Who Is Tahawwur Hussain Rana: 26/11 मुंबई आतंकी हमले में अहम भूमिका निभाने वाले आरोपी तहव्वुर राणा को आज कभी भी भारत प्रत्यर्पित किया जा सकता है. इसको लेकर भारत की जांच एजेंसियों की टीम अमेरिका में मौजूद है और सभी कानूनी औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं.राणा को दिल्ली लाया जाएगा या मुंबई ये अभी साफ नहीं है. आइए इस मौके पर जानें कौन है आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा.
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Tahawwur Hussain Rana Extradition: मुंबई आतंकी हमले का मास्टरमाइंड और देश का सबसे बड़ा दुश्मन आतंकी तहव्वुर राणा आज यानी बुधवार को भारत लाया जा सकता है. दिल्ली और मुंबई की जेलों को तैयार किया जा रहा है. दोनों में वह कहां रहेगा इसकी जानकारी अभी नहीं आई है लेकिन जेलों में सुरक्षा व्यवस्था को सख्त किया गया है. बताया जा रहा है कि राणा को भारत में लाने के तुरंत बाद ही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंप दिया जाएगा. कुछ हफ्ते एनआईए उससे हिरासत में पूछताछ करेगी.
आइए जानते हैं आखिर कौन है तहव्वुर हुसैन राणा?
बीबीसी में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, तहव्वुर हुसैन राणा का जन्म पाकिस्तान में हुआ था. मेडिकल की पढ़ाई के बाद वो पाकिस्तानी सेना में डॉक्टर बन गया. उसकी पत्नी भी डॉक्टर है. 1997 में दोनों कनाडा चले गए और 2001 में वहां की नागरिकता ले ली. बाद में राणा अमेरिका के शिकागो में बस गया और एक इमीग्रेशन व ट्रैवल एजेंसी शुरू की. यहीं उसकी मुलाकात पुराने दोस्त डेविड कोलमैन हेडली से फिर हुई, जो मुंबई हमलों का एक मुख्य साजिशकर्ता था.
मुंबई हमलों में का मास्टरमाइंड
26 नवंबर 2008 को मुंबई में 10 आतंकियों ने ताबड़तोड़ हमले किए, जिसमें 164 लोग मारे गए. भारत का लगातार आरोप है कि ये आतंकी पाकिस्तान की धरती पर सक्रिय आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैय्यबा से जुड़े थे. ये हमला पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने ही करवाया था. इस हमले में एक आतंकी अजमल कसाब जिंदा पकड़ा गया, जिसे 2012 में फांसी दी गई.
हेडली ने कबूला राणा का सच
भारतीय एजेंसियों की ओर से पाकिस्तानी-अमेरिकी नागरिक डेविड कोलमैन हेडली के ख़िलाफ जारी जांच में एक नाम बार-बार आ रहा था, और वो नाम था तहव्वुर हुसैन राणा. शिकागो में कड़ी सुरक्षा के बीच चार हफ्ते तक चले मुक़दमे के दौरान राणा के बारे में कई जानकारियां सामने आईं थीं. इस मुकदमे की सबसे अहम बात ये रही कि हेडली तहव्वुर राणा के खिलाफ सरकारी गवाह बन गया. जांच में पता चला कि राणा ने हेडली की मदद की थी. हेडली 2006 से 2008 के बीच कई बार मुंबई आया और हमले की जगहों की रेकी की. इसके लिए राणा ने अपनी एजेंसी का इस्तेमाल कर मुंबई में एक दफ्तर खोला, ताकि हेडली को बिजनेस वीजा मिल सके और उसकी हरकतों पर शक न हो. अमेरिकी कोर्ट में हेडली ने गवाही दी कि राना को हमले की पूरी जानकारी थी और उसने इसे अंजाम देने में सहयोग किया.
डेनमार्क की साजिश और सजा
राणा सिर्फ मुंबई हमले में ही शामिल नहीं था. 2009 में वो और हेडली डेनमार्क में एक अखबार ‘जिलैंड्स-पोस्टेन’ पर हमला करने की योजना बना रहा था. ये अखबार पैगंबर मोहम्मद के कार्टून छापने की वजह से विवाद में था. लेकिन इससे पहले ही एफबीआई ने दोनों को शिकागो एयरपोर्ट से पकड़ लिया था. 2013 में अमेरिकी कोर्ट ने राणा को लश्कर को सपोर्ट करने और डेनमार्क हमले की साजिश के लिए 14 साल की सजा सुनाई थी. हालांकि, मुंबई हमले से सीधे जुड़ाव के आरोप से वो बरी हो गया था.
भारत क्यों चाहता था उसका प्रत्यर्पण?
भारत का मानना है कि राणा मुंबई हमलों की साजिश का अहम हिस्सा था. उसकी गवाही से लश्कर और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के रोल की और जानकारी मिल सकती है. 2020 में कोविड की वजह से राना को अमेरिका में जल्दी रिहा कर दिया गया था, लेकिन भारत के दबाव पर उसे फिर गिरफ्तार किया गया.
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने याचिका ठुकराई
तहव्वुर राणा ने खुद को भारत प्रत्यर्पित किए जाने से बचाने के लिए अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. उसने अपील की थी कि उसे भारत न भेजा जाए क्योंकि वहां उसके साथ धार्मिक भेदभाव और प्रताड़ना हो सकती है. लेकिन अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने उसकी याचिका को खारिज कर दिया, जिससे उसके भारत लाए जाने का रास्ता साफ हो गया है.
राणा को हो सकती है फांसी?
राना को भारत लाने के लिए नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) की टीम तैयार है. यहां पर उस पर आतंकवाद, साजिश और हत्या के आरोपों में मुकदमा चलेगा. अगर दोषी पाया गया तो उसे उम्रकैद या फांसी तक हो सकती है. इस कदम से भारत-अमेरिका के बीच आतंकवाद के खिलाफ सहयोग और मजबूत होगा.