कारगिल युद्ध का वो जांबाज हीरो, जिसकी स्ट्रैटेजी के आगे नहीं चली पाक की नापाक साजिश
Advertisement
trendingNow12853527

कारगिल युद्ध का वो जांबाज हीरो, जिसकी स्ट्रैटेजी के आगे नहीं चली पाक की नापाक साजिश

Kargil War 1999: जनरल वीपी मलिक ने 1999 के कारगिल युद्ध में भारतीय सेना को लीड किया था. ऑपरेशन विजय को सफल बनाते हुए उन्होंने बेहत कम रिसोर्सेज होने के बावजूद दुश्मनों को खदेड़ दिया. उनकी स्ट्रैटजी, लीडरशिप और साहस के कारण भारत ने यह जंग जीती. आज भी उन्हें एक सच्चे वॉर हीरो के रूप में याद किया जाता है.

कारगिल युद्ध का वो जांबाज हीरो, जिसकी स्ट्रैटेजी के आगे नहीं चली पाक की नापाक साजिश

Kargil War 1999: कारगिल युद्ध भारत के इतिहास का एक ऐसा दौर था, जब भारतीय सेना ने दुश्मनों को करारा जवाब दिया. इस जंग को जीतने में जिस इंसान की भूमिका सबसे अहम रही, वो थे जनरल वेद प्रकाश मलिक (V.P. Malik). उन्होंने ना सिर्फ भारतीय सेना की कमान संभाली, बल्कि ऑपरेशन विजय की पूरी स्ट्रैटजी भी बनाई. आइए जानते हैं, कैसे जनरल मलिक ने भारत को कारगिल युद्ध में एक बड़ी जीत दिलाई.

  1. कारगिल में भारतीय सेना को लीड किया
  2. ऑपरेशन विजय को पूरी स्ट्रैटजी बनाई

कौन हैं जनरल V.P. Malik?
जनरल V.P. Malik भारतीय थलसेना के 19वें आर्मी चीफ थे. वो 1 अक्टूबर 1997 से 30 सितंबर 2000 तक इस पद पर रहे. उनका जन्म 1 नवंबर 1939 को हुआ था. सेना में लंबे समय तक सेवा देने के बाद, उन्हें 1997 में आर्मी चीफ बनाया गया. कारगिल युद्ध के समय वे सेना प्रमुख थे, और उन्हीं की लीडरशिप में ऑपरेशन विजय को अंजाम दिया गया.

ऑपरेशन विजय और उनकी लीडरशिप
1999 में पाकिस्तान ने चोरी-छिपे तरीके से कारगिल की पहाड़ियों पर कब्जा करने की कोशिश की. इस साजिश को नाकाम करने के लिए भारत ने ऑपरेशन विजय शुरू किया. उस वक्त सेना के पास जरूरी रिसोर्सेज की कमी थी, लेकिन जनरल मलिक ने कहा था,
'हम इसी हालत में लड़ेंगे और जीतेंगे'. उनकी ये लाइन आज भी हर भारतीय को गर्व से भर देती है. उन्होंने जवानों को भरोसा दिलाया, सरकार से मिलकर जरूरी सपोर्ट लिया, और दुश्मनों को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया.

दमदार स्ट्रैटजी
जनरल मलिक ने सिर्फ ग्राउंड पर ही नहीं, बल्कि स्ट्रैटेजिक लेवल पर भी शानदार काम किया. उन्होंने एयरफोर्स और ग्राउंड फोर्स के बीच तालमेल बनाया, जिससे दुश्मन की पोजिशन को जल्दी ट्रेस कर के खत्म किया जा सके. उनकी सबसे बड़ी ताकत थी, सैनिकों का मनोबल बढ़ाना. वे खुद मौके पर गए, जवानों से मिले, और हर कदम पर उनका हौसला बढ़ाया.

पुरस्कार और सम्मान
उनकी सेवाओं को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें परम विशिष्ट सेवा मेडल (PVSM) और अतिविशिष्ट सेवा मेडल (AVSM) से सम्मानित किया. कारगिल युद्ध के बाद वे देशभर में एक हीरो की तरह देखे जाने लगे.

सेना से रिटायरमेंट के बाद
सेना से रिटायरमेंट के बाद भी जनरल मलिक ने देश और समाज के लिए काम करना नहीं छोड़ा. वे कई डिफेंस फोरम, पब्लिक पॉलिसी और सिक्योरिटी जैसे मुद्दों पर लिखते और बोलते रहे हैं. उनकी किताब 'Kargil: From Surprise to Victory' भी काफी चर्चित रही है.

Trending news

;