Pak Army Killed Terrorist: पाकिस्तानी सेना ने एक बार फिर गुनाहों को छुपाने के लिए भारत पर गंभीर आरोप लगाए. बलूचिस्तान में पाकिस्तान सेना ने 33 आतंकियों के मारे जाने का दावा करते हुए गंभीर आरोप लगाए. सेना का आरोप है कि आतंकियों को भारत से समर्थन मिला, लेकिन कोई सबूत पेश नहीं किया गया. बलूच नेताओं ने फौज पर मानवाधिकार उल्लंघन और बलोचों की हत्या का आरोप लगाया है.
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Balochistan Terror News Today: पाकिस्तान में हालिया दिनों आतंकी हमलों की घटनाएं बढ़ गई हैं. इस बीच पाकिस्तान की सेना ने दावा किया है कि शुक्रवार (8 अगस्त) को बलूचिस्तान प्रांत के झोब जिले में एक बड़े सैन्य ऑपरेशन को अंजाम दिया गया. इस ऑपरेशन में 33 आतंकवादी मारे गए हैं. यह ऑपरेशन रातभर चला और इसमें शामिल आतंकियों ने अफगानिस्तान से घुसपैठ की कोशिश की थी.
पाकिस्तान सेना से मिली जानकारी के मुताबिक, इन आतंकियों का संबंध 'ख्वारिज' नाम के संगठन से था. यह शब्द पाकिस्तान सरकार आमतौर पर प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP के लिए इस्तेमाल करती है. सेना ने बताया कि इस ऑपरेशन के बाद इलाके में सर्च अभियान जारी है ताकि बाकी बचे आतंकियों को ढूंढकर खत्म किया जा सके. यह कार्रवाई उस समय की गई जब पाकिस्तान को स्वतंत्रता दिवस (14 अगस्त) से आतंकी हमलों से दो चार होना पड़ रहा है.
इस बीच पाकिस्तानी सेना ने एक बार फिर भारत पर गंभीर आरोप लगाए हैं. पाकिस्तानी सेना का दावा है कि मारे गए आतंकवादियों को भारत का समर्थन हासिल था. हालांकि, इन दावों के समर्थन में पाकिस्तानी सेना ने कोई सुबूत नहीं पेश किए. सदियों तक आतंकियों को पनाह देना वाला पाकिस्तान अब आतंक के साये में जी रहा है और अपने गुनाहों को छुपाने के लिए भारत पर आरोप मढ़ता रहा है.
ब्लूचिस्तान में बीते कुछ माह में सैकड़ों बलोच कार्यकर्ता संदिग्ध परिस्थितियों में पाकिस्तानी फौज की हिरासत से गायब हो गए हैं. बलोच नेताओं ने उनकी सेना और आईएसआई पर उनकी हत्या का आरोप लगाया है. यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान ने भारत पर बलूच अलगाववादियों और तालिबान समर्थित आतंकी समूहों को मदद देने का आरोप लगाया है. भारत ने इन आरोपों को हमेशा बेबुनियाद बताया है.
इस बार भी भारत सरकार की तरफ से पाकिस्तान के बेबुनियाद आरोपों पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है. पाकिस्तान की यह रणनीति कूटनीतिक स्तर पर भारत को घेरने की कोशिश मानी जा रही है. खासकर तब जब खुद पाकिस्तान की आंतरिक स्थिति सुरक्षा के लिहाज से बेहद नाजुक बनी हुई है.
पाकिस्तान सरकार ने बलूचिस्तान में बढ़ते सुरक्षा खतरे को देखते हुए 31 अगस्त तक मोबाइल इंटरनेट सेवाएं निलंबित करने का फैसला किया है. बलूचिस्तान सरकार ने यह फैसला सुरक्षा एजेंसियों की सिफारिश के बाद लिया है. हर साल स्वतंत्रता दिवस के आसपास बलूचिस्तान में आतंकी घटनाएं बढ़ जाती हैं. बीते सालों में बलूचिस्तान में झंडा बेचने वालों, स्कूलों और सार्वजनिक स्थलों को निशाना बनाया गया है. प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने सेना की कार्रवाई की सराहना करते हुए इसे देश की सुरक्षा के लिए अहम बताया है.
बलूचिस्तान लंबे समय से पाकिस्तान के लिए सिरदर्द बना हुआ है. यहां एक तरफ पाकिस्तानी तालिबान जैसे आतंकी संगठन सक्रिय हैं, वहीं बलूच लिबरेशन आर्मी जैसे अलगाववादी समूह पाकिस्तान से आजादी की मांग कर रहे हैं. यह संगठनों ने सरकारी संस्थानों, सुरक्षाबलों और आम लोगों को निशाना बना रहे हैं.
हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि इन विद्रोहियों को काफी हद तक काबू में कर लिया गया है, फिर भी छिटपुट हमले अब भी जारी हैं. बलूचिस्तान की भौगोलिक स्थिति इसे आतंकियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बना देती है, खासकर अफगानिस्तान से सटी इसकी सीमा. साल 2021 में अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद पाकिस्तान में टीटीपी की गतिविधियों में काफी इजाफा हुआ है. रिपोर्टों के मुताबिक, टीटीपी के कई नेता और लड़ाके अब अफगानिस्तान में शरण लिए हुए हैं.
इस साल अप्रैल में पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में एक बड़े ऑपरेशन में 54 तालिबानी आतंकियों को मारे गए थे. इसे 2024 का सबसे घातक ऑपरेशन बताया गया था. टीटीपी भले ही अफगान तालिबान से अलग समूह हो, लेकिन दोनों में वैचारिक समानता है. पाकिस्तानी अधिकारियों का दावा है कि अफगानिस्तान की जमीन से उन्हें हमलों की साजिशों का समर्थन मिल रहा है.