जिन्नालैंड में वक्फ का काउंटडाउन शुरू? पाकिस्तानी एक्सपर्ट ने किया मोदी सरकार के बनाए कानून का समर्थन
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जिन्नालैंड में वक्फ का काउंटडाउन शुरू? पाकिस्तानी एक्सपर्ट ने किया मोदी सरकार के बनाए कानून का समर्थन

Pakistan News: हिंदुस्तान में वक्फ संशोधन बिल पास होने के बाद लगता है कि पाकिस्तानियों की भी उम्मीद जग गयी है कि जल्द ही पाकिस्तान भी वक्फ बोर्ड के चंगुल से आजाद होगा. यानी वक्फ के नाम पर दादागिरी करने वालों के प्रकोप से बच जाएगा. 

जिन्नालैंड में वक्फ का काउंटडाउन शुरू? पाकिस्तानी एक्सपर्ट ने किया मोदी सरकार के बनाए कानून का समर्थन

Pakistan Waqf Board: पाकिस्तान की अवाम कुछ छिपकर तो कुछ खुलेआम वक्फ के खिलाफ मोर्चा खोलने की बात कर रहे हैं. ये सुनकर आप भी चौंक गए होंगे कि आखिर एक इस्लामिक मुल्क को वक्फ से क्या दिक्कत हो सकती है. तो उसकी वजह है पाकिस्तान के वक्फ बोर्ड का माफिया अंदाज, जिससे मानो पूरे पाकिस्तान में त्राहिमाम मचा रखा है.

भारत में कई सांसदों ने कह दिया कि अलपसंख्यक इस काननू को स्वीकार नहीं करेंगे. गृह मंत्री अमित शाह ने कहा- क्या धमकाना चाहते हो भाई? संसद का कानून है सबको स्वीकार करना पड़ेगा. अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरण रिजिजू और गृह मंत्री अमित शाह ने दुनिया का हाल बताकर समझाया. कहा गया, कई इस्लामिक देशों में वक्फ का वजूद नहीं है. तुर्किए में नहीं है, लीबिया में नहीं है. इजिप्ट में नहीं है और सुड़ान में भी नहीं है. ये शराफत अली और शरारत खान के बीच मुकाबला है. भारत सरकार शराफत अली के साथ खड़ी है. दो दिन तक चली बहस के बाद संसद में वक्फ संशोधन बिल पास हुआ और राष्ट्रपति का हस्ताक्षर होते ही कानून बन गया.

पाकिस्तान में वक्फ बोर्ड का विरोध!

वक्फ संसोधन बिल के पास होने का असर पाकिस्तान में भी दिखा. पाकिस्तानी अवाम के एक हिस्से ने वहां के वक्फ बोर्ड खिलाफ मोर्चा खोला दिया. इस तरह वहां भी वक्फ की खिलाफत शुरू हो गई. लोग कहने लगे कि पाकिस्तान में भी जुल्म हो रहा है. मुसलमान, मुसलमान पर ही जुल्म कर रहा है. जो वक्फ वाले थे, वक्फ बोर्ड वाले जो अब भी हैं वो हर जगह कंट्रोल कर जाते हैं. 

किसी ने पाकिस्तान के वक्फ बोर्ड को माफिया बताया. तो किसी ने उसे मजहब के नाम पर कब्जा करने वाली गैंग कहा. एक ने कहा हम इसके खिलाफ आवाज उठाते हैं और उठाते रहेंगे इंशाअल्लाह.

पाकिस्तान में वक्फ बोर्ड पर लगाम कसने की मुहिम शुरू?

पाकिस्तान एक मुस्लिम देश है. पाकिस्तान में जो धमक सरकार की नहीं है, उससे ज्यादा ताकतवर जिन्नालैंड के मौलाना-मौलवी और उलेमा हैं. उनके एक इशारे पर पाकिस्तानी कुछ भी कर सकते हैं. ऐसे में आप भी सोच रहे होंगे कि जिस वक्फ बोर्ड को पाकिस्तान के मौलाना-मौलवी चलाते हो, आखिर पाकिस्तानी अवाम उनके खिलाफ क्यों खड़ी हो रही है? इसकी वजह पाकिस्तान के वक्फ बोर्ड की दादागिरी बताई जा रही है.

पाकिस्तानी एक्सपर्ट ने किया समर्थन

पाकिस्तानी लोग कह रहे हैं कि बोर्ड वाले हर जगह अतिक्रमण कर लेते थे. अगर धर्म आगे आ जाता है तो आप जो चाहे कर सकते हो. अतिक्रमण कोई भी कर ले मजहब के नाम पर तो कोई कुछ न कर पाएगा. पाकिस्तान में भी ऐसी बहुत सारी जगहें हैं जहां मस्जिद बना दी गई अब तो हुकूमत भी कुछ नहीं कर सकती तो भारत की सरकार जो कर रही है, वो बुरी चीज थोड़े हैं ट्रांसपिरेंसी लाना बुरी चीज नहीं है.

पाकिस्तान के राजनैतिक एक्सपर्ट कमर चीमा ने डंके की चोट पर दावा किया कि पाकिस्तान भी वक्फ के दबदबे से तबाह हो चुका है. वक्फ जब चाहता है, जैसे चाहता है हर किसी पर हक जमा लेते हैं. जबरन कब्जा कर लेता है, वो भी मजहब के नाम पर और पाकिस्तान की सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रहती है. लिहाजा जैसे ही भारत सरकार ने वक्फ पर नकेल कसी तो शायद पाकिस्तानी की 25 करोड़ अवाम के दिल में भी उम्मीद जगी होगी.

पाकिस्तान में डिबेट

लोगों ने कहा, 'एक इंडिया है जो खुलकर फैसले ले रहा है. दूसरा उनके पास बहुमत है. मुझे समझ नहीं आ रही एक सरकार, एक कानून बनाना चाहती है और उसके पास इसके लिए बहुमत मौजूद है तो वो क्यों अपना कानून नहीं बना सकते वो क्यों चीजों को अपनी कंट्रोल में नहीं ले सकते?

डिबेट में आगे कहा गया, 'देखे जी, मैं खुलेआम कहूंगा भारत की सरकार मजबूत है. वो अपनी अवाम का ख्याल भी रखती है और हमारी सरकार ख्याल नहीं रखती. पाकिस्तान  की सरकार जो है वो गरीब है. उसको मदद मांगनी पड़ जाती है. इनकी अपनी कमजोरियां हैं.

पाकिस्तानी जानते हैं कि .शहबाज सरकार में इतना दम नहीं है कि .वो पाकिस्तान के वक्फ पर लगाम लगा सके. तभी पाकिस्तानी डंके की चोट पर बता रहे हैं कि मोदी की सरकार ने गरीब मुसलमानों के हित में फैसला लिया है.

इस ज्यादती के खिलाफ कुछ लोग मुखर हुए हैं. मुमकिन है आज नहीं तो कल पाकिस्तान में लाखों मुसलमानों सड़क पर उतरकर पाकिस्तानी वक्फ बोर्ड का विरोध करेंगे ताकि वक्फ वालों की मनमानी खत्म हो जाए.

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श्वेतांक रत्नाम्बर

जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली से जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई और पॉलिटिकल साइंस में भी ग्रेजुएशन. 21 साल से पत्रकारिता में सक्रिय. राजनीतिक खबरों से ख़ास लगाव. फिलहाल ज़ी न्यूज (...और पढ़ें

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