90s Top Actor Driving Auto Now: जिंदगी किस करवट ले...इसे कह पाना काफी मुश्किल है. हम लोग कई सारी चीजें प्लान करके चलते हैं. लेकिन जब जिंदगी की मार पड़ती है तो सारे प्लान धरे के धरे रह जाते है. कुछ ऐसी ही कहानी इस एक्टर की है. कभी इस एक्टर ने बॉलीवुड में एंट्री लेते ही नाम कमाया था. लेकिन आज इसकी ऐसी हालत हो गई है कि उसे देखकर आप दंग रह जाएंगे.
बेंगलुरु का रहने वाले इस एक्टर ने छोटी सी उम्र में घर से भागकर मुंबई आ गया था. उसने सोचा था की क्या हिंदी फिल्मों में जो दिखाया जाता है वो सही है. इसी चीज को जानने ये सितारा मुंबई आया था. चर्चगेट स्टेशन के पास स्ट्रीट में रहा. जहां पर एक लेडी की नजर इस बच्चे पर पड़ी.
इस लेडी ने बच्चे को कहा कि अगर नो एक्टिंग वर्कशॉप में उसके साथ चलेगा तो 20 रुपये डेली का मिलेगा. बाकी बच्चे तो नहीं आए उन्हें लगा कि ये कोई स्कैम होगा. लेकिन, इस मासूम को भूख लगी थी लिहाजा वो चलने के लिए तैयार हो गया.
देखते ही देखते ये बच्चा मीरा नायर की 'सलाम बॉम्बे' फिल्म जो 1988 में आई थी उसके लिए सिलेक्ट हो गया. इस फिल्म में लीड रोल निभाया था. ये फिल्म क्रिटिकली हिट रही. यहां तक कि ये फिल्म अकेदमी अवॉर्ड जीतने वाली तीन फिल्मों में से एक थी. जिस बच्चे की बात हो रही है उसका नाम शफीक सैयद है.
सलाम बॉम्बे को कई अवॉर्ड मिले और नेशनल अवॉर्ड भी जीता. शफीक को इस मूवी के लिए बेस्ट चाइल्ड आर्टिस्ट का अवॉर्ड जीता. उस वत्त ये महज 12 साल के थे. इस फिल्म में शफीक कृष्णा नाम का किरदार प्ले किया था. इस फिल्म के बाद शफीक 1994 में आई 'पतंग' मूवी में नजर आए थे. लेकिन इसके बाद शफीक को काम नहीं मिला और वो अपने परिवार के पास बेंगलुरु वापस आ गए.
हालांकि शफीक ने वापस आने के पहले कई और काम करने की कोशिश की. लेकिन आखिर में अपने परिवार की जिम्मेदारी कंधों पर होने की वजह से ऑटो रिक्शा चलाना शुरू कर दिया. शफीक के परिवार में 5 लोग है जिनकी जिम्मेदारी उसी पर है.
1994 शफीक की आखिरी फिल्म थी. लिहाजा, ये 31 साल से बेंगलुरु में ऑटो रिक्शा चलाकर अपने परिवार का पेट पाल रहे हैं. अब इनका बेटा भी है जो जिम्मेदारी में इनका हाथ बंटा रहा है.
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