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Pakistan News: पाकिस्तान में रह रहे हज़ारों अफगानी रिफ्यूजी को जबरन देश से निकाला जा रहा है. यह जबरन निर्वासन प्रक्रिया अब तीसरे फेज में प्रवेश कर चुकी है और अफ़ग़ान नागरिकों का कहना है कि उन्हें अपमान और उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है. इस चरण में पाकिस्तान के सिंध और पंजाब के बाद, अब खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में अफ़ग़ानों को तेज़ी से निकाला जा रहा है.
पाकिस्तान के गृह मंत्रालय ने सभी प्रांतीय सरकारों को निर्देश दिया है कि वे उन अफ़ग़ान नागरिकों को तुरंत गिरफ़्तार करें और निर्वासित करें जिनके पास वैध वीज़ा या पासपोर्ट नहीं हैं, उन्हें अवैध मानते हुए. जबरदस्ती निकाले गए कई अफगान नागरिकों ने टोलो न्यूज़ और अन्य स्थानीय मीडिया के साथ अपनी आपबीती साझा की. उनका कहना है कि पाकिस्तानी अधिकारी दस्तावेज़ों के बदले रिश्वत मांगते हैं और अपमानजनक व्यवहार करते हैं.
हाल ही में अफ़ग़ानिस्तान लौटे ज़ियाउल हक़ ने कहा, "हमें अपनी ज़मीन पर लौटकर खुशी हो रही है लेकिन पाकिस्तान में हमारे साथ हमेशा अपमानजनक व्यवहार किया गया है." एक अन्य निर्वासित व्यक्ति हिदायतुल्लाह ने कहा, "हमारे पास वैध पीओआर कार्ड और दस्तावेज़ थे, फिर भी हमारे साथ बहुत बुरा व्यवहार किया गया. हमें जबरन निकाल दिया गया."
40 साल से अपने परिवार के साथ पाकिस्तान में रह रहे इंज़मामुल हक़ ने दावा किया, "जब हम पंजाब में एक चौकी पर पहुंचे, तो अधिकारियों ने हमारे दस्तावेज़ रख लिए और हमें दो दिन का समय दिया. फिर उन्होंने 2 लाख पाकिस्तानी रुपये लेकर हमारे दस्तावेज़ वापस कर दिए और हमें निकाल दिया."
यूएनएचसीआर रिपोर्ट
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी यूएनएचसीआर की रिपोर्ट के मुताबिक, सितंबर 2023 से अब तक 12 लाख से ज़्यादा अफ़गान पाकिस्तान से लौट चुके हैं. इनमें से कई को जबरन निकाला गया था और वे एक गंभीर मानवीय संकट का सामना कर रहे हैं. 2025 तक, 3,15,000 से ज़्यादा अफगान नागरिक लौट चुके हैं, जिनमें से 51,000 को जबरन निकाला गया था. लौटने वालों में लगभग 50 फीसद महिलाएं और लड़कियां हैं और लगभग 2.2 फीसद विकलांग व्यक्ति भी हैं.