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Travel News: क्या आपने कभी नोटिस किया है कि जब आप ऑनलाइन होटल बुकिंग करते हैं, तो कभी-कभी एक ही कमरे की कीमत हर घंटे या दिन के हिसाब से बदलती रहती है? ऐसा लगता है जैसे कोई खेल चल रहा हो. लेकिन असल में यह एक स्मार्ट और रणनीतिक सिस्टम का हिस्सा है जिसे डायनामिक प्राइसिंग कहते हैं. इस सिस्टम में अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का भी बहुत इस्तेमाल होने लगा है.
डायनामिक प्राइसिंग का मतलब है कि सही समय पर, सही ग्राहक को, सही कीमत पर कमरा बेचना. होटल अब साल में एक बार रेट तय नहीं करते, बल्कि वो रोजाना कई बार कमरे की कीमत बदलते हैं. इसमें वो ध्यान में रखते हैं कि होटल की ऑक्यूपेंसी (कितने कमरे भरे हैं), ग्राहक की मांग, मौसम, इवेंट्स, छुट्टियां, कॉम्पिटिटर की कीमतें और ऑनलाइन बुकिंग ट्रेंड्स.
डॉ. अंशु जलोरा जो सिएटिव सॉल्यूशन के फाउंडर हैं वह बताते हैं कि पहले होटल सीजन और त्योहारों के हिसाब से रेट तय करते थे. लेकिन अब जब ग्राहक ज्यादा जागरूक हो गए हैं और ऑनलाइन रेट्स की तुलना करते हैं तो होटल को हर दिन और हर बुकिंग के हिसाब से रेट तय करने की जरूरत होती है. इसी वजह से AI तकनीक आई है जो पुराने ट्रेंड्स, मार्केट शिफ्ट और लाइव डिमांड को एनालाइज कर रेट तय करती है.
उदाहरण के तौर पर मान लीजिए किसी शहर में 3 दिन का लंबा वीकेंड या बड़ा इवेंट आने वाला है तो AI सिस्टम पहले ही यह अनुमान लगाकर कीमत बढ़ा देता है. वहीं, अगर कमरे खाली पड़े हैं और बुकिंग कम है तो रेट घटाकर ग्राहक को आकर्षित किया जाता है.
कैसे काम करता है यह सिस्टम?
1. डेटा कलेक्शन: AI सिस्टम OTA (ऑनलाइन ट्रैवल एजेंसियों), इवेंट कैलेंडर, मौसम, ट्रेनों और फ्लाइट्स की जानकारी इकट्ठा करता है.
2. ग्राहक व्यवहार का विश्लेषण: कौन जल्दी बुक करता है, कौन आखिरी समय में, कौन ग्रुप में आता है – ये सब देखा जाता है.
3. रेवेन्यू मैक्सिमाइजेशन: हर कैटेगरी के लिए कीमत तय की जाती है ताकि होटल को ज्यादा मुनाफा हो और ये सभी रेट सभी बुकिंग वेबसाइट्स पर तुरंत अपडेट हो जाते हैं.
इस मामले में कंपनी के सीईओ विजेता सोनी कहती हैं कि अब भारत के बजट और मिड-लेवल होटल्स भी इस टेक्नोलॉजी को अपना रहे हैं. पहले जो सुविधा सिर्फ बड़े होटल चेन को मिलती थी अब छोटे होटल और रिसॉर्ट्स भी इसका फायदा उठा पा रहे हैं. इसलिए अगली बार जब आप देखें कि होटल की कीमतें बार-बार बदल रही हैं तो समझिए कि यह एक सोचा-समझा और वैज्ञानिक तरीका है जो ग्राहक की मांग, आपूर्ति और बाजार की स्थिति को बैलेंस करने के लिए है.