इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंचे शुभांशु शुक्ला, अंदर जाने में लगा एक घंटे का टाइम, ISS में यूं हुआ वेलकम
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इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंचे शुभांशु शुक्ला, अंदर जाने में लगा एक घंटे का टाइम, ISS में यूं हुआ वेलकम

Shubhanshu Shukla: भारत का लाल शुभांशु शुक्ला इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पहुंच गया है. शुभांशु शुक्ला ने ना सिर्फ अपने मां-बाप और परिवार का नाम रोशन बल्कि दुनियाभर में भारत का डंका बजाया है. 

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंचे शुभांशु शुक्ला, अंदर जाने में लगा एक घंटे का टाइम, ISS में यूं हुआ वेलकम

Shubhanshu Shukla at ISS: भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने तारीख रकम कर दी है. 41 वर्षों के लंबे इंतेजार के बाद कोई भारतीय अंतरिक्ष यात्री कामयाबी के साथ इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पहुंचे हैं. शुभांशु शुक्ला ऐसा करने वाले दूसरे भारतीय बन हैं. इससे पहले राकेश शर्मा 1984 में अंतरिक्ष गए थे. शुभांशु शुक्ला यहां 14 दिनों तक रहेंगे और अलग-अलग तरह की रिसर्च करेंगे.

स्पेसएक्स ड्रैगन अंतरिक्ष यान पर सवार Axiom-4 मिशन गुरुवार को ISS पहुंचा. इस यान ने तय समय से पहले ही (4:05 IST) ऑटोमेटिक रूप से कामयाबी के साथ डॉक कर गया. यानी वो यान जिसमें बैठकर अंतरिक्ष यात्री गए हैं वो कामयाबी के साथ ISS से जुड़ गया है. हालांकि शुभांशु शुक्ला समेत सभी यात्रियों को ISS के अंदर दाखिल होने में काफी समय लगता है.

क्यों लगेगा एक घंटे से ज्यादा का समय

कुछ रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि डॉकिंग के बाद लगभग 1-2 घंटे तक जांच होती है, उसके बाद हवा के रिसाव और दबाव की स्थिरता की पुष्टि की जाती है. इसके बाद ये सभी अंतरिक्ष यात्री इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में दाखिल हुए. इस दौरान वहां पर पहले से मौजूद वैज्ञानिक उनका स्वागत भी करेंगे. लखनऊ में पैदा होने वाले शुभांशु Axiom Space के मिशन-4 का हिस्सा हैं. उनके साथ इस मिशन में अमेरिका, पोलैंड और हंगरी के तीन अन्य अंतरिक्ष यात्री भी शामिल हैं.

- मिशन में कौन-कौन हैं
- कमांडर: पैगी व्हिटसन (अमेरिका)
- पायलट: शुभांशु शुक्ला (भारत)
- मिशन एक्सपर्ट: स्लावोश उज्नांस्की (पोलैंड) और टिबोर कापू (हंगरी) हैं.

शुभांशु शुक्ला ने क्या कहा?

डॉकिंग से पहले शुभांशु शुक्ला ने कहा कि सभी को नमस्कार, यहां आकर बहुत अच्छा लग रहा है. लॉन्च के समय मैं बस यही सोच रहा था  कि चलो अब उड़ते हैं और फिर जैसे ही लॉन्च हुआ तो सीट में पीछे धकेल दिया गया और फिर अचानक सब कुछ शांत हो गया, जैसे मैं खालीपन में तैर रहा हूं. मैं यहां बच्चे की तरह सब कुछ सीख रहा हूं – चलना, खाना, सब कुछ.

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