी दुकानें

यह भी पढ़ें -  अमिताभ बच्चन को भा गई अयोध्या.. खड़ा कर रहे विशाल साम्राज्य, फिर खरीद ली जमीन, कीमत होश उड़ा देगी

 

 

TAGS

Trending news

;