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Vande Bharat Viral Story: वंदे भारत एक्सप्रेस में एक यात्री की शांत यात्रा अचानक असहज स्थिति में बदल गई जब एक महिला ने उनसे अनचाही सीट बदलने की मांग की. यह अनुभव एक Reddit यूजर @AiSenpaiyt ने 'r/IndianRailways' फोरम पर शेयर किया, जो अब वायरल हो गया है. इस पोस्ट को लेकर सोशल मीडिया पर यात्रियों की ओर से जबरदस्त सहानुभूति और तारीफ देखने को मिली है.
शांति से शुरू हुई यात्रा, फिर शुरू हुआ सीट ड्रामा
इस रेडिट पोस्ट में यूजर ने बताया कि उन्होंने अपनी आरक्षित विंडो सीट पर बैठकर एक शांत यात्रा की उम्मीद की थी. यात्रा शुरू होने के कुछ स्टॉप बाद एक 40 के आसपास की महिला उनके बगल की मिडिल सीट पर बैठीं, जिनके पास एक बड़ा ट्रॉली बैग और दो अन्य बैग भी थे. यूजर लिखते हैं, “वो पहले मुस्कुरा रही थीं, हल्की बातचीत करने की कोशिश की और खिड़की के बाहर झांकने जैसा इशारा भी किया. तभी मुझे अहसास हो गया कि ये मुझसे मेरी सीट मांगने वाली हैं.”
इस आशंका को भांपते हुए उन्होंने हेडफोन पहन लिए और दूसरी तरफ देखने लगे, ताकि बातचीत से बचा जा सके. थोड़ी देर बाद महिला नजदीक बैठे एक जोड़े से अपने पति के पास बैठने के लिए सीट बदलने की कोशिश करने लगीं, लेकिन उन्हें मना कर दिया गया.
The Window Seat Drama in Vande Bharat
byu/AiSenpaiyt inindianrailways
आखिरकार आई वो उम्मीद की गई रिक्वेस्ट
कुछ समय बाद महिला ने यूजर को कंधे पर टैप कर पूछा, “क्या आप मुझे अपनी सीट दे सकते हैं? मुझे मिचली आ रही है.” इस पर यूजर ने शांति से जवाब दिया, “यह खिड़की नहीं खुलती, इससे मिचली में कोई फर्क नहीं पड़ेगा.” महिला फिर भी अड़ी रहीं और बोलीं, “फिर भी मुझे चाहिए.” लेकिन यूजर ने विनम्रता से जवाब दिया, “माफ कीजिए, मैं नहीं दे सकता.” इसके बाद महिला चुपचाप वापस अपनी मिडिल सीट पर बैठ गईं, जहां उन्होंने अपने बैग्स के साथ एक लगेज का किला बना लिया. यूजर ने बाद में लिखा, “कुछ लोग 'मिचली+महिला+उम्र' का सहानुभूति कार्ड खेलकर जो चाहते हैं वो पाने की कोशिश करते हैं.”
इंटरनेट ने की तारीफ: "ना कहना भी एक कला है"
इस पोस्ट को 900 से ज्यादा अपवोट्स मिले और लोगों ने यूजर के आत्म-सम्मान और शिष्टता की तारीफ की. एक ने लिखा, “उस जवाब के लिए तो आपको अवॉर्ड मिलना चाहिए.” एक और यूजर ने लिखा, “बढ़िया किया OP, मुझे भी अपने पति के लिए सीट बचानी पड़ती है, लोग तो उसकी लोअर बर्थ को जन्मसिद्ध अधिकार समझते हैं.” किसी ने कहा, “बहुत अच्छा किया… ऐसे ही ना कहना सीखना जरूरी है.” एक और ने लिखा, “आप सम्मान के हकदार हैं, भाई.”