Kashi Jagannath Yatra: भीषण गर्मी के चलते परंपरा अनुसार ज्येष्ठ की एकादशी को भक्तों ने काशी जगन्नाथ को इतना स्नान कराया कि वो बीमार पड़ गए हैं. इसलिए अब 14 दिन मंदिर के कपाट बंद रहेंगे और अब रथयात्रा के दौरान भक्तों को दर्शन देंगे.
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Varanasi News: ज्येष्ठ यानी जून में ऐसी गर्मी पड़ती है कि पूरे जगत के जीव-जंतु त्राहि माम त्राहि माम करने लगते हैं. ऐसे में भक्तों के भाव में अपने ईष्ट भगवान जगन्नाथ का भी ख्याल आता है. और भक्त भगवान जगन्नाथ को गंगा, यमुना, सरस्वती, नर्मदा, सरयू, कावेरी, गोदावरी आदि नदियों व समुद्र के जल से जलाभिषेक कराते हैं. यह परंपरा काशी के अस्सी घाट पर स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर में 200 से ज्यादा वर्ष से चली आ रही है. जेष्ठ माह की पूर्णिमा के दूसरे दिन भगवान जगन्नाथ को कई पवित्र नदियों के जल से पूरे दिन नहलाया जाता है.
क्या है पूरी परंपरा
ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा के अगले दिन भक्त हाथों में गंगा जल लिए जगन्नाथ मंदिर पहुंचतें है और वहां भगवान जगन्नाथ, भाई बलराम और बहन सुभद्रा को विधि विधान से स्नान कराते हैं. यह स्नान शुद्ध जल,चंदन, घी, फलों के रसों कराया जाता है.
11 जून को भगवान जगन्नाथ को स्नान कराने का यह क्रम सुबह से शुरू होकर देर शाम तक चला. दर्पण के माध्यम से भगवान जगन्नाथ, बड़े भाई बलभद्र, बहन सुभद्रा को स्नान की औपचारिकता पूरी कराई गई. वस्त्रों से आकर्षक शृंगार हुआ. इसके बाद भगवान जगन्नाथ को 56 भोग लगाए गए. स्नान के बाद इस पवित्र जल को श्रद्धालुओं में परंपरा के अनुसार वितरित किया गया.
अगले 14 दिन बीमार रहेंगे भगवान जगन्नाथ
मान्यता है कि पूरे दिन लगातार स्नान कराने से भगवान बीमार पड़ जाते हैं और अगले 14 दिन अस्वस्वथ रहेंगे. इसलिए मंदिर के कपाट बंद कर दिये जाते हैं. यह परंपरा दो सदी से भी ज्यादा समय से चली आ रही है. हालांकि इस दौरान भी भक्त मत्था टेकने के लिए मंदिर के द्वार पर आते रहते हैं.
भगवान को काढ़े का भोग
क्योंकि अगले 14 दिन भगवान को बीमार माना जाता है इसलिए उन्हें काढ़े का भोग लगाया जाता है. विशेष रूप से तैयार किये इस काढ़े को भगवान को भोग लगाने के बाद प्रसाद स्वरूप भक्तों में वितरित किया जाता है. मान्यता है कि जो प्रसाद स्वरूप इस काढ़े का पूरे 14 दिन सेवन करता है उसे पूरे साल कोई रोग सता नहीं सकता.
14 दिन बाद भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा
चार दिन बीमार रहने के बाद भगवान अपना मन फेरने के लिए मंदिर छोड़कर मौसी के घर जले जाते हैं और फिर वहां से लौटते हैं तो रथ पर सवार होकर भक्तों को दर्शन देते हैं. इसे ही भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा कहा जाता है. यह क्रम तीन दिन चलता है, जिसमें भक्त भगवान जगन्नाथ के सार्वजनिक रूप से दर्शन करते हैं. जानकारी के मुताबिक इस बार भगवान जगन्नाथ की यात्रा 27 जून को शुरू होगी. रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ स्वामी रथ पर सवार होकर, बहन सुभद्रा और भाई बलराम के साथ प्रजा का हाल जानने के लिए निकलेंगे.
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