Renaming Controversy of Muslims Rulers: मध्य प्रदेश सरकार के जरिये मुस्लिम शासकों से जुड़ी धरोहरों की अनदेखी और गांवों के नाम बदलने की मांग पर सियासत गरमा गई है. इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने पटौदी खानदान की संपत्ति से जुड़े हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है, जिससे सैफ अली खान के परिवार से जुड़े ऐतिहासिक स्थलों के नामों को बदलने पर काफी हदतक ब्रेक लग गया है.
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Madhya Pradesh News Today: दिसंबर 2023 में मध्य प्रदेश का 19वं मुख्यमंत्री बनने के महज 6 महीने के भीतर ही मोहन यादव ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक कार्यक्रम की शुरुआत की थी, जिसका नाम उन्होंने 'मोह लिया रे' दिया. इसमें उन्होंने उज्जैन, खजुराहो और ओरछा जैसे ऐतिहासिक स्थानों को पर्यटन की सूची में जगह दी. मोहन यादव सरकार के इस ऐलान के बाद एक नई चर्चा शुरू हो गई, वह यह कि मुस्लिम बादशाहों और नवाबों के अधीन रहे मांडू, भोपाल समेत कई ऐतिहासिक जगहों को नजरअंदाज करना.
मांडू 14वीं और 15वीं शताब्दी में मालवा की राजधानी थी. इस जगह पर लंबे समय तक गौरी, खिलजी और फिर मुगल जैसे मुस्लिम बादशाहों की हुकूमत थी. इसके बाद मध्य प्रदेश में मुस्लिम नाम वाले ऐतिहासिक जगहों की प्रदेश सरकार पर अनदेखी के आरोप लग रहे हैं. आलोचकों की यह बात काफी हद वास्तविकता के धरातल पर यथार्थ होती नजर आई है, जब मोहन यादव सरकार ने मुस्लिम नाम वाले 54 गावों को नया नाम दिया. इसके अलावा भोपाल समेत कई और जगहों के नाम पहले ही बदल दिए गए.
इसके बाद भोपाल में नवाबों और मुस्लिम शासक और उनके जरिये दिए गए नाम की विरासत को लेकर सियासी बयानबाजी तेज हो गई है. बीते दिनों मध्य प्रदेश के लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा राज्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने कहा कि भोपाल के अंतिम नवाब हमीदुल्लाह खान गद्दार थे, क्योंकि उन्होंने भारत में रियासत के विलय का विरोध किया था. 15 अगस्त 1947 को तिरंगा नहीं फहराया और जनता पर गोली चलवाई थी, जिसमें छह से ज्यादा लोगों की मौत हो गई.
नरेंद्र पटेल ने मांग की कि नवाबों के नाम पर रखी गई सभी इमारतों, अस्पतालों और स्थानों के नाम बदले जाएं. गौरतलब हो कि भोपाल का मशहूर हमीदिया अस्पताल और हमीदिया स्कूल नवाब हमीदुल्लाह खान के नाम पर हैं. इससे पहले भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा ने भी दावा किया था कि भोपाल की सारी संपत्ति राजा भोज की है, जबकि कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने नवाब को गद्दार कहे जाने पर आपत्ति जताई थी, इसे इतिहास और विरासत का अपमान बताया था.
मुस्लिम नाम बदलने की मांग के बीच सैफ अली खान के परिवार को काफी हद तक राहत मिली है. दरअसल, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के जरिये भोपाल नवाब की संपत्ति से जुड़े फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया. ऐसे में माना जा रहा ह कि मध्य प्रदेश सरकार सर्वोच्च न्यायिक संस्था के फैसले के बाद नवाबों से जुड़ी ऐतिहासिक स्थलों के नाम नहीं बदलेगी.
