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WhatsApp Fake Police Calls: भारत में साइबर फ्रॉड के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. ताजा मामला चंडीगढ़ के पंचकूला से सामने आया है, जहां 83 साल के एक रिटायर्ड बुजुर्ग को ठगों ने फर्जी पुलिस अफसर बनकर ₹57 लाख का चूना लगा दिया. ठगों ने व्हाट्सएप कॉल के जरिए बुजुर्ग को मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसाने की धमकी दी और कानूनी प्रक्रिया के नाम पर उनसे लाखों रुपये ट्रांसफर करवा लिए.
कैसे हुआ पूरा फ्रॉड?
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, पीड़ित राजेंद्र कुमार (रिटायर्ड एचएमटी कर्मचारी) को 16 जनवरी को एक व्हाट्सएप कॉल आया. कॉल करने वाले ने खुद को हैदराबाद क्राइम ब्रांच का पुलिस अधिकारी बताया. ठग ने राजेंद्र कुमार को बताया कि उनका नाम एक बड़े मनी लॉन्ड्रिंग घोटाले में शामिल है, जिसमें एक गोयल नामक व्यक्ति विदेश भाग चुका है.
इसके बाद, ठगों ने बुजुर्ग को हैदराबाद स्थित क्राइम ब्रांच ऑफिस में हाजिर होने का निर्देश दिया. जब राजेंद्र ने अपनी बुजुर्ग अवस्था के कारण यात्रा करने में असमर्थता जताई, तो ठगों ने उन्हें धमकाया कि अगर उन्होंने सहयोग नहीं किया, तो यह मामला सार्वजनिक कर दिया जाएगा.
व्हाट्सएप वीडियो कॉल से डराया
ठगों ने व्हाट्सएप वीडियो कॉल करके राजेंद्र कुमार को और डराने की कोशिश की. वीडियो कॉल के दौरान उन्हें डिजिटल गिरफ्त में रखा गया और आदेश दिया गया कि वे इस बारे में किसी से बात न करें, यहां तक कि अपनी पत्नी से भी नहीं. इसके बाद, साइबर ठगों ने बैंक अकाउंट की डिटेल्स हासिल कर लीं और पैसे ट्रांसफर करने के निर्देश देने लगे.
₹57 लाख कैसे ठगे गए?
17 जनवरी को, लगातार धमकियों और मानसिक दबाव के कारण, राजेंद्र कुमार ने अपने आईडीबीआई बैंक अकाउंट से ₹30.9 लाख ठगों के दिए गए खाते में ट्रांसफर कर दिए. अगले दिन, 18 जनवरी को, उन्होंने ₹18.5 लाख और ₹8.5 लाख दो अलग-अलग खातों में ट्रांसफर किए. इस तरह कुल ₹57.9 लाख की ठगी हो गई.
ठग लगातार और पैसे मांगते रहे, लेकिन जब राजेंद्र कुमार को शक हुआ, तो उन्होंने एक विश्वसनीय व्यक्ति से सलाह ली और महसूस किया कि वे ठगी के शिकार हो चुके हैं. इसके बाद उन्होंने तुरंत साइबर क्राइम पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई, और पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 316(2), 318(4) और 319 के तहत मामला दर्ज किया.
कैसे बचें साइबर फ्रॉड से?
1. किसी भी सरकारी अधिकारी या पुलिस अधिकारी के नाम पर कॉल आए, तो तुरंत उसकी पुष्टि करें. आधिकारिक कार्यालय के वेरीफाइड नंबर पर संपर्क करके या पुलिस स्टेशन जाकर जानकारी लें.
2. अपनी बैंक डिटेल्स, पासवर्ड या ओटीपी किसी के साथ भी फोन या ऑनलाइन शेयर न करें.
3. अगर कोई कॉलर आपको डरा-धमकाकर तुरंत पैसे ट्रांसफर करने के लिए कहे, तो सतर्क हो जाएं. कोई भी सरकारी एजेंसी फोन पर कभी भी तुरंत पैसे मांगने का आदेश नहीं देती.
4. किसी संदिग्ध कॉल या मैसेज के मामले में, तुरंत अपने किसी भरोसेमंद परिवार के सदस्य या दोस्त से चर्चा करें.
5. अगर आपको शक हो कि आप साइबर फ्रॉड का शिकार हो रहे हैं, तो तुरंत साइबर क्राइम पोर्टल (cybercrime.gov.in) या नजदीकी पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट करें.