Explainer: ट्रंप से भिड़कर तो जेलेंस्की आए, फिर पूरे NATO के 12 क्यों बजे?
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Explainer: ट्रंप से भिड़कर तो जेलेंस्की आए, फिर पूरे NATO के 12 क्यों बजे?

NATO on Ukraine America Relations: नाटो चीफ मार्क रूटे ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की को अमेरिका से संबंध सहज करने की सलाह दी है. ओवल ऑफिस में हुई घटना के बाद NATO चिंता में पड़ गया है. ट्रंप पहले से ही NATO पर सख्त हैं, अब जेलेंस्की ने हालात और नाजुक बना दिए हैं.

Explainer: ट्रंप से भिड़कर तो जेलेंस्की आए, फिर पूरे NATO के 12 क्यों बजे?

ननई दिल्ली: NATO on Ukraine America Relations: यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की और अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप के बीच तीखी बहस हुई. इसके बाद यूरोप के ज्यादातर देशों ने जेलेंस्की को समर्थन दे दिया. ब्रिटेन की राजधानी लंदन में जेलेंस्की का 'हीरो' की तरह स्वागत हुआ है. लेकिन अमेरिका-यूक्रेन के बीच पैदा हुआ तनाव उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) के लिए भी चिंता का सबब बन गया है. ओवल ऑफिस में हुए वाकये के बाद नाटो चीफ मार्क रूटे ने ऐसा बयान दिया है, जिससे स्थिति की जटिलता का अंदाजा लगाया जा सकता है.

  1. 4 अप्रैल, 1949 में बना था NATO
  2. डोनाल्ड ट्रंप NATO पर रहते हैं सख्त

NATO चीफ ने जेलेंस्की को क्या नसीहत दी?
NATO महासचिव मार्क रूटे ने ओवल ऑफिस की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया. उन्होंने कहा कि इस वाकये के बाद दो दफा यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से बात हो चुकी है. यदि यूक्रेन में स्थायी शांति चाहते स्थापित करनी है तो अमेरिका, यूरोप और यूक्रेन को साथ रहना ही होगा. रूटे ने यह भी कहा कि अमेरिका ने यूक्रेन को अब तक जो मदद दी है, उसका सम्मान करना चाहिए. मार्क ने जेलेंस्की को अमेरिका और वहां के राष्ट्रपति ट्रंप से रिश्ते सुधारने की नसीहत दी है.

क्या है NATO, क्यों बना था?
NATO (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) एक सैन्य गठबंधन है. इसका उद्देश्य अपने सदस्य देशों की सामूहिक रक्षा करना है. इसको यूं समझें कि NATO के किसी भी एक देश पर हमला होता है, तो इसे सभी सदस्य देशों पर हमला माना जाएगा. फिर इसका जवाब सब मिलकर देंगे. इसे 'सामूहिक रक्षा' यानी Collective Defense कहा जाता है, जो NATO की संधि के अनुच्छेद 5 में दर्ज है. NATO की स्थापना 4 अप्रैल, 1949 को हुई. जब 12 देशों ने वाशिंगटन डीसी में इसकी संधि पर हस्ताक्षर किए. जैसे-जैसे वक्त बीतता गया, नए देश NATO में शामिल होते गए.

ये 31 देश NATO का हिस्सा
NATO में 31 देश शामिल हैं. संयुक्त राज्य अमेरिका (USA), अल्बानिया, बेल्जियम, बुल्गारिया, कनाडा, क्रोएशिया, चेक गणराज्य, डेनमार्क, एस्टोनिया, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, ग्रीस, हंगरी, आइसलैंड, इटली, लातविया, लिथुआनिया, लक्जमबर्ग, मॉन्टेनेग्रो, नीदरलैंड, उत्तरी मैसेडोनिया, नॉर्वे, पोलैंड, पुर्तगाल, रोमानिया, स्लोवाकिया, स्लोवेनिया, स्पेन, स्वीडन और तुर्की NATO का हिस्सा हैं.

NATO को जेलेंस्की-ट्रंप के तनाव से क्या डर?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की वापसी के बाद से ही NATO सहमा हुआ है. ओबामा प्रशासन में पूर्व विदेश नीति सलाहकार ब्रेट ब्रूएन ने ट्रंप की जीत के बाद कहा था- 'नाटो को अपनी स्थापना के बाद सबसे गंभीर अस्तित्वगत खतरे का सामना करना पड़ सकता है.' ट्रंप ने पहले भी NATO में अमेरिकी फंडिंग और भागीदारी पर सवाल उठाए हैं. जेलेंस्की के साथ बहस ट्रंप यूक्रेन से समर्थन हटा चुके हैं. जबकि NATO के अधिकतर देश यूक्रेन के पक्ष में खड़े हैं. अमेरिका NATO का सबसे बड़ा मददगार है,  उसकी उदासीनता यूरोप की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकती है. अब रूस यूक्रेन पर अपना दबदबा बढ़ा सकता है, जो NATO के पूर्वी सदस्य देशों जैसे- पोलैंड और बाल्टिक देश के लिए सीधा खतरा है.

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