Amour Assembly Election 2025: बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं और मुस्लिम बहुल विधानसभा सीटों को लेकर चर्चा हो रही है. इसी कड़ी में आज हम आपको बताएंगे कि अमौर विधानसभा सीट पर क्या समीकरण हैं और यहां मुस्लिम मतदाताओं की आबादी कितनी है. इन सब बातों के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं.
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Amour Assembly Election 2025: बिहार में विधानसभा इलेक्शन से पहले ही अमौर विधानसभा सीट (Amour Assembly Election 2025) को लेकर चर्चा तेज़ हो गई है. यह विधानसभा पूर्णिया ज़िले में है, लेकिन किशनगंज लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है. अमौर की सबसे बड़ी खासियत इसकी मुस्लिम बहुल आबादी (Muslim Majority Populatio) है. यहां मुस्लिम मतदाता किसी भी चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते हैं. ऐसे में आज हम इस सीट का विश्लेषण करेंगे और बताएंगे कि कौन सी पार्टी इस सीट पर जीत हासिल कर सकती है. आइए जानते हैं.
अनुमानित आंकड़ों के मुताबिक, अमौर विधानसभा में 5.45 लाख जनसंख्या है, जिसमें मुस्लिम मतदाताओं की संख्या काफी ज्यादा है. 2024 के मतदाता आंकड़ों के मुताबिक, यहां 3,24,576 पंजीकृत मतदाता हैं, जिनमें मुस्लिम मतदाताओं की संख्या निर्णायक मानी जाती है. यही वजह है कि 1951 से अब तक हुए 18 विधानसभा चुनावों में सिर्फ एक बार ही कोई गैर-मुस्लिम उम्मीदवार जीता है. 1977 के विधानसभा चुनाव में जनता पार्टी के चंद्रशेखर झा ने चुनाव जीता था. इसके बाद आज तक कोई हिंदू कैंडिडेट चुनाव नहीं जीत पाया है. यहीं वजह है कि अमौर में सभी पार्टी यहां मुस्लिम उम्मीदवार उतारती है.
किसके साथ है कांटे की टक्कर
2020 के विधानसभा चुनाव में अख्तरुल ईमान के नेतृत्व वाली AIMIM ने पहली बार इस सीट पर जीत हासिल की. इस जीत को मुस्लिम वोट बैंक की एकजुटता का नतीजा माना जा रहा था. वहीं, महागठबंधन और एनडीए के बंटे हुए वोटों ने AIMIM की राह आसान कर दी. हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनाव में अमौर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस को 21,737 वोटों की बढ़त मिली है. यह रिजल्ट आगामी विधानसभा चुनावों के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत है. एनडीए के लिए एआईएमआईएम और कांग्रेस से यह सीट छीनना आसान नहीं होगा.
मुस्लिम वोटों हैं सबकी नजर
2025 के विधानसभा चुनाव के लिए समीकरण बदलते दिख रहे हैं. AIMIM एक बार फिर मुस्लिम एकता पर दांव लगाएगी, वहीं महागठबंधन और एनडीए मुस्लिम वोटों में सेंध लगाने की कोशिश करेंगे. अगर विपक्ष धर्म के बजाय विकास के नाम पर मुस्लिम मतदाताओं को लुभाने में कामयाब रहा, तो अख्तरुल ईमान की राह मुश्किल हो सकती है. मौजूदा राजनीतिक संकेतों पर गौर करें तो 2025 का चुनाव त्रिकोणीय होने की संभावना है.