Solar Eclipse: चंद्र गहण और सूर्य ग्रहण, ये दोनों घटनाएं आम इंसान और वैज्ञानिक दोनों को ही हैरान करते हैं. कोई इसे धर्म से जोड़ता हो तो वहीं कुछ के लिए ये बहुत ही खास खगोलीय घटना है. आज हम आपको बताएंगे कि चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण क्या है और क्या है इनका वैज्ञानिक कारण.
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Lunar Eclipse: चंद्र और सूर्य ग्रहण दोनों ही आसमान में होने वाली कमाल की घटनाएं हैं जिस पर पूरी दुनिया के लोगों की नजर टिकी रहती है. ये तब होते हैं जब धरती, चांद और सूरज एक लाइन में आ जाते हैं. लेकिन ये दोनों ही ग्रहण होते कैसे हैं और इनका असर क्या पड़ता है, इसमें काफी अंतर है. आइए इन दोनों के पीछे के विज्ञान को समझते हैं.
चंद्र ग्रहण का निर्माण कब होता है?
ये तब होता है जब धरती, सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है. इस वजह से धरती की परछाई चंद्रमा की सतह पर पड़ती है. पूर्ण चंद्र ग्रहण के दौरान चंद्रमा पूरी तरह से धरती की परछाई के सबसे गहरे हिस्से में चला जाता है जिसे अंब्रा कहते हैं. Lunar Eclipse अलग-अलग होते हैं जैसे पूर्ण चंद्र ग्रहण, आंशिक चंद्र ग्रहण या उपछाया चंद्र ग्रहण.
क्या होता है ब्लड मून?
इसी वजह से चंद्रमा लाल रंगा का दिखाई देता है जिसे अक्सर Blood Moon भी कहा जाता है. ऐसा इसलिए भी होता है क्योंकि सूरज की रोशनी धरती के वातावरण से छनकर चंद्रमा तक पहुंचती है. वहीं आंशिक चंद्र ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा का एक हिस्सा ही धरती की परछाई के अंब्रा हिस्से में जाता है.
सूर्य ग्रहण कैसे लगता है?
इससे ठीक उल्टा सूर्य ग्रहण तब होता है जह चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी के बीच आता है. इस वजह से चंद्रमा की परछाई धरती की सतह पर पड़ता है जिससे सूर्य की रोशनी पूरी या थोड़ी कुछ देर के लिए रूक जाती है. हालांकि चंद्र ग्रहण की की Solar Eclipse भी तभी होते हैं जब चंद्रमा और पृथ्वी की कक्षाएं सही लाइन में आ जाती है. इसी वजह से ये कम देखने को मिलती है.
क्या इनका होना जरूरी है?
चंद्र ग्रहण बहुत बड़े इलाके में दिखाई देते हैं और काफी लंबे समय या घंटों तक रह सकते हैं. लेकिन सूर्य ग्रहण आमतौर पर कुछ जगहों पर थोड़े समय के लिए ही दिखते हैं. ये दोनों ही घटनाएं होने से पहले ही बताई जा सकती हैं. ये खगोल और विज्ञान की चाल को समझने के लिए बहुत ही जरूरी है.