Chaiti Chhath 2025: चैती छठ पर्व के तीसरे दिन कब दिया जाएगा सूर्य देव को अर्घ्य, नोट कर लें सही समय
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Chaiti Chhath 2025: चैती छठ पर्व के तीसरे दिन कब दिया जाएगा सूर्य देव को अर्घ्य, नोट कर लें सही समय

Chaiti Chhath 2025 Sandhya Arghya Time: हिंदू पंचांग के अनुसार, 3 अप्रैल को चैती छठ का तीसरा दिन है. इस दिन को संध्या अर्घ्य के नाम से भी जानते हैं. संध्या अर्घ्य के दिन छठ व्रती शाम के समय अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देते हैं. आइए जानते हैं कि चैती छठ का संध्या अर्घ्य किस वक्य दिया जाएगा.  

 

Chaiti Chhath 2025: चैती छठ पर्व के तीसरे दिन कब दिया जाएगा सूर्य देव को अर्घ्य, नोट कर लें सही समय

Chaiti Chhath 2025 Sandhya Arghya Time: आज, 3 अप्रैल 2025, चैत्र छठ का तीसरा दिन है, जिसे संध्या अर्घ्य के रूप में मनाया जाता है. इस दिन का विशेष महत्व है, क्योंकि व्रतीगण डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं. इस दिन व्रती शाम के वक्त किसी नदी या तालाब के किनारे छठ पूजा की सामग्री लेकर खड़े रहते हैं. इस दौरान व्रती जल में खड़े होकर सूर्यास्त का इंतजार करते हैं और सूर्यास्त होने पर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं. बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ हिस्सों में यह पर्व बड़े ही श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है. आइए जानते हैं संध्या अर्घ्य का समय, पूजा विधि और इसके आध्यात्मिक महत्व के बारे में.

छठ पूजा विधि

छठ पूजा के तीसरे दिन यानी संध्या अर्घ्य के दिन व्रती पूरे दिन उपवास रखते हैं और सूर्यास्त के समय अर्घ्य अर्पण के लिए तैयार होते हैं. अर्घ्य देने के लिए दूध, जल और गन्ने के रस का उपयोग किया जाता है. प्रसाद के रूप में ठेकुआ, चावल के लड्डू और फलों का भोग अर्पित किया जाता है. 

संध्या अर्घ्य का समय

पंचांग के अनुसार, 3 अप्रैल 2025 को संध्या अर्घ्य देने का शुभ समय शाम 6 बजकर 40 मिनट तक है. इस दौरान डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है.

संध्या अर्घ्य का महत्व

संध्या अर्घ्य का हमारी संस्कृति में गहरा आध्यात्मिक महत्व है. मान्यता है कि सूर्यास्त के समय अर्घ्य देने से जीवन की सभी कठिनाइयां दूर होती हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. इसे सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. सूर्य देव की कृपा से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है. इसके अलावा संतान को दीर्घायु प्राप्त होती है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

महाभारत काल से है छठ पर्व का कनेक्शन

पौराणिक ग्रंथों में छठ महापर्व का विशेष महत्व है. इस पर्व का उल्लेख महाभारत में भी मिलता है और इसकी परंपरा उस काल से ही चली आ रही है. कहते हैं कि पांडवों को छठी मैया की कृपा से ही उनका खोया हुआ राज्य वापस मिला था. महाभारत काल में भी कई लोगों ने इस व्रत को रखकर सूर्य देव की उपासना की.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

 

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दीपेश ठाकुर

दीपेश ठाकुर, पिछले 10 वर्षों से डिजिटल पत्रकारिता में सक्रिय हैं. श्रीठाकुर के पास प्रिंट और डिडिटल मीडिया में अच्छा अनुभव है. इस वक्त Zee News वरीय उप-संपादक के तौर पर कार्यरत हैं. ज्योतिष शास्त्र...और पढ़ें

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