विश्व धरोहर बने शिवाजी के किले! भारत की शान में चार चांद, जानें इन किलों की अनसुनी बातें
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विश्व धरोहर बने शिवाजी के किले! भारत की शान में चार चांद, जानें इन किलों की अनसुनी बातें

इन 12 किलों में से 11 महाराष्ट्र में स्थित हैं, जबकि एक किला तमिलनाडु में है. ये किले 17वीं से 19वीं शताब्दी के बीच मराठा साम्राज्य की सैन्य रणनीति, वास्तुकला कौशल और आत्मनिर्भर जीवन प्रणाली के उत्कृष्ट उदाहरण हैं.

विश्व धरोहर बने शिवाजी के किले! भारत की शान में चार चांद, जानें इन किलों की अनसुनी बातें

छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपने जीवनकाल में 362 किले बनवाए थे. UNESCO की विश्व धरोहर सूची में उनके 12 किलों को शामिल होने के बाद ये किले चर्चा में है. यह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, और इन किलों को 'मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स ऑफ इंडिया' के तहत मान्यता मिली है.

इन 12 किलों में से 11 महाराष्ट्र में स्थित हैं, जबकि एक किला तमिलनाडु में है. ये किले 17वीं से 19वीं शताब्दी के बीच मराठा साम्राज्य की सैन्य रणनीति, वास्तुकला कौशल और आत्मनिर्भर जीवन प्रणाली के उत्कृष्ट उदाहरण हैं.

आज भी इन किलों पर पहुंचने में लोगों के पसीने छूट जाते हैं, कोई किला पहाड़ पर बना है तो कोई किला समुद्र तल से 1200-1300 मीटर से कम ऊंचाई पर नहीं है. ये ऊंचाई या समुद्र की गहराई के बीच बने किलों की दीवारें भी इतनी मोटी है कि उन्हें तोप के गोलों से टस-से-मस करना मुश्किल था.

छत्रपति शिवाजी महराज के किलों पर विशेषज्ञता रखने वाले मिलिंद वेरलेकर बताते हैं, 'महज 34-35 वर्ष में छत्रपति शिवाजी महाराज ने ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों और गहरे समुद्र के बीच कई विशाल किलों की स्थापना की. ये काम वह अपने उन सहयोगियों की मदद एवं भरोसे से ही संभव कर पाए, जिन्हें बाल्यकाल से ही वह अपने साथ रखते आए थे.’ 

राजगढ़- 

इस किले पर शिवाजी महाराज ने 1647 में नियंत्रण किया और इसे जीर्णोद्धार का आदेश दिया. 1662 से 1647 तक शिवाजी महाराज ने यहीं से शासन किया.

शिवनेरी दुर्ग- 

पुणे जिले के जु्न्नर तालुका में स्थित इसी किले में शिवाजी का जन्म हुआ था. इस किले में शिवाई देवी का मंदिर है, माना जाता है कि इन्हीं के नाम पर शिवाजी महाराज का नामकरण हुआ था.

रायगढ़-

इसे रायरी किला भी कहते हैं. इसी किले में 6 जून,1674 को स्वयं शिवाजी महाराज का,  16 फरवरी 1681 को उनके पुत्र संभाजी का और  मार्च 1689 को उनके दूसरे पुत्र राजाराम का राज्याभिषेक हुआ था. रायगढ़ का किला ही शिवाजी के हिंदवी स्वराज की राजधानी थी. 

प्रतापगढ़-

सातारा जिले के महाबलेश्वर के पास मौजूद इसी किले से उतरकर शिवाजी महाराज ने आदिलशाही सेना के सेनापति अफजल खान का अपने बघनख से पेट फाड़कर वध कर दिया था.

साल्हेर दुर्ग- 

नासिक के पास स्थित साल्हेर महाराष्ट्र का सबसे ऊंचा किला है.  इस किले पर 1671 में शिवाजी महाराज ने नियंत्रण किया. 1672 में इसी किले के लिए मुगलों से उनका युद्ध हुआ, जिसमें शिवाजी महाराज की जीत हुई.

विजय दुर्ग- 

कोंकण में रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण समुद्री तट पर बने का निर्माण 12वीं शताब्दी में सिल्हर वंश के राजा भोज (द्वितीय) ने करवाया था. शिवाजी महाराज ने 1653 में यह दुर्ग आदिलशाही सल्तनत से छीनकर इसका नामकरण विजय दुर्ग कर दिया था.

खांदेरी दुर्ग-

मुंबई के पास समुद्र के बीच स्थित खांदेरी किला शिवाजी की नौसैनिक शक्ति का परिचय देता है. जंजीरा में रहने वाले सिद्दियों पर नजर रखने के लिए 1660 से 1679 में शिवाजी महाराज ने इसका निर्माण करवाया था.

लोहागढ़- 

मुंबई और पुणे के बीच लोनावाला में मौजूद यह किला रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है. 

सुवर्ण दुर्ग- 

कोंकण में समुद्र के बीच शिवाजी महाराज ने इस किले का निर्माण जलमार्ग से व्यापारिक-सैन्य गतिविधियों पर निगरानी के लिए करवाया था. मराठा साम्राज्य के नौसेनापति कान्होजी आंग्रे का जन्म भी इसी किले में हुआ था.

सिंधु दुर्ग- 

गोवा के पास महाराष्ट्र के समुद्री तट पर यह किला 48 एकड़ में फैले इस किले में घुसने एवं निकलने के लिए कई गुप्त द्वार थे.

जिंजी दुर्ग- 

तमिलनाडु के विल्लुपुरम जिले में स्थित विशाल जिंजी किला शिवाजी ने 1677 में बीजापुर रियासत में छीना था. जिसमें लगभग 22 सालों तक मराठों का कब्जा रहा.

पन्हाला किला-

कोल्हापुर के पास स्थित इस किले को 12वीं सदी में सिल्हर वंश के राजा भोज ने बनवाया था. इस किले को आदिलशाही सल्तनत से छीनने में शिवाजी महाराज को 14 साल लग गए थे.

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