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2024 में देशभर में साइबर ठगी के मामलों में जबरदस्त उछाल देखने को मिला है. मंगलवार को लोकसभा में गृह राज्य मंत्री बंडी संजय कुमार ने बताया कि इस साल नागरिकों को साइबर ठगों ने ₹22,845.73 करोड़ का चूना लगाया, जो पिछले साल के ₹7,465.18 करोड़ की तुलना में करीब 206% अधिक है.
कितने मामले हुए दर्ज?
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 2024 में 36,37,288 साइबर फ्रॉड के मामले रिपोर्ट हुए. जबकि 2023 में 24,42,978 मामले दर्ज हुए थे. यानी हर साल यह खतरा और बढ़ता जा रहा है.
अगर पिछले तीन सालों की बात करें:
• 2022 में - 10,29,026 केस (127.44% बढ़ोतरी)
• 2023 में - 15,96,493 केस (55.15% की बढ़ोतरी)
• 2024 में - 22,68,346 केस (42.08% की बढ़ोतरी)
ये आंकड़े बताते हैं कि हर साल साइबर ठगी का ग्राफ ऊपर ही जा रहा है.
सरकार की बड़ी पहलें
गृह मंत्रालय के अधीन काम करने वाले I4C (Indian Cyber Crime Coordination Centre) ने 2021 में CFCFRMS (Citizen Financial Cyber Fraud Reporting and Management System) शुरू किया, जिससे लोग तुरंत फ्रॉड की जानकारी देकर अपने पैसे बचा सकें.
इस सिस्टम की मदद से अब तक:
• 17.82 लाख से ज्यादा शिकायतें दर्ज हुईं
• ₹5,489 करोड़ से अधिक की रकम बचाई गई
बड़ी कार्रवाइयां
सरकार ने 9.42 लाख से ज्यादा सिम कार्ड्स और 2,63,348 मोबाइल IMEI नंबर ब्लॉक किए हैं. इसके अलावा, 10 सितंबर 2024 को ‘Suspect Registry’ की शुरुआत की गई. इसमें बैंकों और वित्तीय संस्थानों की मदद से साइबर ठगों की पहचान साझा की जाती है. अब तक 11 लाख से ज्यादा संदिग्ध डेटा और 24 लाख Layer-1 म्यूल अकाउंट्स साझा किए गए हैं. इससे ₹4,631 करोड़ की रकम को बचाया गया.
‘प्रतिबिंब’ से बदलेगा साइबर जाल का नक्शा
I4C ने ‘Pratibimb’ नामक एक नया टूल भी लॉन्च किया है, जिससे साइबर अपराधियों और उनके नेटवर्क की लोकेशन मैप पर दिखाई जाती है. इससे पुलिस को जांच और कार्रवाई में बड़ी मदद मिलती है. अब तक 10,599 अपराधी गिरफ्तार, 26,096 कनेक्शन्स ट्रेस और 63,019 साइबर इन्वेस्टिगेशन रिक्वेस्ट पर काम हुआ.