वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक रिसर्च में चौंकाया है कि सिर्फ शनि के पास ही छल्ले नहीं हैं, बल्कि धरती के सबसे नजदीकी ग्रह मंगल के पास भी छल्ले थे, जो वक्त के साथ गायब हो गए और फिर दोबारा बने.
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हमारे सौर मंडल में आठ ग्रह हैं और इनमें से चार - बृहस्पति, शनि, यूरेनस और नेपच्यून के पास छल्ले हैं लेकिन भविष्य में एक और ग्रह इस फहरिस्त में शामिल हो सकता है. हमारा पड़ोसी ग्रह मंगल अगले 5 से 7 करोड़ साल में छल्ले बना सकता है. हैरानी की बात यह है कि यह पहली बार नहीं होगा जब मंगल के पास छल्ले होंगे. वैज्ञानिकों का मानना है कि मंगल के पास पहले भी छल्ले थे, जो वक्त के साथ गायब हो गए और फिर दोबारा बने.
मंगल ग्रह के पास दो चंद्रमा हैं- फोबोस (Phobos) और डेमोस (Deimos). वैज्ञानिकों का कहना है कि इन्हीं में से एक फोबोस का संबंध मंगल के छल्लों से है. फोबोस हल्के-हल्के मंगल की तरफ खिंचता जा रहा है. हर 100 साल में वह लगभग 6 फीट (करीब 1.8 मीटर) मंगल के नजदीक आ जाता है. यह प्रक्रिया लगातार जारी है. वैज्ञानिकों का कहना है कि एक वक्त ऐसा आएगा जब फोबोस मंगल के बहुत नजदीक पहुंच जाएगा और रोश लिमिट को भी क्रॉस कर देगा. रोश लिमिट वह दूरी है जिसके बाद ग्रह का गुरुत्वाकर्षण बल चांद को खींचकर तोड़ देता है. जब ऐसा होगा तो फोबोस टूटकर टुकड़ों में बिखर जाएगा और यही टुकड़े मंगल की चारों तरफ घूमते हुए एक रिंग बना देंगे.
NASA और Purdue University के जरिए की गई रिसर्च में पता चला है कि करीब 4.3 अरब साल पहले, एक विशाल उल्का मंगल से टकराया था, जिससे चारों तरफ मलबा फैल गया था. यह मलबा धीरे-धीरे इकट्ठा होकर फोबोस बना. वैज्ञानिकों का मानना है कि यह सिस्टम अब तक 3 से 7 बार हो चुकी है. फोबोस टूटता है, रिंग बनाता है, फिर मलबा इकट्ठा होकर एक छोटा चंद्रमा बनता है. हर बार बनने वाला चांद पिछले वाले से पांच गुना छोटा होता है.
डेमोस की बात करें तो यह मंगल से तकरीबन 23460 किमी है. साथ ही यह मंगल से दूर जा रहा है और भविष्य में शायद उसकी कक्षा से बाहर निकल जाए. इसके उलट फोबोस सिर्फ 6000 किमी दूर है और धीरे-धीरे पास आता जा रहा है.
क्या पृथ्वी के पास भी रिंग्स बन सकते हैं?
वैज्ञानिकों के मुताबिक पृथ्वी का चंद्रमा एक स्थिर कक्षा में है और हर साल कुछ सेंटीमीटर दूर जा रहा है. यह तकरीबन 384400 किलोमीटर दूर है. ज्यादा दूरी होने की वजह से टकराने और इसके टूटकर छल्ले बनने की कोई संभावना नहीं है. हालांकि अगर सौरमंडल में बड़ी उथल-पुथल हो तो भविष्य में कुछ भी संभव हो सकता है.