रेलयात्रा की तरह सड़क यात्रियों का बनेगा मंथली पास, हाईवे-एक्सप्रेसवे से यात्रा करना होगा सस्ता आसान
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रेलयात्रा की तरह सड़क यात्रियों का बनेगा मंथली पास, हाईवे-एक्सप्रेसवे से यात्रा करना होगा सस्ता आसान

Meerut Hindi News: दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर सफर करने वालों के लिए अच्छी खबर है. आपको बता दे कि  NHAI अप्रैल से एक नया नई स्कीम लागू करने जा रहा है. जिसके तहत आपके पैसे की बचत होगी और रोजाना टोल भरने की झंझट भी खत्म हो जाएगी. आइए जानते हैं क्या है नया मासिक पास स्कीम...

Delhi-Meerut Expressway (AI Photo)
Delhi-Meerut Expressway (AI Photo)

Meerut Hindi News: अगर आप प्रतिदिन मेरठ से दिल्ली या नोएडा आना-जाना रहता है, तो आपके लिए राहत की खबर है. नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया 1 अप्रैल से एक नई स्कीम लागू कर रही है, जिससे आपके पैसे की बचत होगी और रोजाना टोल भरने की झंझट भी खत्म हो जाएगी. इस स्कीम के तहत अब आप मासिक टोल पास बनवा सकते हैं, जिससे 22 दिन के टोल शुल्क में पूरे महीने यात्रा कर सकेंगे.

क्या है नया मासिक पास स्कीम?
NHAI के अनुसार, दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर मेरठ के काशी टोल से दिल्ली के सराय काले खां तक सफर करने के लिए चार पहिया निजी वाहनों के लिए मासिक टोल शुल्क 5695 रुपये तय किया गया है. अगर कोई व्यक्ति प्रतिदिन अप-डाउन करता है, तो उसे 22 दिन के टोल शुल्क के बराबर भुगतान करने पर पूरे महीने के लिए मासिक पास मिल जाएगा.

कितना होगा टोल शुल्क?
अगर कोई व्यक्ति एक दिन में एक बार मेरठ से दिल्ली जाता है, तो उसे 170 रुपये टोल देना होगा. वहीं, अगर वह 24 घंटे के भीतर वापसी भी करता है, तो यह शुल्क 255 रुपये हो जाएगा. लेकिन मासिक पास बनवाने पर सिर्फ 5695 रुपये में पूरे 30 दिन तक अनलिमिटेड यात्रा की जा सकेगी.

वाहन के हिसाब से मासिक टोल शुल्क
ट्रॉला का टोल शुल्क 36,805 रुपये, 12 चक्के वाला ट्रक/बस का टोल्क शुल्क30,235 रुपये, 10 चक्के वाला ट्रक का टोल शुल्क 21,035.  छह चक्के वाली बस/ट्रक का टोल शुल्क 19,280 रुपये, निजी चार पहिया वाहन का टोल शुल्क 5695 रुपये वहीं व्यवसायिक चार पहिया वाहन का टोल्क शुल्क 9200 रुपये होगा,

लोग क्यों नहीं ले रहे मासिक पास?
हालांकि, काशी टोल प्लाजा के मैनेजर के अनुसार, यह स्कीम बहुत फायदेमंद है, लेकिन ज्यादातर लोग इसका लाभ नहीं उठा रहे. इसका मुख्य कारण यह है कि दिल्ली, नोएडा और गुरुग्राम में काम करने वाले लोगों का आने-जाने का समय निश्चित नहीं होता. वे कभी-कभी वर्क फ्रॉम होम करते हैं या फिर मेट्रो और अन्य साधनों का उपयोग कर लेते हैं.

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