श्रीराम से पहले भगवान विष्णु आए थे अयोध्या, सालों किया तप, जानें पौराणिक महत्व!
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श्रीराम से पहले भगवान विष्णु आए थे अयोध्या, सालों किया तप, जानें पौराणिक महत्व!

Ayodhya News: अयोध्‍या को भगवान राम की जन्‍मस्‍थली कहा गया है. साथ ही भगवान विष्‍णु की तपोस्‍थली भी रह चुकी है. भगवान विष्‍णु अयोध्‍या में वर्षों तक तप किया था. अयोध्‍या भगवान विष्‍णु का निवास स्‍थान भी रहा है. 

Guptar Ghat Ayodhya
Guptar Ghat Ayodhya

Ayodhya News: अयोध्‍या भगवान राम की जन्‍मस्‍थली रही है. पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि, त्रेतायुग में भगवान राम ने अयोध्‍या में जन्‍म लिया था. लंका विजय के बाद भगवान राम अयोध्‍या आए और करीब 11 हजार वर्षों तक राज किया था. क्‍या आप जानते हैं, प्रभु राम से पहले अयोध्‍या भगवान विष्‍णु की तपोस्‍थली रह चुकी है. भगवान विष्‍णु ने सालों तक अयोध्‍या में तप किया था. आइये जानते हैं भगवान विष्‍णु और अयोध्‍या से जुड़ी पौरणिक कथाएं...

भगवान विष्‍णु और अयोध्‍या का संबंध
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, त्रेतायुग से पहले सतयुग में भगवान विष्‍णु तप के लिए अयोध्‍या को चुना था. स्कंद पुराण के मुताबिक, एक बार देवताओं और राक्षसों में लड़ाई हुई. राक्षसों ने संसार में हाहाकार मचा दिया था. तब देवता भगवान विष्‍णु से सहायता मांगने पहुंचे. उस समय भगवान विष्‍णु ने देवताओं को आश्‍वासन दिया कि मैं राक्षसों से बचाने के लिए मदद करूंगा. इतना कहकर भगवान विष्णु अंतर्ध्यान हो गए. 

गुप्‍तहर‍ि तीर्थ के समान कोई तीर्थ नहीं 
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, भगवान विष्‍णु गुप्त रूप से अयोध्या पहुंचे और यहां गुप्तहरी तीर्थ में वर्षों तपस्‍या की. उनके तप से जो तेज प्रकट हुआ वह उन्होंने देवताओं को प्रदान किया और उस तेज से देवताओं ने राक्षसों का संहार किया. कहा जाता है कि अयोध्‍या में गुप्तहरि तीर्थ के समान न कोई तीर्थ था और न ही भविष्य में होगा. गुप्‍तहरि तीर्थ को ही गुप्‍तार घाट भी कहा जाता है. भगवान विष्णु के गुप्त रूप से तपस्या करने के कारण इस स्थान का नाम गुप्तहरि तीर्थ पड़ा.

भगवान विष्‍णु का निवास स्‍थान भी
कथाओं के मुताबिक, भगवान राम त्रेतायुग में हजारों साल तक अयोध्‍या में राज करने के बाद यहीं से बैकुंठ लोक प्रधारे थे. शास्त्रों के मुताबिक, भगवान विष्णु को अयोध्या बहुत प्रिय है. यह उनकी पहली पुरी भी मानी जाती है. अयोध्या के गुप्तार घाट को भगवान विष्णु का निवास स्थान भी कहा गया है. स्कंद पुराण के वैष्णव खंड के अयोध्या महात्म में इसका जिक्र मिलता है. मान्‍यता है कि गुप्तार घाट में स्नान-दान एवं दर्शन करने से जन्म-जन्मांतर के पाप मिट जाते हैं. 

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