Rajasthan Police Deported Muslim Youth: असम के बाद राजस्थान पुलिस की बड़ी लापरवाही सामने आई, जहां एक भारतीय नौजवान को बांग्लादेशी नागरिक बताकर सहरद पार पुशबैक कर दिया गया. बीते दिनों पीड़ित नौजवान की एक वीडियो सामने आई थी, जिसके बाद मुस्लिम नौजवान के पिता ने हाईकोर्ट का रुख किया है.
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Indian Muslim Citizen Deported Bangladesh: भारत के कई राज्यों में इस मुस्लिम समुदाय के लोग डर और दहशत में जी रहे हैं. खासकर दक्षिणपंथी विचारधारा वाले राज्यों में मुसलमानों को उनके धार्मिक पहचान की वजह से हिंदूवादी संगठन निशाना बना रहे हैं, जबकि दूसरी तरफ बांग्ला भाषी भारतीय मुसलमानों को पुलिस प्रशासन सारे दस्तावेज होने के बावजूद प्रताड़ित करने के मामले आते रहे हैं.
इसी तरह का एक मामले में राजस्थान पुलिस की कथित लापरवाही ने देशभर के लोगों को झकझोर कर रख दिया है. पश्चिम बंगाल के 19 साल के नौजवान शेख आमिर राजस्थान में मेहनत मजदूरी कर परिवार का भरण पोषण करते थे, बीते दिनों राजस्थान पुलिस ने भारतीय वैद्य दस्तावेज होने के बावजूद विदेशी मानकर बांग्लादेश डिपोर्ट कर दिया.
पीड़ित परिवार अब शेख आमिर को भारत वापस लाने और इंसाफ के लिए दर की ठोकरें खा रहा है. पीड़ित परिवार ने इंसाफ की गुहार लगाते हुए कलकत्ता हाई कोर्ट का रुख किया है. राजस्थानी पुलिस के इस रवैये के खिलाफ सियासी दलों में काफी नाराजगी देखने को मिल रही है. तृणमूल कांग्रेस ने इसे 'भाषा और धर्म के आधार पर भेदभाव' करार दिया हैय
पश्चिम बंगाल के मालदा जिले का रहने वाला शेख आमिर रोजगार की तलाश में राजस्थान गये थे, लेकिन बीते माह 22 जुलाई को राजस्थान पुलिस ने उसे हिरासत में लिया. फिर क्या था पुलिस ने उन्हें बांग्लादेशी बताकर उसे सीमा पार भेज दिया. पीड़ित आमिर का परिवार दावा कर रहा है कि वह न सिर्फ भारतीय नागरिक हैं, बल्कि उनके पास वैध दस्तावेज जैसे आधार कार्ड और जन्म प्रमाण पत्र भी हैं.
ऑब्जर्वर पोस्ट में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, परिजनों ने बताया कि आमिर को दो महीने तक राजस्थान के एक डिटेंशन सेंटर में भी रखा गया, जहां उसने अपनी भारतीय नागरिकता के सबूत दिखाए थे, लेकिन फिर भी उनकी नहीं सुनी गई. राजस्थान पुलिस ने उन्हें बांग्लादेशी नागरिक बताते हुए सीमा से उस पार फेंक दिया.
इस घटना के बारे में लोगों को तब पत चला, जब एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुई ती. जिसमें आमिर जैसा दिखने वाला और नौजवान रोता हुआ दिखाई पड़ा था. इसके बाद आमिर के परिवार को एक अज्ञात शख्स का फोन आया था, जिसने बताया कि आमिर फिलहाल बांग्लादेश के घुमरा गांव में है.
यह सुनकर आमिर के माता-पिता और परिजनों के पैरों तले से जमीन खिसक गई. शेख आमिर के पिता ने इस मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट में हैबियस कॉर्पस याचिका दायर की है. इस याचिका में आमिर के पिता ने कोर्ट से इस मामले हस्तक्षेपर करने और उनके बेटे को जल्द से जल्द वापस स्वदेश लाने की मांग की है. इस मामले में कोर्ट में सुनवाई जल्द होने की संभावना है.
तृणमूल कांग्रेस नेता और बंगाल प्रवासी श्रमिक कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष समीरुल इस्लाम ने इस घटना को लेकर केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया. उनका कहना है कि "आमिर न तो रोहिंग्या हैं और न ही बांग्लादेशी. उन्हें सिर्फ बंगाली भाषी और मुस्लिम होने की वजह से निशान बनाया जा रहा है."
TMC का आरोप है कि भारतीय जनता पार्टी शासित राज्यों में लगातार बंगाली भाषी मुस्लिम मजदूरों को महज धार्मिक पहचाने की वजह से परेशान किया जा रहा है. टीएमसी के मुताबिक,बंगाली मुस्लिमों बगैर कानूनी प्रक्रिया के पालन किए बगैर डिपोर्ट कर दिया जा रहा है.
इससे पहले जुलाई में ह्यूमन राइट्स वॉच ने भी भारत सरकार से अपील की थी कि वह इस तरह के मनमाने निर्वासन को रोके और कानूनी प्रक्रिया का पालन सुनिश्चित करे. रिपोर्ट में कहा गया कि यह प्रक्रिया मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है. जिसकी लगातार अनदेखी की जा रही है.
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