अब खत्म हो जाएंगी मछलियां, 150 मिलियन लोग खाने-कमाने के लिए जाएंगे तरस, बर्बाद हो जाएगी जिंदगियां?
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अब खत्म हो जाएंगी मछलियां, 150 मिलियन लोग खाने-कमाने के लिए जाएंगे तरस, बर्बाद हो जाएगी जिंदगियां?

Monsoon changes threaten Bay of Bengal: बंगाल की खाड़ी में जिस अंदाज में मॉनसून बदल रहा है. आने वाले दिनों में आपकी पसंदीदा फिश करी खतरे में हो सकती है. मछली खाने के शौकिन लोगों के ‌लिए बहुत बुरी खबर है. यह हम नहीं कह रहे, एक रिसर्च का दावा है. जानें पूरी खबर.

अब खत्म हो जाएंगी मछलियां, 150 मिलियन लोग खाने-कमाने के लिए जाएंगे तरस, बर्बाद हो जाएगी जिंदगियां?

Bengal fish supply at risk: बंगाल की खाड़ी जो पूरी दुनिया में समुद्र का सिर्फ 1% हिस्सा है, लेकिन दुनिया के 8% मछली उत्पादन की आपूर्ति वह करता है. इसमें हिल्सा जैसी मछलियां शामिल हैं, जो तटीय समुदायों के लिए भोजन का अहम हिस्सा हैं. लेकिन नेचर जियोसाइंस में प्रकाशित एक नए अध्ययन ने चेतावनी दी है कि जलवायु परिवर्तन से प्रभावित मॉनसून की अनियमितताएं इस खाड़ी की समुद्री उत्पादकता को स्थायी रूप से नुकसान पहुंचा सकती हैं. इससे लाखों लोगों की खाद्य सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है. और आने वाले दिनों में बहुत मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है.

22,000 साल पुराने मॉनसून का रिसर्च
रटगर्स यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ एरिजोना और अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं की टीम ने 22,000 साल के मॉनसून और समुद्री डेटा का रिसर्च किया. जिसमें पाया कि भारी बारिश या सूखे की स्थिति में समुद्र की सतह पर भोजन की उपलब्धता 50% तक कम हो सकती है. जैसे-जैसे ग्लोबल वॉर्मिंग मॉनसून की अनिश्चितता को बढ़ा रही है, यह पैटर्न फिर से दोहराया जा सकता है.

मॉनसून का समुद्र पर असर
शोधकर्ताओं ने फोरमिनिफेरा के जीवाश्म खोलों का अध्ययन किया, जो पर्यावरणीय परिस्थितियों को दर्ज करते हैं. जिससे पता चला कि बहुत तेज या बहुत कमजोर मॉनसून दोनों ही समुद्र में पोषक तत्वों के मिश्रण को रोकते हैं. कमजोर मॉनसून के दौरान हवाएं पोषक तत्वों को सतह तक नहीं ला पातीं, जबकि भारी बारिश समुद्र की सतह पर मीठे पानी की परत बना देती है, जो प्लवक को पोषक तत्वों से वंचित कर देती है. इससे समुद्री उत्पादकता ठप हो जाती है.

15 करोड़ से ज्यादा लोग अपने प्रोटीन और रोजगार के लिए निर्भर
बंगाल की खाड़ी की मछलियों पर 15 करोड़ से ज्यादा लोग अपने प्रोटीन और आजीविका के लिए निर्भर हैं. रटगर्स के जलवायु वैज्ञानिक और अध्ययन के सह-लेखक यैर रोसेन्थल कहते हैं, “प्लवक की वृद्धि समुद्री खाद्य श्रृंखला की नींव है. अगर यह कम हो गई, तो मछली भंडार में भारी कमी आएगी.” खासकर हिल्सा मछली, जो क्षेत्र के प्रोटीन की जरूरतों के लिए अहम है, बार-बार होने वाली उत्पादकता की कमी से खत्म हो सकती है.

छोटे मछुआरों के लिए सबसे मुश्किल
बांग्लादेश में 80% समुद्री मछली पकड़ने का काम छोटे मछुआरे करते हैं, जो पहले से ही अत्यधिक मछली पकड़ने की समस्या से जूझ रहे हैं. इससे मछली भंडार पहले ही टिकाऊ स्तर से नीचे पहुंच चुका है. अगर मॉनसून की अनियमितताएं बढ़ीं, तो स्थिति और खराब हो सकती है.

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