अमेरिका अब नहीं करेगा रहम; मुस्लिम ब्रदरहुड पर जल्द लगेगा आतंकवादी ठप्पा!
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अमेरिका अब नहीं करेगा रहम; मुस्लिम ब्रदरहुड पर जल्द लगेगा आतंकवादी ठप्पा!

US Bill Against Muslim Brotherhood: अमेरिका मुस्लिम ब्रदरहुड को आतंकी संगठन घोषित करने के बेहद करीब है. जानिए इस संगठन के पीछे की विचारधारा और वैश्विक खतरे का पूरा सच.

अमेरिका अब नहीं करेगा रहम; मुस्लिम ब्रदरहुड पर जल्द लगेगा आतंकवादी ठप्पा!

US Bill Against Muslim Brotherhood: अमेरिका एक बार फिर 'मुस्लिम ब्रदरहुड' को आधिकारिक रूप से आतंकवादी संगठन घोषित करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है. यह कदम न केवल अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से अहम है, बल्कि राजनीतिक इस्लामवाद के वैचारिक ढांचे से निपटने के वैश्विक प्रयासों को भी बल देगा. यह जानकारी द कैपिटल इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट में दी गई है.

रिपोर्ट के मुताबिक, जुलाई के मध्य में रिपब्लिकन सांसद मारियो डियाज-बालार्ट और डेमोक्रेटिक सांसद जैरेड मॉस्कोविट्ज द्वारा एक द्विदलीय विधेयक पेश किया गया है, जिसमें मुस्लिम ब्रदरहुड को आतंकी संगठन घोषित करने की मांग की गई है. व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने भी इस पहल की पुष्टि की है. रिपोर्ट में कहा गया है, "यह द्विदलीय सहमति इस बढ़ती समझ को दर्शाती है कि मुस्लिम ब्रदरहुड भले ही खुद को एक राजनीतिक आंदोलन के रूप में प्रस्तुत करता है, लेकिन वास्तव में यह हमास से लेकर अल-कायदा जैसे हिंसक इस्लामी नेटवर्क का वैचारिक स्रोत है."

इस विधेयक को अमेरिका के कई प्रमुख नीति संस्थानों का भी समर्थन मिला है, जैसे कि हेरिटेज फाउंडेशन, इजरायली-अमेरिकन सिविक एक्शन नेटवर्क (आईसीएएन) और अमेरिकन मिडईस्ट कोएलिशन फॉर डेमोक्रेसी (एएमसीडी). इन संगठनों ने लंबे समय से यह उजागर किया है कि मुस्लिम ब्रदरहुड दोहरी रणनीति अपनाता है. एक ओर आधुनिक छवि पेश करता है, वहीं दूसरी ओर अपने एजेंडे को हिंसक माध्यमों से लागू करने वाले गुटों को समर्थन देता है.

अमेरिकी सीनेटर टेड क्रूज़ इस तरह के विधेयकों के पुराने समर्थक रहे हैं. वह 2015 से मुस्लिम ब्रदरहुड को आतंकी संगठन घोषित करने के लिए विधेयक पेश करते आए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, मुस्लिम ब्रदरहुड का खतरा महज एक राजनीतिक आंदोलन नहीं बल्कि एक वैश्विक परियोजना है, जिसकी जड़ें हसन अल-बन्ना और सैयद कुतुब की कट्टरपंथी सोच में हैं. 1928 में मिस्र के सूफी प्रचारक हसन अल-बन्ना ने जामिया हसाफिया अल-खैरिया की स्थापना की, जिसका उद्देश्य इस्लामी खिलाफत की बहाली था. बाद में इसे अल-इखवान अल-मुस्लिमून यानी मुस्लिम ब्रदरहुड नाम दिया गया.

1949 में अल-बन्ना की हत्या के बाद सैयद कुतुब ने संगठन की कमान संभाली और एक ऐसा वैचारिक ढांचा तैयार किया, जिसने बाद में अल-कायदा और आईएसआईएस जैसे जिहादी संगठनों को प्रेरित किया. रिपोर्ट में बताया गया है कि ओसामा बिन लादेन की मां ने स्वीकार किया था कि उनका बेटा अब्दुल्ला अज़्ज़ाम नामक फिलिस्तीनी ब्रदरहुड सदस्य के संपर्क में आने के बाद कट्टरपंथी बना. अज़्ज़ाम ने उसे जेद्दाह की किंग अब्दुलअज़ीज़ यूनिवर्सिटी में भर्ती किया था. वहीं, अल-कायदा के वर्तमान प्रमुख अयमान अल-जवाहिरी की शुरुआत भी मुस्लिम ब्रदरहुड से हुई थी.

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