Muslim Discrimination in UP: उत्तर प्रदेश के बिजनौर में एक मुस्लिम टीचर को छात्रों को उर्दू पढ़ने के लिए प्रेरित करना महंगा पड़ गया. बहुसंख्यक सजाम के छात्रों ने इसे धर्म विशेष की भाषा बताकर टीचर के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. जिसके बाद प्रशासन मुस्लिम टीचर को सस्पेंड कर दिया.
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Bijnor School News: उत्तर प्रदेश में लगातार देश के सबसे बड़े अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को महज धार्मिक आधार पर निशाना बनाया जा रहा है. इसी तरह का एक मामला बिजनौर में एक सरकारी कंपोजिट स्कूल में देखने को मिला, जहां एक मुस्लिम स्कूल टीचर पर कथित तौर पर उर्दू जुबान पढ़ाने का दबाव बनाने और धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में सस्पेंड कर दिया है.
पूरा मामला बिजनौर जिले के हरवंपुर धारम गांव स्थित सरकारी कंपोजिट स्कूल का है. बहुसंख्यक समाज के छात्रों ने मुस्लिम स्कूल प्रिंसिपल पर धार्मिक भेदभाव करने और जबरन उर्दू पढ़ाने के गंभीर आरोप लगे हैं. स्कूल के प्रिंसिपल मोहम्मद सलाउद्दीन पर आरोप है कि वह हिंदू छात्रों को जबरदस्ती उर्दू पढ़ने के लिए मजबूर करते थे.
बच्चों ने आरोप लगाया कि उर्दू पढ़ने से इनकार करने पर शिक्षक उन्हें धमकाते थे और कभी-कभी दूसरे छात्रों से उनकी पिटाई तक करवाई जाती थी. यह मामला तब सामने आया जब स्कूल के कुछ बच्चों ने गेट के बाहर प्रदर्शन किया और विरोध में नारेबाजी की. यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गई. जिसमें बहुसंख्यक समाज के छात्र, मुस्लिम टीचर के खिलाफ विरोध करते हुए दिखाई पड़ रहे हैं.
छात्रों का आरोप है कि टीचर सलाउद्दीन,उन्हीं छात्रों को ही पढ़ाते थे जो उर्दू पढ़ने के लिए तैयार होते थे. बाकी बच्चों की अनदेखी की जाती थी. इसके अलावा भगवान और मंदिर को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियां करने के भी आरोप लगे हैं. एक छात्र ने कहा कि टीचर कहते हैं कि "भगवान कुछ नहीं होते, क्या किसी ने भगवान को देखा है?"
मामला उजागर होने के बाद बेसिक शिक्षा अधिकारी योगेन्द्र कुमार ने मामले की जांच के आदेश दिए. खंड शिक्षा अधिकारी इंद्रपाल सिंह की रिपोर्ट में छात्रों और अभिभावकों के बयान से आरोपों की पुष्टि हुई. जांच पूरी होने के बाद बीएसए ने मोहम्मद सलाउद्दीन को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया है और उन्हें प्राथमिक विद्यालय जहानाबाद खोबड़ा से संबद्ध कर दिया गया है.
बीएसए योगेन्द्र कुमार ने साफ तौर पर कहा, "विद्यालय में धार्मिक भेदभाव किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. टीचर का काम सभी बच्चों को समान रूप से तालीम देना है, न कि किसी खास समुदाय के हित में पक्षपात करना." हालांकि, बच्चों के आरोपों पर सवाल भी खड़े हो रहे हैं. वह यह कि क्या उर्दू भाषा किसी धर्म की जुबान है?
दूसरा यह कि अगर मुस्लिम टीचर ने बच्चों को उर्दू पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया तो क्या यह कानूनी जुर्म है या फिर धार्मिक भावनाओं को भड़काना है. फिलहाल, अधिकारियों ने आरोपों की पुष्टि की है. वहीं, एक अभिभावक रोहिताश सिंह और शिवम ने बताया कि लंबे समय से बच्चों को टीचर के बर्ताव को लेकर दिक्कत थी, लेकिन मौका नहीं मिल रहा था. अब जाकर सख्त कदम उठाया गया है.
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