'जब तक नौशेरा आजाद नहीं होगा, चारपाई पर नहीं बैठूंगा', ब्रिगेडियर उस्मान की कसम से हिल गई थी पाक फौज
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'जब तक नौशेरा आजाद नहीं होगा, चारपाई पर नहीं बैठूंगा', ब्रिगेडियर उस्मान की कसम से हिल गई थी पाक फौज

Naushera Ka Sher: आजादी के बाद पाकिस्तान ने कबायली की मदद से जम्मू कश्मीर में नौशेरा पर कब्जा कर लिया. इसके बाद भारतीय फौज ने पाकिस्तानियों पर जवाबी कार्रवाई की और उन्हें नौशेरा से मार भगाया. इस जंग की कयादत नौशेरा के शेर यानी ब्रिगेडियर उस्मान ने की थी. शहादत के 77 साल बाद भी दुश्मन फौज उनके नाम से खौफ खाती हैं.  

ब्रिगेडियर उस्मान की 77वीं पुण्यतिथि आज
ब्रिगेडियर उस्मान की 77वीं पुण्यतिथि आज

Brigadier Usman Martyrdom Day: भारत के इतिहास में 3 जुलाई को वीरता और बलिदान की मिसाल के रुप में जाना जाता है. आज ही के दिन 77 साल पहले यानी 3 जुलाई 1948 में ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान नौशेरा में देश की रक्षा करते हुए शहीद हुए थे. उनके साहस और नेतृत्व की वजह से उन्हें 'नौशेरा का शेर' कहा जाता है.

ब्रिगेडियर उस्मान का नाम सुनकर पाकिस्तान की सेना भी कांपती थी. जब भारत-पाकिस्तान बंटवारा हुआ तो पाकिस्तान ने उन्हें अपनी फौज में शामिल करने की पूरी कोशिश की. इतना ही नहीं अपने पाले में करने के लिए पाक सरकार ने शाम, दाम, दंड जैसे सारे हथकंडे अपनाए. इतना ही नहीं मोहम्मद अली जिन्ना ने उन्हें न्योता भी भेजा, लेकिन ब्रिगेडियर उस्मान की मुल्क से मोहब्बत और वफादारी को डिगा नहीं सके और उन्होंने पाकिस्तान जाने से साफ मना कर दिया. 

पाकिस्तान ने रखा था 50 हजार इनाम

ब्रिगेडियर उस्मान ने कहा, "मैं इसी मिट्टी में पैदा हुआ हूं और इसी में दफन होना चाहता हूं." दुश्मन फौजें ब्रिगेडियर उस्मान के नाम से खौफ खाती थी. यही वजह है कि उनकी बहादुरी से डरकर पाकिस्तान ने उनके सिर पर 50 हजार रुपये का इनाम तक रख दिया था.

आजादी के बाद पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर के नौशेरा और आसपास के इलाकों पर कब्जा कर लिया, तब ब्रिगेडियर उस्मान ने कसम खाई कि जब तक ये इलाका दुश्मनों से वापस नहीं ले लूंगा, तब तक चारपाई पर नहीं बैठूंगा. उनकी रणनीति और हौसले से भारतीय सेना ने नौशेरा को आजाद करा लिया. भारत की जीत के बाद इलाके के लोग चारपाई लेकर आए, तभी जाकर वह उस पर बैठे.

भारतीय सेना को है गर्व

ब्रिगेडियर उस्मान भारतीय सेना की 50 पैरा ब्रिगेड के कमांडर थे. शहादत के बाद उन्हें मरणोपरांत महावीर चक्र से नवाजा गया. उनकी कब्र देश के प्रतिष्ठित विश्विद्यालयों में से एक जामिया मिल्लिया इस्लामिया के वीआईपी कब्रिस्तान में है, जहां हर साल भारतीय सेना उन्हें सलामी देने के लिए आती है. भारतीय सेना आज भी उनकी कब्र की देखभाल करती है. कुछ साल पहले कब्र का एक हिस्सा टूट गया था, जिसे सेना ने फिर से बनवाया.

आजमगढ़ में हुआ था जन्म

ब्रिगेडियर उस्मान का जन्म ब्रिटिश भारत के संयुक्त प्रांत के आजमगढ़ में 15 जुलाई 1912 को हुआ था. वह बचपन से ही सेना में शामिल होना चाहते थे. सीमित मौके और कड़ी स्पर्धा के बीच ब्रिगेडियर उस्मान ने रॉयल मिलिटरी एकेडमी (RMAS) में चयनित हुए. वह 1932 में ब्रिटिश आर्मी में शामिल हुए थे, उस समय ब्रिगेडियर उस्मान की उम्र बहुत कम थी. आज ब्रिगेडियर उस्मान को याद करना सिर्फ एक वीर सपूत को श्रद्धांजलि देना नहीं है, बल्कि यह भी याद दिलाना है कि देश की सरहदें उनके जैसे बहादुरों की कुर्बानी से महफूज हैं.

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