दक्षिणपंथी सियासी दलों और कट्टरपंथी दावों के उलट मध्य प्रदेश में खासकर राजधानी भोपाल को समृद्ध संस्कृति बनाने में नवाबों और मुस्लिम शासकों का बड़ा योगदान रहा है. मध्य प्रदेश में 'नवाब' लफ्ज उन शासकों के लिए इस्तेमाल होता था, जो ब्रिटिश राज या उससे पहले अपने इलाकों पर शासन करते थे. इनमें सबसे मशहूर रियासत भोपाल रही, जिसकी स्थापना 18वीं सदी में दोस्त मोहम्मद खान ने की थी. यहां कई दशकों तक बेगम शाहजहां और सुल्तान जहां जैसी मुस्लिम महिला शासकों ने शिक्षा, रेलवे और स्वास्थ्य सेवाओं की नींव रखी.
साल 1857 के विद्रोह में भोपाल के नवाब अंग्रेजों के समर्थक रहे. राजस्थान की टोंक रियासत की कुछ जागीरें भी मध्य प्रदेश में थीं. टोंक के नवाब मुहम्मद अमीर खान और उनके उत्तराधिकारी पठान शासकों में गिने जाते थे. वहीं, भोपाल के अधीन सीहोर, रायसेन और विदिशा में अफगान-पठान नवाब और जागीरदार शासन करते थे, जिनकी संस्कृति में इस्लामी और स्थानीय परंपराओं का अनूठा संगम था.
भोपाल के नवाबों ने ताज-उल-मसाजिद, मोती महल और शौकत महल जैसे वास्तु-शिल्प का निर्माण कराया. नवाबी खानपान, उर्दू अदब और संगीत आज भी भोपाल और आसपास की पहचान बने हुए हैं, जो यहां की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाते हैं. इन्हीं नवाबों में से एक मशहूर एक्टर सैफ अली खान का परिवार, जो न सिर्फ अपने नवाबी वैभव, शानो शौकत के लिए मशहूर हैं बल्कि भारत के सबसे चर्चित राजसी और खेल-प्रेमी घरानों में होता है.
सैफ अली खान के पूर्वज अफगानिस्तान से आए पठान वंशज थे. सैफ के परदादा फैज तलब खान को अंग्रेजों ने 1804 में पटौदी रियासत का पहला नवाब नियुक्त किया, जिससे इस रियासत की नींव पड़ी. उनके पोते और सैफ के दादा, इफ्तिखार अली खान पटौदी ने भारत और इंग्लैंड दोनों के लिए क्रिकेट खेला और 1946 में भारतीय टीम की कप्तानी की. सैफ की दादी साजिदा सुल्तान भोपाल की नवाब बैगम थीं, जिनकी शादी इफ्तिखार अली खान से हुई.
इस विवाह ने पटौदी और भोपाल रियासत को जोड़ दिया. 2011 में हरियाणा के पटौदी गांव में सैफ को पारंपरिक 'पगड़ी'नपहनाकर 10वें नवाब के रूप में सम्मानित किया गया. हालांकि, यह पद 1971 में ही ऑफिशियली पूरी तरह से खत्म कर दिया गया था.
पटौदी-भोपाल परिवार की भोपाल स्थित करीब 15,000 हजार करोड़ मूल्य की संपत्ति, जिसमें महल और जमीनें शामिल हैं, लंबे समय से कानूनी विवाद में है. हाल ही में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया था, जिसमें सैफ अली खान और उनके परिवार को भोपाल की संपत्तियों का वैध वारिस माना गया था और मामले की दोबारा सुनवाई का आदेश दिया था.
अब सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के 30 जून 2025 के इस आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है. अदालत ने दिवंगत भोपाल नवाब हमीदुल्लाह खान के उत्तराधिकारियों की याचिका पर नोटिस जारी करते हुए कहा कि फिलहाल निचली अदालत में नए सिरे से सुनवाई की प्रक्रिया रोक दी जाए. इससे सैफ अली खान, उनकी बहनें सोहा अली खान और सबा सुल्तान और मां शर्मिला टैगोर को बड़ी राहत मिली है. कयास लगाए जा रहे हैं कि इससे बीजेपी सरकार के नाम बदलने के मंसूबों को भी धक्का लगा है.
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