Jhansi News: यूपी के झांसी जिले में दुष्कर्म के आरोप में आया कोर्ट का फैसला चर्चा में है. विशेष पॉक्सो न्यायालय ने पॉक्सो के एक मामले में आरोपी को बीस वर्ष कैद की सजा सुनाते हुए एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है.
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अब्दुल सत्तार/झांसी: यूपी के झांसी जिले में दुष्कर्म के आरोप में आया कोर्ट का फैसला चर्चा में है. विशेष पॉक्सो न्यायालय ने पॉक्सो के एक मामले में आरोपी को बीस वर्ष कैद की सजा सुनाते हुए एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. दुष्कर्म का केस दर्ज कराने वाली नाबालिग और उसके पिता कोर्ट में मुकर गए थे. इसके बाद भी आरोपी को जज ने 20 साल की सजा सुनाई है.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल झांसी चिरगांव थाना क्षेत्र के एक गांव के रहने वाले एक शख्स ने 13 सितंबर 2020 को मुकदमा दर्ज कराते हुए बताया कि उसकी 15 साल की नाबालिग बेटी को मोंठ के जरहा खुर्द गांव निवासी लालू उर्फ उमाशंकर राजपूत अपने नाबालिग दोस्त के साथ अगवा कर ले गया. रामनगर रोड के पास ले जाकर दोनों ने उससे दुष्कर्म किया.
चार्जशीट के बाद कोर्ट पहुंचा केस
इसके बाद जान से मार डालने की धमकी देते हुए सड़क पर फेंककर भाग निकले. मुकदमा दर्ज करके पुलिस ने बाल अपचारी समेत युवक को गिरफ्तार कर लिया. बाल अपचारी को बाल सुधार गृह भेज दिया गया. छानबीन के बाद पुलिस ने लालू के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी. मामला विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट मोहम्मद नेयाज अहमद अंसारी की कोर्ट में पहुंचा.
बहस के बीच बयान से पलटे पीड़िता और पिता
कोर्ट में लंबी जिरह चलने के बीच अचानक से पीड़िता समेत उसका पिता एवं वादी पूर्व में दिए बयान से पलट गए. इसके बाद कोर्ट ने विधि विज्ञान प्रयोगशाला से रिपोर्ट तलब की. एफएसएल से रिपोर्ट आने पर स्लाइड में मिले स्पर्म से आरोपी का डीएनए मैच कर गया. इस आधार पर कोर्ट ने लालू उर्फ उमाशंकर को दोषी पाते हुए 20 साल की सजा सुनाई है.
कोर्ट ने जताई नाराजगी
लोक अभियोजक विजय कुशवाहा ने बताया कि पीड़िता के पिता के पक्षद्रोही हो जाने पर कोर्ट ने गहरी नाराजगी जताई. कोर्ट ने सख्त रवैया अपनाते हुए वादी से मुआवजे की रकम भू-राजस्व की तरह वसूलकर सरकारी खजाने में जमा कराने का आदेश दिया. बता दें, अनुसूचित जाति की पीड़िता से अपराध होने पर सरकार उसे मुआवजे के तौर पर रकम देती है.
दर्ज होगा केस
कोर्ट ने जिलाधिकारी को निर्देश देते हुए कहा कि इस संबंध में रिपोर्ट प्राप्त करके कार्रवाई की जाए. इसी तरह वादी के कोर्ट को गुमराह करने के आरोप पर उसके खिलाफ भारतीय नागरिक न्याय सुरक्षा संहिता की धारा 383 के तहत केस दर्ज कराने का आदेश दिया है.