Bihar: BJP ने पशुपति की बजाय चिराग पासवान को क्यों चुना? यहां समझें पूरा खेल
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Bihar: BJP ने पशुपति की बजाय चिराग पासवान को क्यों चुना? यहां समझें पूरा खेल

BJP with Chirag Paswan: भाजपा ने चिराग पासवान को 5 सीटों पर लड़ने का ऑफर दिया है. दोनों दलों के बीच गठबंधन तय हो गया है. जल्द ही सीटों का ऐलान कर दिया जाएगा. 

Bihar: BJP ने पशुपति की बजाय चिराग पासवान को क्यों चुना? यहां समझें पूरा खेल

नई दिल्ली: BJP with Chirag Paswan: लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा ने बिहार में लोजपा (रामविलास) के नेता चिराग पासवान को मना लिया है. दावा है कि चिराग की पार्टी 5 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है. खुद चिराग हाजीपुर से चुनावी मैदान में उतर सकते हैं. पहले भाजपा ने चिराग के चाचा पशुपति पारस को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दी थी. लेकिन अब चुनाव के समय पशुपति से अधिक तरजीह चिरग को दी गई है. 

  1. 5 सीटों पर लड़ सकती है चिराग की LJP
  2. खुद हाजीपुर से लड़ सकते हैं चुनाव

नड्डा से हुई थी चिराग की मीटिंग
चिराग के पास INDIA गठबंधन की ओर से भी ऑफर था, इसलिए ये कयास लगाए जा रहे थे कि BJP से खफा चल रहे चिराग NDA का हिस्सा नहीं बनेंगे. लेकिन बुधवार को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात के बाद स्पष्ट हो गया कि चिराग पासवान NDA का हिस्सा ही रहेंगे. चिराग ने नड्डा से मिलने के बाद कहा कि BJP ने मेरी सभी चिंताओं का समाधान किया है. मैं संतुष्ट हूं. बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के घटक दलों के बीच सीट शेयरिंग पर फैसला हो गया है. जल्द ही इसकी औपचारिक घोषणा कर दी जाएगी. 

2020 में चिराग ने खुद को बताया मोदी का हनुमान
2020 का बिहार विधानसभा चुनाव BJP और JDU ने साथ मिलकर लड़ा था. चिराग पासवान नीतीश के साथ मिलकर चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे. चिराग ने कहा कि मैं मोदी जी का हनुमान हूं. वे भाजपा के खिलाफ नहीं लड़े. लेकिन जहां-जहां JDU ने चुनाव लड़ा, वहां-वहां चिराग ने अपनी पार्टी के प्रत्याशी उतारे. नीतीश चिराग से खूब खफा हुए. JDU नेताओं ने दावा किया कि चिराग ने प्रत्याशी खड़े किए, इसलिए उनकी पार्टी की सीटें घट गईं. दावा है कि JDU 46 सीटें चिराग की वजह से हारी.

चिराग को BJP ने क्यों दी तरजीह?

1. रामविलास पासवान के उत्तराधिकारी के तौर पर चिराग पासवान को ही देखा जाता रहा है. रामविलास ने अपने जीते-जी बेटे चिराग को राजनीति में स्थापित कर दिया था. लोग पशुपति पारस से अधिक चिराग के चेहरे से कनेक्ट करते हैं. 

2. बिहार में करीब 6% पासवान (दुसाध) वोटर्स हैं. जबसे LJP बनी है, ये वोटर रामविलास के प्रति वफादार रहे हैं. अब ये वोट बैंक चिराग के पास शिफ्ट हो सकता है. 

3. चिराग पासवान युवा चेहरा हैं. वे भाजपा को लॉन्ग टर्म फायदा दे सकते हैं. यूथ वोटर भी चिराग से फेस पर वोट करता है. तेजस्वी के मुकाबले भाजपा चिराग का चेहरा सामने कर सकती है. 

4. बिहार में स्थानीय दलों के बिना राजनीति करना करीब-करीब असंभव हो गया है. नीतीश की उम्र होती जा रही है और उनकी पार्टी JDU भी धीरे-धीरे कमजोर होती जा रही है. इसलिए भाजपा बिहार में बने रहने के लिए विकल्प के तौर पर चिराग को देख रही है. 

5. चिराग को भाजपा अपने प्रति वाफादर मानती हैं. 2020 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने JDU को नुकसान पहुंचाया, भाजपा को नहीं. उस दौरान उन्होंने खुद को पीएम मोदी का हनुमान बताया. चिराग ने भाजपा के खिलाफ कभी बयानबाजी भी नहीं की.

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