विश्‍वनाथ से रामेश्वरम, आस्था का नया सेतु....काशी में गंगा से सागर तक जुड़ी श्रद्धा की पावन राह
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विश्‍वनाथ से रामेश्वरम, आस्था का नया सेतु....काशी में गंगा से सागर तक जुड़ी श्रद्धा की पावन राह

Varanasi News: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वाराणसी के तीर्थ संगम क्षेत्र का पवित्र जल रामेश्वरम ट्रस्ट के प्रतिनिधियों को सौंपा था. अब रामेश्‍वरम से कोडी तीर्थं के पवित्र जल को काशी लाया गया है. 

Kashi Vishwanath Temple
Kashi Vishwanath Temple

Varanasi News: काशी विश्‍वनाथ मंदिर में ऐतिहासिक परंपरा की शुरुआत की गई है. काशी विश्वनाथ मंदिर और श्री रामनाथ स्वामी मंदिर (रामेश्वरम) के बीच एक नई पवित्र परंपरा शुरू की गई है. इसके तहत दोनों ज्योतिर्लिंगों के बीच तीर्थ जल और मिट्टी का आदान-प्रदान किया जा रहा है. 

काशी में रामेश्‍वर से आए जल से जलाभिषेक 
बताया गया कि 28 जुलाई, 2025 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वाराणसी के तीर्थ संगम क्षेत्र का पवित्र जल रामेश्वरम ट्रस्ट के प्रतिनिधियों को सौंपा था. इसके बाद चार अगस्त, 2025 को रामनाथ स्वामी मंदिर में वाराणसी के जल से विशेष पूजा हुई. वहीं अब कोडी तीर्थं के पवित्र जल को श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के लिए भेजा गया है. 8 अगस्त, 2025 को वाराणसी में रामेश्वरम से आए जल को प्राप्त किया गया और फिर 9 अगस्त श्रावण पूर्णिमा को श्री विश्वेश्वर का इसी जल से अभिषेक किया गया. 

महत्‍वपूर्ण कदम बताया 
इस ऐतिहासिक पहल को भारत की सांस्कृतिक एकता और सनातन परंपराओं के सामंजस्य को बढ़ावा देने वाला महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है. अभिषेक समारोह में रामेश्वरम से आए सीआरएम अरुणाचलम, कोविलूर स्वामी के साथ-साथ वाराणसी के मंडलायुक्त एस राजलिंगम और जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार सहित कई श्रद्धालु उपस्थित रहे. 

रामेश्‍वर की पौराणिक मान्‍यता
बता दें कि रामेश्‍वर से काशी तक की दूरी करीब 2500 किलोमीटर है. तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले के रामेश्‍वर में स्थित रामेश्‍वर मंदिर हिंदू धर्म के सबसे पवित्र स्‍थानों में से एक है. यह मंदिर भगवान शिव के 12 ज्‍योतिर्लिंगों में से एक है. पौराणिक मान्‍यता है कि भगवान राम लंका विजय के बाद रामेश्‍वर पहुंचे थे. यहां हनुमान जी को कैलाश पर्वत भेजकर शिवलिंग लाने को कहा था, हनुमान जी के लौटने में देरी होने पर मां सीता ने समुद्र तट पर रेत से शिवलिंग बना दिया था. हनुमान जी द्वारा लाए शिवलिंग को भी वहीं पर स्‍थापित किया गया.  

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